देश में केरल के साथ अन्य राज्यों में भी कोरोना ने रफ्तार पकड़ ली है। पिछले 24 घंटे के दौरान देश में 423 नए मरीज सामने आए हैं। इस अवधि में चार मरीजों ने दम तोड़ दिया। सबसे ज्यादा मरीज 266 केरल में मिले हैं। यहां दो मरीजों को मौत की पुष्टि हुई है। एक मरीज की मौत कर्नाटक और एक मरीज की मौत राजस्थान में हुई है।स्वास्थ्य मंत्रालय के शनिवार को जारी आंकड़ों के अनुसार कोरोना के नए मरीज केरल के अलावा अन्य राज्यों में भी बढ़े हैं। इनमें 22 मरीजों में कोरोना के नए वेरियंट जेएन.1 की पुष्टि हुई है। आंकड़ों के अनुसार कर्नाटक में कोरोना के 70 , महाराष्ट्र में 15, गुजरात में 12, गोवा में 8, आंध्र प्रदेश में 8, तमिलनाडु में 13, उत्तर प्रदेश में 4, तेलंगाना में 8 मरीज सामने आएं हैं। कर्नाटक में कोरोना तेज गति से फैल रहा है।

कोविड-19 के बढ़ते मामलों में के लिए दुनियाभर में तेजी से बढ़ रहे जेएन-1 वैरिएंट को प्रमुख कारण माना जा रहा है। अब तक हुए अध्ययनों में कोरोना के इस वैरिएंट को ओमिक्रॉन के पिछले वैरिएंट्स से मिलता-जुलता ही बताया गया है, पर कुछ बातें हैं जो जेएन-1 वैरिएंट की प्रकृति को खतरनाक बनाती हैं।

अब तक कोरोना संक्रमण से गई 70 लाख जान

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बताया कि 17 दिसंबर तक दुनियाभर में कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या 77 करोड़ से ज्यादा हो चुकी है, वहीं 70 लाख लोगों की अभी तक कोरोना संक्रमण से जान गई है। वैश्विक स्तर पर कोरोना के 1,18,000 मामले नए सामने आए हैं और इनमें से 1600 से अधिक मरीजों को गंभीर हालत है और उन्हें आईसीयू में भर्ती कराना पड़ा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि कोरोना के मामलों में वैश्विक स्तर पर 23 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, वहीं आईसीयू में मरीजों के भर्ती होने में 51 फीसदी का उछाल आया है।

क्या कहते हैं स्वास्थ्य संगठन?

सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) सहित दुनिया के तमाम स्वास्थ्य संगठनों का कहना है कि कोरोनावायरस अपने आपको जीवित रखने के लिए लगातार म्यूटेट हो रहा है। जेएन-1 उसी की एक रूप है। संक्रमण की वर्तमान शीतकालीन लहर ने अचानक से चिंता जरूर बढ़ा दी है पर ज्यादातर रोगियों में इस वैरिएंट के कारण हल्के लक्षण ही देखे जा रहे हैं, बड़ी संख्या में लोग घर पर रहकर ठीक भी हो रहे हैं। हालांकि जेएन-1 में अतिरिक्त म्यूटेशन के कारण इसके कारण तेजी से संक्रमण बढ़ने का जोखिम जरूर देखा जा रहा है।

जेएन-1 वैरिएंट

इस नए सब-वैरिएंट को लेकर हुए अब तक के अध्ययनों से पता चलता है कि जेएन-1 वैरिएंट से संक्रमित लोगों में भी उसी तरह की दिक्कतें देखी जा रही हैं जैसा कि ओमिक्रॉन के पहले के वैरिएंट्स में थी। सीडीसी ने जेएन.1 की प्रकृति पर चर्चा करते हुए एक रिपोर्ट में कहा, लक्षणों के प्रकार और वे कितने गंभीर हो सकते हैं, यह आमतौर पर किसी व्यक्ति की प्रतिरक्षा और समग्र स्वास्थ्य पर निर्भर करता है, न कि वैरिएंट पर। फिर भी ज्यादातर लोगों में बुखार, गले में दर्द-खराश, सर्दी-जुकाम जैसी दिक्कतें ही देखी जा रही हैं।

इनक्यूबेशन पीरियड ने बढ़ाई चिंता

जेएन-1 की प्रकृति को समझने के लिए किए गए अध्ययनों में पाया गया है कि इसका इनक्यूबेशन पीरियड जरूर चिंता का कारण हो सकता है। इनक्यूबेशन पीरियड वह समय होता है जो किसी व्यक्ति के रोग पैदा करने वाले जीव (जैसे बैक्टीरिया, वायरस या कवक) के संपर्क में आने के बाद संक्रमण के लक्षण विकसित होने में लगता है। नए कोरोना वैरिएंट्स में ट्रैक किया गया है कि इनके इनक्यूबेशन पीरियड में क्रमिक गिरावट आई है। सीडीसी द्वारा प्रकाशित शोध में पाया गया कि यह समय औसतन 2 से 3 दिन तक कम हो सकता है।

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विशेषज्ञों की राय

कोरोना के बढ़ते जोखिमों को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, नए वैरिएंट के कारण वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ी है। इसकी प्रकृति को अच्छी तरह से समझने के लिए लगातार शोध किए जा रहे हैं। हम सभी को कोरोना से बचाव के लिए उपायों में कोई असावधानी नहीं बरतनी चाहिए। कोविड एप्रोप्रिएट बिहेवियर का पालन करते रहना जरूरी है, मास्क जरूर पहनें और सावधानी बरतें।(एएमएपी)