रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान का बुधवार को दूसरा दिन है। अयोध्या में भगवान श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए अनुष्ठान मंगलवार से प्रारंभ हुआ। रामलला की प्रतिमा 18 जनवरी को गर्भगृह में निर्धारित आसन पर स्थापित कर दी जाएगी। पिछले 70 वर्षों से पूजित वर्तमान प्रतिमा को भी नए मंदिर के गर्भगृह में ही रखा जाएगा। 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला मंदिर में विराजमान होंगे। इस दिन प्राण प्रतिष्ठा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होंगे।

डॉ. अनिल मिश्र बनेंगे यजमान

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य यजमान श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य डॉ.अनिल मिश्र हैं। यजमान के रूप में उन्होंने मंगलवार को प्रायश्चित पूजन में हिस्सा लिया। अब वे सात दिनों तक यजमान की ही भूमिका में रहेंगे। प्राण प्रतिष्ठा कराने वाले कर्मकांडी ब्राह्मणों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सीएम योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, राममंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास, संघ प्रमुख मोहन भागवत और डॉ. अनिल मिश्र सपत्नीक मुख्य आयोजन के समय 22 जनवरी को उपस्थित रहेंगे। प्रधानमंत्री मोदी गर्भगृह में अपने हाथ से कुशा और श्लाका खींचेंगे। उसके बाद रामलला प्राण प्रतिष्ठित हो जाएंगे। इसके बाद पीएम मोदी भोग अर्पित करने के साथ ही आरती भी करेंगे।
राम मंदिर अभिषेक समारोह के मुख्य यजमान अनिल मिश्रा को 10 अलग-अलग तरीकों से स्नान कराया जाएगा। राम मंदिर के वैदिक पुजारी सुनील लक्ष्मीकांत दीक्षित ने बताया कि, “प्राण प्रतिष्ठा समारोह में लगभग 150 विद्वान भाग लेंगे। यजमान की शुद्धि के लिए ‘प्रायश्चित’ प्रार्थना की गई। विष्णु पूजा और गोदान भी किया जाएगा। मूर्ति को साफ करने के बाद इसे मंदिर की ओर ले जाया जाएगा।”

बिस्तर का भी त्याग करेंगे पीएम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राम लला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करनी है। इसके लिए वह 11 दिनों के अनुष्ठान पर हैं। इसके आलाव, पीएम मोदी ने खुद ट्रस्ट से रीति-रिवाजों के बारे में पूछा है। प्रधानमंत्री 11 दिनों से उपवास कर रहे हैं। इस दौरान वह नियमों का पालन कर रहे हैं। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से तीन दिन पहले वह पीएम मोदी बिस्तर पर नहीं सोएंगे। इस दौरान वह कठोर उपवास रखेंगे और केवल फलों का सेवन करेंगे। पीएम मोदी लकड़ी की चौकी या खाट पर सिर्फ कंबल बिछाकर सोएंगे।
जटायु की मूर्ति पूजा करेंगे पीएम मोदी

प्राण प्रतिष्ठा के लिए यम नियमों का पालन कर रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राममंदिर परिसर में बने जटायु की मूर्ति की पूजा करेंगे। इस मूर्ति की स्थापना विशेष रूप से मंदिर आंदोलन में अपना जीवन न्योछावर करने वाले बलिदानियों की स्मृति में की गई। पूजा के समय कारसेवा में शहीद हुए बलिदानियों के परिजन भी मौजूद रहेंगे। इसी दिन मोदी मंदिर निर्माण में जुटे मजदूरों के साथ संवाद भी करेंगे। बताया गया है कि यम नियम और पूजा पद्धति के मुताबिक पीएम 19 से 21 जनवरी तक पूर्ण रूप से फलाहार पर निर्भर रहेंगे। प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन उन्हें पूर्ण उपवास करना होगा। इस दौरान शास्त्रों के नियमों के मुताबिक वे चुनिंदा मंत्रों का जाप करेंगे।

22 को खुलेगी मूर्ति की आंखों पर बांधी गई पट्टी

बुधवार यानी आज रामलला की मूर्ति परिसर में प्रवेश करेगी और मूर्ति को परिसर का भ्रमण कराया जाएगा। फिर मंदिर परिसर में बने यज्ञ मंडप में अनुष्ठान शुरू होंगे। मंगलवार को करीब तीन घंटे तक प्रायश्चित पूजा हुई। इसके बाद यजमान को सरयू स्नान कराया गया। मूर्ति निर्माण स्थल की भी पूजा हुई। चयनित मूर्ति का शुद्धीकरण करते हुए उनकी आंखों पर पट्टी बांधी गई है, यह पट्टी 22 जनवरी को खोली जाएगी।

पीएम मोदी की अपील, घर पर जश्न मनाएं, बाद में आएं अयोध्या

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से अपील की है कि जो भी लोग 22 जनवरी को राम मंदिर अभिषेक समारोह के लिए अयोध्या आने के लिए उत्सुक हैं, उन्हें अपनी सुविधा के अनुसार बाद में आना चाहिए। 22 जनवरी को हर किसी के लिए अयोध्या पहुंचना बहुत मुश्किल है। राम भक्तों से हाथ जोड़कर उन्होंने अनुरोध है कि 22 जनवरी को अनुष्ठान के साथ कार्यक्रम समाप्त होने के बाद वे अपनी सुविधा के अनुसार 23 जनवरी के बाद अयोध्या आ सकते हैं।

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कौन है डॉ. अनिल मिश्र

प्राण प्रतिष्ठा का मुख्य यजमान का सौभाग्य प्राप्त करने वाले डॉ. अनिल मिश्र श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य हैं। वे 1979 से संघ से जुड़े हुए हैं। मूलरूप से अंबेडकरनगर के ग्राम पतोना निवासी हैं। जौनपुर के पीडी बाजार स्थित जयहिंद इंटर कॉलेज से माध्यमिक स्तर की पढ़ाई की। फिर डॉ. बृजकिशोर होम्योपैथिक कॉलेज में पढ़ने फैजाबाद आ गए। डॉक्टरी की पढ़ाई में कुछ दिन ही बीते थे कि होम्योपैथी को एलोपैथी के समानांतर प्रतिष्ठा दिलाने का आंदोलन छिड़ गया। अनिल मिश्र भी आंदोलन में कूद पड़े, जिसके चलते उन्हें जेल तक जाना पड़ा। (एएमएपी)