आज गद्दारों की संख्या मध्य युग और ब्रिटिश काल से भी ज्यादा
सुरेंद्र किशोर।
जो इतिहास से नहीं सीखता, वह उसे दोहराने को अभिशप्त होता है। आज जिस तरह बाहरी-भीतरी शक्तियां इस देश को टुकड़े-टुकड़े करने या इस पर कब्जा करने की कोशिश कर रही हैं, वैसे में हमें एक बार फिर अपना इतिहास पढ़ लेना चाहिए। हम जानें कि हम क्यों गुलाम बने थे।
क्या आज भी वैसी ही परिस्थितियां तैयार करने की कोशिश नहीं हो रही है? अगले लोकसभा चुनाव में अपार विदेशी पैसे खर्च किए जाएंगे, ऐसे साफ संकेत मिल रहे हैं।
ऐसे में एक ब्रिटिश इतिहासकार का सटीक लेखन हमारी आंखें खोल सकता है। उदारवादी ब्रिटिश इतिहासकार सर जे.आर. सिली (1834-1895) ने लिखा था कि ‘‘हमने नहीं जीता, बल्कि खुद भारतीयों ने भारत को जीत को हमारी प्लेट पर रख दिया।’’ सिली ने लिखा है कि ब्रिटिशर्स ने भारत को कैसे जीता।
मशहूर किताब ‘द एक्सपेंसन ऑफ इंगलैंड’ के लेखक सिली की स्थापना थी कि ‘‘हमने (यानी अंग्रेजों ने) नहीं जीता, बल्कि खुद भारतीयों ने ही भारत को जीत कर हमारी प्लेट पर रख दिया।’’
चौधरी चरण सिंह ने सर जे.आर. सिली की पुस्तक का हिन्दी में अनुवाद करवाकर बंटवाया था। चरण सिंह ने एक तरह से हमें चेताया था कि यदि इस देश में गद्दार मजबूत होंगे तो देश नहीं बचेगा।
मध्य युग में भी वीरता की कमी के कारण हम नहीं हारे। बल्कि आधुनिक हथियारों की कमी और आपसी फूट के कारण हारे।
हमारे राजा अपने विदेशी दुश्मन की माफी को बार-बार स्वीकार कर उसे बख्श देते थे। पर, दुश्मन एक बार भी हमारे शासकों को नहीं बख्शता था।
किसने लिखवाया विकृत इतिहास
आजादी के तत्काल बाद के हमारे हुक्मरानों ने यह सुनिश्चित किया कि ऐसा इतिहास लिखवाया जाए जिसमें हमारे देश के सूरमाओं के शौर्य और वीरता की चर्चा तक नहीं हो। बल्कि एक बड़ी हस्ती ने तो यहां तक लिख दिया कि शिवाजी लुटेरा था और महाराणा प्रताप भगोड़ा।
इस तरह वे इस काम में सफल रहे। उनका तर्क था कि इससे- अर्थात भारत के शौर्य का वास्तविक बखान करने से- हिन्दुत्व पनपेगा। यानी, भले दूसरा धर्म पनप जाए किंतु हिन्दुत्व न पनपे।
यही थी अपने वोट बैंक की रक्षा की उनकी रणनीति। अब उनकी वह रणनीति फेल हो रही है। पर उसने देश का नुकसान तो कर ही दिया। आगे भी कर ही सकता है।
आज स्थिति क्या है?
आज की स्थिति का पता ठीकठाक यानी ईमानदार अध्ययन हो, तो चल जाएगा। वैसे वास्तविक स्थिति यह है कि आज इस देश में गद्दारों की संख्या मध्य युग और ब्रिटिश काल से भी काफी अधिक हो चुकी है। जिन्हें मेरी बात पर विश्वास न हो, वे कम से कम निजी टी.वी.चैनलों के डिबेट्स को ही ध्यान से देख-सुन लें। इस तरह आज उपस्थित भीषण व चौतरफा खतरों के समक्ष इस देश का भगवान ही मालिक है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं। आलेख सोशल मीडिया से साभार)