गुरुवार को साप्ताहिक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान विदेश मंत्रालय ने उन रिपोर्ट्स का खंडन करते हुए कहा है कि हम स्पष्ट रूप से कह सकते हैं कि हमने कोई भी हथियार या गोला-बारूद यूक्रेन को सप्लाई नहीं किया है। अंग्रेजी अखबार ईटी के मुताबिक, रूस ने भारत के सामने यह मुद्दा तब उठाया है जब हाल ही में कई रिपोर्टों में यह दावा किया गया कि भारत, यूक्रेन को 155 मिमी आर्टिलरी शेल्स सप्लाई कर सकता है. रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया था कि भारत हथियार डीलरों के माध्यम से या किसी भागीदार देश की सहायता से यूक्रेन को हथियार सप्लाई करने की संभावना को तलाश रहा है।
यूरोपीय देशों के रास्ते भारत का हथियार पहुंचा यूक्रेनः रिपोर्ट
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया था कि चूंकि, यूक्रेन को गोला-बारूद की सप्लाई करने वाले देशों में भारत शामिल नहीं है. ऐसे में भारत ने स्लोवेनिया या पोलैंड के माध्यम से अपने हथियारों को यूक्रेन भेजा था. सूत्रों के मुताबिक, भारत से यह हथियार यूक्रेन ने नहीं बल्कि किसी तीसरे देश ने खरीदे थे।
रिपोर्ट में कहा गया था कि इसकी पूरी संभावना है कि एक पश्चिमी देश ने भारत से 155 मिमी आर्टिलरी के गोले खरीदे और इसे यूरोपीय देश के रास्ते यूक्रेन को सप्लाई किया. जिस देश ने भारत से यह हथियार खरीदा है, वह नाटो का सदस्य भी है।
पाकिस्तान करता रहा है यूक्रेन को हथियार सप्लाई
फरवरी 2022 में शुरू हुई रूस-यूक्रेन जंग के बाद से ही भारत ने यह स्टैंड लिया है कि वह तटस्थ है और यूक्रेन विवाद को बातचीत के माध्यम से हल किया जाना चाहिए. इसके अलावा भारत ने रूस की निंदा करने से भी परहेज किया है. हालांकि, भारत ने यूक्रेन को मानवीय सहायता भेजी है और पुनर्निमाण के उद्देश्य से हुए सम्मेलनों में भाग भी लिया है। वहीं, युद्ध की शुरुआत के बाद से ही पाकिस्तान पश्चिमी देशों के इशारे पर पोलैंड या जर्मनी के माध्यम से यूक्रेन को हथियार सप्लाई करने में आगे रहा है. यहां तक कि ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय ने यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति के लिए पाकिस्तान आयुध बोर्ड के साथ एक समझौता भी किया था।
जून 2023 में पाकिस्तान ने अमेरिकी जहाज की मदद से जॉर्डन और पोलैंड के रास्ते यूक्रेन को अपने हथियार भेजे थे. पाकिस्तान द्वारा भेजे गए हथियारों में एयर डिफेंस व्हिकल, मल्टीपल बैरल रॉकेट लॉन्चर, रिकवरी व्हिकल, कारतूस और स्पेयर पार्ट्स शामिल थे।
भारत ने क्या कहा?
रूस की ओर से भारत पर लगाए गए आरोपों को भारतीय विदेश मंत्रालय ने सिरे से खारिज कर दिया है. गुरुवार को साप्ताहिक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान विदेश मंत्रालय ने उन रिपोर्टों का खंडन किया है कि भारत ने यूक्रेन को गोला-बारूद निर्यात किए थे। रूस की ओर से लगाए गए आरोपों से जुड़े सवालों का जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “हम स्पष्ट रूप से कह सकते हैं कि हमने कोई भी आर्टिलरी यूक्रेन को सप्लाई नहीं किया है. ना ही हमने निर्यात किया है और ना ही हमने भेजा है।
युद्ध-सामग्री की आपूर्ति के आरोप खारिज
भारत ने पहले भी स्पष्ट कर रखा है कि यूरोपीय देशों के बीच होने वाले तनाव में वह तटस्थ रहने की नीति पर चलता है और गुरुवार को भी विदेश मंत्रालय ने कुछ ऐसे ही संकेत दिए। खास तौर पर यूक्रेन को किसी भी तरह के युद्ध-सामग्री की आपूर्ति के आरोपों को खारिज किया है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल से यूक्रेन में मिले भारत निर्मित तोप के गोलों के बारे में पूछा गया तो उनका जवाब था कि हमने यूक्रेन को कभी किसी भी तरह के हथियारों का निर्यात नहीं किया है।
जयशंकर और कुलेबा के बीच टेलीफोन पर चर्चा
एक दिन पहले ही विदेश मंत्री एस जयशंकर और यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रि कुलेबा के बीच टेलीफोन पर हुई चर्चा का भी जिक्र किया कि किस तरह से दोनो देशों के बीच आपसी सामंजस्य बढ़ाने की कोशिश हो रही है। जयशंकर और कुलेबा के बीच दोनो देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए गठित अंतर-सरकारी समिति की बैठक जल्द से जल्द बुलाने को लेकर भी सहमति बनी है।
पीएम मोदी और जेलेंस्की के बीच मुलाकात
यह समिति आर्थिक, सांस्कृतिक, तकनीक व दूसरे क्षेत्रों में सहयोग का एजेंडा तय करने के लिए गठित की गई है। लेकिन वर्ष 2018 के बाद इसकी कोई बैठक नहीं हुई। मई, 2023 में जापान में पीएम नरेन्द्र मोदी और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदोमीर जेलेंस्की के बीच मुलाकात में समिति की बैठक फिर से शुरू करने की सहमति बनी थी। यूक्रेन के सोशल मीडिया में यूक्रेन की सेना की तरफ से भारत निर्मित तोप के गोलों (155 एमएम) के इस्तेमाल के वीडियो को लेकर विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि उनकी सच्चाई संदेहास्पद है।
हथियारों की कमी से जूझ रहा यूक्रेन
अभी यूक्रेन सेना के पास तोप के गोलों की भारी कमी है। स्थिति यह है कि यूरोपीय देशों के पास जो पुराने (इस्तेमाल करने की तिथि समाप्त हो चुके) तोप के गोल पड़े हैं उनकी भी आपूर्ति यूक्रेन की सेना को की जा रही है। यह भी समाचार है कि अमेरिकी व यूरोपीय देशों की एजेंसियां तीसरे देशों से इन तोप के गोलों की खरीद कर उसे यूक्रेन की तरफ भेज रही हैं।(एएमएपी)