मांझे की चपेट में आए वाहन चालक

मक्रर संक्रांति के पर्व पर पतंगबाजी के शौक ने गुजरात में 7 लोगों की जान ले ली। पतंग के मांझे की चपेट में आने से लोगों की मौत हुई है। गुजरात में मकर संक्रांति (उत्तरायण) पर पतंगबाजी को त्योहार का हिस्सा माना जाता है। दान-पुण्य के साथ ही पतंगबाजी और स्थानीय व्यंजन का लुत्फ उठाने की परंपरा है।उत्तरायण का त्योहार इस साल भी खूनी बन गया। राज्य के दाहोद, पंचमहाल, भावनगर और वलसाड में सात लोगों की जान जाने की खबर है। इस पर्व के पहले भी सूरत में एक युवती की जान पतंग के मांझे की चपेट में आने से हो गई थी। दाहोद के कंथोलिया में 10 वर्षीय बालक सिद्धार्थ (कक्षा 5 का छात्र) पतंग लूटने के दौरान अपनी जान गंवा बैठा। बालक बिजली के तार में फंसे पतंग को उतारने की कोशिश कर रहा था, जिस दौरान उसे तेज झटका लगा, जिससे उसकी जान चली गई।

वलसाड के खाटकीवाल में पतंग उड़ाने के दौरान 6 वर्षीय बालक छत से नीचे गिरा। इससे उसकी मौत हो गई। पंचमहाल में पतंग के मांझे के कारण 7 वर्षीय बालक तरुण माछी का गला लहूलुहान हो गया। उसे शीघ्र अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई। वह अपने मामा के यहां से अपने घर लौट रहा था, जिस दौरान वह मांझे की चपेट में आ गया। वडोदरा में वाघोडिया रोड के पास परिवार चौराहे पर चाइनीज मांझे की चपेट में आने से 20 वर्षीय अनिकेत की मौत हो गई। वह टू व्हीलर से जा रहा था, लेकिन गले में मांझा फंसने के कारण जान गंवानी पड़ी। इसी तरह राजकोट में छत से नीचे गिरने से युवक की मौत हो गई।

‘तमसो मा ज्योतिर्मय’ का पावन संदेश देता मकर संक्रांति पर्व

मकर संक्रांति के 45 दिन पहले से ही मांझे का कहर शुरू हो गया था। खेड़ा जिले के मातर में 25 नवंबर को बाइक चालक 27 वर्षीय युवक के गले में मांझा फंस गया, जिससे उसकी जान चली गई थी। 8 जनवरी को नडियाद में मांझे के कारण 25 वर्षीय युवती की जान चली गई थी। इसके अलावा 11 जनवरी को सूरत में एक युवती वराछा ब्रिज से जा रही थी, इसी दौरान मांझा गले में फंसने से उसकी मौत हो गई।(एएमएपी)