आपका अखबार ब्यूरो ।
कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे के बीच हिमाचल, मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान में बड़ी संख्या में पक्षियों की अचानक मौत की खबरों ने हर किसी को चिंता में डाल दिया है। वैसे तो हर साल सर्दी के मौसम में पशु-पक्षियों की मुसीबत बढ़ जाती है लेकिन इस तरह से उनके अचानक मरने की खबरें पहली बार सुनाई पड़ी हैं। पक्षियों की मौतों के बाद शासन शासन-प्रशासन को अलर्ट कर दिया गया है और पक्षियों को बचाने के प्रयास तेज कर दिए गए हैं।
हिमाचल : 1400 प्रवासी पक्षी मरे
हिमाचल प्रदेश के पोंग डैम क्षेत्र में 1400 से अधिक प्रवासी पक्षियों की रहस्यमय स्थिति में मृत्यु हो गई। प्रवासी पक्षियों की रहस्यमयी तरीके से मौत के बाद कांगड़ा जिला प्रशासन ने बांध के जलाशय में तत्काल प्रभाव से सभी तरह की गतिविधियों पर रोक लगा दी है। पक्षियों की मौत के कारणों का पता लगाने के लिए प्रशासन ने भोपाल की हाई सिक्योरिटी एनिमल डिजीज लैब को पक्षियों के सैंपल भेजे हैं।
मध्य प्रदेश : सौ कौवे मरे, दो में मिला एच-5 एन-8 वायरस
मध्य प्रदेश के इंदौर में एक कॉलेज परिसर में 100 से अधिक कौओं की मौत से लोग सकते में हैं। इनमें से दो की जांच में ‘एच-5 एन-8’ वायरस का पता चला है। कौओं में वायरस की जानकारी मिलने के बाद राज्य के लोकस्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अंतर्गत आने वाले पशु चिकित्सा विभाग और अन्य संबंधित विभाग तत्परता के साथ सक्रिय हो गए। मामले की गंभीरता को देखते हुए एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) के अतिरिक्त संचालक डॉ. शैलेष साकल्ले ने इंदौर पहुंचकर पूरे मामले की समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश भी दिए हैं।
गुजरात : जूनागढ़ में 53 पक्षियों की एक साथ मौत
गुजरात में भी 53 पक्षियों की मृत्यु की खबर ने शासन-प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। गुजरात के जूनागढ़ स्थित बांटला गांव में दो जनवरी को 53 पक्षी मृत मिले थे। अभी तक इन पक्षियों की जांच तो नहीं हुई है लेकिन पक्षियों की मौत के पीछे बर्ड फ्लू की आशंका जताई जा रही है।
राजस्थान : 135 कौओं की मौत से चिंताजनक स्थिति
राजस्थान से मिली खबर के अनुसार जयपुर समेत 7 जिलों में 24 घंटों में 135 और कौओं की मौत हो गई है। इस घटना ने प्रशासन के हाथ पांव फुला दिए हैं। राज्य की अशोक गहलोत सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए स्थिति की निगरानी के लिए कंट्रोल रूम बनाया है। इसके अलावा चार संभागों में विशेषज्ञ दल भी भेजे गए हैं। सांभर झील में बड़े पैमाने पर पक्षियों की अचानक मृत्यु की घटना के बाद यह दूसरी सबसे बड़ी मुसीबत सामने आई है।
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