अभ्यास ‘अस्त्र शक्ति’ के दौरान पहली बार किया गया सफल फायरिंग परीक्षण

खतरे को देख सिंगल और सैल्वो मोड में दो मिसाइलों को लॉन्च करने की क्षमता

भारतीय वायु सेना ने ‘समर’ एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। देश के इन-हाउस डिजाइन और डेवलपमेंट प्रयासों की दिशा में यह बड़ी सफलता है। आईएएफ की ओर से इसे अपने पुराने रूसी मूल के हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणालियों का इस्तेमाल करते हुए विकसीत किया गया है।आईएएफ अधिकारियों ने बताया, ‘भारतीय वायु सेना ने अपने इन-हाउस डिजाइन और डेवलप्ड ‘समर’ एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम का सफल फायरिंग ट्रायल किया। वायु सेना स्टेशन सूर्यलंका में हाल ही में आयोजित अभ्यास अस्त्रशक्ति-2023 के दौरान यह कामयाबी मिली। वायु रक्षा प्रणाली ‘समर’ को भारतीय वायुसेना के मेंटेनेंस कमांड के तहत एक यूनिट की ओर से डेवलप किया गया है।’

हवाई खतरों का करेगी डटकर मुकाबला

यह प्रणाली मैक 2 से 2.5 की गति सीमा पर चलने वाली मिसाइलों के साथ हवाई खतरों का मुकाबला कर सकती है। ‘समर’ प्रणाली में एक ट्विन बुर्ज लॉन्च प्लेटफ़ॉर्म शामिल है, जिसमें खतरे के परिदृश्य के आधार पर सिंगल और सैल्वो मोड में दो मिसाइलों को लॉन्च करने की क्षमता है। सुनिश्चित प्रतिशोध के लिए यह सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है। इसे वायु सेना के 7 बेस रिपेयर डिपो और 11 बेस रिपेयर डिपो ने सिमरन फ़्लोटेक इंडस्ट्रीज और यामाज़ुकी डेन्की के साथ साझेदारी में विकसित किया है। ‘समर’ छोटी दूरी की वायु रक्षा प्रणाली है, जो रूसी मूल की विम्पेल आर-73 और आर-27 हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों का उपयोग करती है।

मारक क्षमता 12 किमी.

भारतीय वायु सेना बेस रिपेयर डिपो (बीआरडी) ने सुनिश्चित प्रतिशोध के लिए सतही वायु मिसाइल (एसएएमएआर) वायु रक्षा प्रणाली विकसित की है, जो नवीनीकृत रूसी आपूर्ति वाली विम्पेल आर-73 ई इन्फ्रारेड निर्देशित हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों (एएएम) से बनी है। सतह से हवा में कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली के रूप में उपयोग करने के लिए मंजूरी दे दी गई है। एयरो इंडिया-2023 में प्रदर्शित की गई ‘समर’ वायु रक्षा प्रणाली ने सभी फायरिंग परीक्षण पूरे कर लिए हैं। यूएवी, हेलीकॉप्टरों और लड़ाकू जेटों से निम्न-स्तरीय उड़ान वाले हवाई लक्ष्यों के खिलाफ इसकी सीमा 12 किमी. है।

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आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने की दिशा में कदम

मालूम हो कि इस मिसाइल सिस्टम का प्रदर्शन पहले ही वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी और वायु सेना वाइस चीफ एयर मार्शल एपी सिंह देख चुके हैं। बता दें कि वायुसेना ने दूसरी हथियार प्रणालियों का भी परीक्षण किया और इसमें अहम सफलता हासिल की। भारतीय वायु सेना आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने को लेकर केंद्र सरकार के निर्देशों के तहत काम कर रही है।

भारतीय वायु सेना के एक अधिकारी ने बताया कि दरअसल, वायु सेना के पास हजारों विम्पेल आर-73 ई की सूची है, जिन्होंने अपनी उड़ान शेल्फ लाइफ पूरी कर ली है। ये अब लड़ाकू जेट से उपयोग करने के लिए सुरक्षित नहीं हैं, इसलिए उन्हें कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली के रूप में एक नई भूमिका ‘समर’ के रूप में दी गई है।(एएमएपी)