चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग पिछले कुछ वक्त से घरेलू मोर्चे पर संघर्ष कर रहे हैं। अर्थव्यवस्था और बेरोजगारी से जूझ रहे चीनी राष्ट्रपति अब नया देशभक्ति का कानून ही लेकर आए हैं। सरकार को लगता है कि चीन के लोग अब देशभक्ति को तरजीह नहीं दे रहे हैं, इसलिए देशभक्ति शिक्षा कानून को अमल में लाया गया है। ये कानून अगले हफ्ते से चीन में लागू किया जाएगा।गौरतलब है कि रोजगार के कम होते अवसरों को देखकर बड़ी संख्या में चीनी नागरिक नौकरी के लिए दूसरे देशों का रूख भी कर रहे हैं। देश में कई जगहों पर बेरोजगारी को लेकर प्रदर्शन भी हुए हैं। इन सबके बीच चीनी सरकार को लग रहा है कि नागरिकों में देशभक्ति की भावना अब पहले जैसी नहीं रही है। इसे देखते हुए राष्ट्रपति ने एक नया देशभक्ति कानून लागू करने का फैसला किया है। इस कानून को पूरे देश में लागू किया जाएगा और स्कूली बच्चों को राष्ट्रभक्ति की शिक्षा दी जाएगी।
Chinese President Xi Jinping gave an important address at the Central Conference on Work Relating to Foreign Affairs in Beijing at the end of December.https://t.co/HHauDtK9qh
— IOL News (@IOL) January 8, 2024
स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल होगा देशभक्ति कानून
सत्ताधारी चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी ने इसे कामकाजी लोगों के साथ स्कूली बच्चों के लिए भी इसे अनिवार्य बनाया है। इसका मकसद सभी वर्ग के लोगों के विचारों में एकरूपता लाना है, ताकि लोगों की ताकत को एक मजबूत और राष्ट्रवादी देश बनाने में इस्तेमाल किया जा सके। चीन के विभिन्न स्कूलों में बच्चों को राष्ट्रपति शी जिनपिंग के विचारों का पाठ पढ़ाया जा रहा है। इसके अलावा बच्चों को उन जगहों का दौरा भी कराया जा रहा है, जो विदेशी आक्रमण के समय चीनी लोगों के प्रतिरोध का प्रतीक हैं।
चीन के लोगों को एकजुट करने की कोशिश
सरकारी अधिकारी ने कानून के बारे में कहा कि इस कानून का मकसद चीन के राष्ट्रीय विचारों को एकजुट करने की है। हम एक मजबूत देश के निर्माण और राष्ट्रीय कायाकल्प के लिए अपने नागरिकों की ताकत को इकट्ठा करने के लिए है। बता दें कि कोरोना महामारी के बाद से चीन की अर्थव्यवस्था लगातार मुश्किल दौर से गुजर रही है। देश में बेरोजगारी काफी बढ़ गई है और युवाओं में रोजगार के अवसर नहीं होने की वजह से काफी परेशान हैं। देश का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर भी मुश्किल हालात झेल रहा है।
पश्चिमी देशों से तनाव के बीच
सूत्रों का कहना है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का इरादा अपने देश को दुनिया में सबसे ज्यादा ताकतवर बनाने का है। पश्चिमी देशों से तनाव के बीच वह इसके लिए तमाम संभव उपाय कर रहे हैं और इसी के तहत ‘वोल्फ वॉरियर’ डिप्लोमैसी का भी सहारा लिया जा रहा है। बीते कुछ अरसे से चीन के अमेरिका के साथ संबंध भी सामान्य नहीं रहे हैं।
सोशल मीडिया पर नकेल
सोशल मीडिया पर भी इस अल्ट्रा-नेशनलिज्म का झंडा बुलंद है। यहां कंटेंट क्रिएटर हों या फिर कॉमेडियन चाहे कोई विदेशी ब्रांड, अगर किसी ने चीन को नीचा दिखाने की हिमाकत की तो उसे भारी विरोध का सामना करना पड़ेगा। सिर्फ इतना ही नहीं, उसका बहिष्कार होना भी तय है। नए नियमों का मकसद शी जिनपिंग की कोशिशों को लोगों की पब्लिक और प्राइवेट लाइफ के अंदर तक ले जाना है।
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बढ़ेंगी चुनौतियां
विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में चीन के सामने चुनौतियां बढ़ेंगी। इसीलिए वह कानूनों के जरिए लोगों को नियंत्रण में रखना चाहता है। सोशल मीडिया पर लोगों के ऊपर अच्छी-खासी नकेल है, लेकिन आने वाले वक्त में चीन के लिए सबकुछ इतना आसान नहीं होगा। यूनिवर्सिटी ऑफ नॉटिंघम में चाइनीज पॉलिटिक्स के प्रोफेसर जोनाथन सुलिवान ने कहा कि अगर लंबे समय तक आर्थिक मंदी बनी रहती है तो चुनौतियां बढ़ सकती हैं। चीन में यह यह सुनिश्चित करने के लिए काम हो रहा है कि राजनीतिक ढंग से सही सोचने का तरीका पूरी तरह से बंद हो जाए। पार्टी के लिए लोगों को अपनी तरफ करने का बस एक ही रास्ता है कि अगर आप चीन से प्यार करते हैं, तो आपको पार्टी से प्यार करना चाहिए।(एएमएपी)