36 लाख दुग्ध उत्पादकों को प्रतिदिन 200 करोड़ का भुगतान
अमूल डेयरी के प्रशिक्षण, प्रचार-प्रसार से पशुपालक खुशहाल
सर्वेक्षक की नौकरी छोड़ शुरू किया पशुपालन
51 वर्षीय जयेशभाई पटेल ने 18 साल तक वडोदरा और मुंबई में सर्वेक्षक के रूप में काम किया। उनका परिवार डेढ़ एकड़ ज़मीन पर छोटे पैमाने पर पशुपालन करता था। समय के साथ, वैज्ञानिक दृष्टिकोण, उन्नत अध्ययन के ज्ञान के साथ जयेशभाई ने पशुपालन और कृषि के क्षेत्र में विस्तार करना शुरू कर दिया। वे बताते हैं, “मैंने करीब 10 से 12 गायें पाल रखी हैं। हम उन्हें समय पर नियमित रूप से खाना देते हैं ताकि वे हर दिन निर्धारित मात्रा में दूध दे सकें। गायों को रखने के लिए हमने एक शेड बनाया हुआ है और दूध दुहने की मशीन भी लगाई हुई है। वर्तमान में अमूल में दूध देने के बाद हर महीने मेरी आय लगभग डेढ़ लाख रुपए है।” जयेशभाई पिछले 10 साल से प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। वे खाद और कीटनाशक बनाने के लिए गाय के गोबर और गोमूत्र का उपयोग करते हैं। इसका उपयोग करके वे अपनी जमीन में सब्जियां और अन्य फसलों की खेती करते हैं। इसके साथ ही वे गोबर से खाद बनाकर उसे आसपास के किसानों को बेच आय अर्जित कर रहे हैं।
किसानों और पशुपालकों के हितों के लिए समर्पित अमूल ने डेयरी क्षेत्र में क्रांति ला दी है। पशुपालन के लिए उचित प्रशिक्षण, दूध खरीद, कृत्रिम गर्भाधान और वैज्ञानिक दृष्टिकोण प्रदान करने के लिए अमूल की टीम हमेशा मैदान पर रहती है। अमूल के योगदान के बारे में बात करते हुए जयेशभाई कहते हैं, “अमूल की वजह से हमें अच्छी ब्रीड मिली और इसका सीधा लाभ दूध उत्पादन में हुआ। इससे हमारी आमदनी बढ़ी और हमारा उत्साह भी बढ़ा। अमूल की वजह से हमें वह मिलना शुरू हुआ जो हम चाहते थे।”
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जनवरी 2024 में आयोजित होने वाले वाइब्रेंट गुजरात समिट को लेकर जयेशभाई कहते हैं, “मैं, हर वाइब्रेंट गुजरात समिट में शामिल होता हूं। मेरे जैसे कई लोग इस समिट में शामिल होते हैं और उन्हें इसका काफी लाभ मिलता है। मुझे भी वाइब्रेंट समिट का काफी फायदा हुआ है।” जयेशभाई राज्यभर में पशुपालन, प्राकृतिक खेती और इसके माध्यम से विभिन्न व्यवसाय मॉडल विकसित करने पर प्रशिक्षण भी प्रदान करते हैं। उनकी प्रेरणा से कई किसानों की आय भी बढ़ी है और वे प्राकृतिक खेती की ओर रुख भी कर चुके हैं।(एएमएपी)