आपका अखबार ब्यूरो। 
तृणमूल कांग्रेस में राजनीतिक बगावत अब पार्टी से निकल कर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के घर में पहुंच गई है। तृणमूल से हाल ही में भाजपा गए सुवेन्दु अधिकारी की भविष्यवाणी सही साबित हो सकती है। उन्होंने कहा था कि जल्दी ही हरीश मुखर्जी रोड पर भी कमल खिलेगा। बताते चलें कि हरीश मुखर्जी रोड पर ममता बनर्जी का पैतृक निवास है। वहीं उनके भाई रहते हैं। तृणमूल कांग्रेस के दूसरे नेताओं की तरह उनको भी अभिषेक बनर्जी के बढ़ते प्रभाव से समस्या है।

वंशवाद की राजनीति

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अंदर बाहर हर तरफ से घिरती हुई नजर आ रही हैं। पार्टी के अंदर बगावत का सिलसिला रुक नहीं रहा। अब तो घर में भी बगावत के सुर सुनाई देने लगे हैं। उनके भाई कार्तिक बनर्जी कह रहे हैं कि वे राज्य से वंशवाद की राजनीति खत्म करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें ऐसे नेता पसंद नहीं हैं जो बात तो जनता के विकास की करते हैं, पर सत्ता में आने पर अपने परिवार का ही विकास करने लगते हैं। उन्होंने अपने बयान में किसी का नाम नहीं लिया। समझा जा रहा है कि यह अभिषेक बनर्जी और ममता पर परोक्ष हमला है।
Rebellion In Mamata's Own Family: Nephew Leads Doctors' Protest Against State Government

अभिषेक के बढ़ते प्रभाव से नाराज

At 2, nephew promised Mamata he would avenge attack on her - Telegraph Indiaक्या वे भाजपा में शामिल होने जा रहे हैं? इस सवाल का उन्होंने कोई सीधा जवाब न देकर कहा कि वे सामान्य रूप से वंशवाद की राजनीति के बारे में बोल रहे हैं। कार्तिक ने कहा कि यह नहीं भूलना चाहिए कि संतों ने क्या कहा है। नेताओं को पहले आम लोगों के बारे में सोचना चाहिए उसके बाद अपने परिवार के बारे में। ऐसा न करके जनता की सेवा की बात करना पाखंड है। तृणमूल सूत्रों की मानें तो वे भी अभिषेक के बढ़ते प्रभाव से नाराज हैं।

राजबंशी मुसलमानों की शर्तें

परिवार और पार्टी में अंसतोष तो है ही अब मतदाता के उस वर्ग से ममता के लिए बुरी खबर है, जिस पर उन्हें सबसे ज्यादा भरोसा है। सूबे के मुसलिम समुदाय का एक वर्ग चुनाव में समर्थन के लिए शर्तें रख रहा है। बंगाल के राजबंशी मुसलमानों ने अल्टीमेटम दे दिया है कि ममता सरकार उनके समुदाय के विकास के लिए अलग बोर्ड बनाए नहीं तो वे तृणमूल कांग्रेस को वोट नहीं देंगे। बुधवार को जलपाईगुड़ी में हुई नस्य शेख उन्नयन परिषद की बैठक में इस आशय का प्रस्ताव पास किया गया। परिषद की सेंट्रल कमेटी के सचिव अमीनुल शेख ने कहा कि राज्य सरकार यदि विधानसभा चुनाव से पहले विकास बोर्ड का गठन नहीं करती है तो वे तृणमूल को वोट नहीं देंगे। शेख ने कहा कि प्रदेश में राजबंशी मुसलमानों की संख्या करीब बयालीस लाख है।

दलित मतुआ समुदाय पहले से खफा

Bengal Assembly Elections 2021 The matua community is important for all political parties in West Bengal

लोकसभा चुनाव में भी राजबंशी मुसलमान समुदाय ममता से नाखुश था। राजबंशी मुसलमानों के एक वर्ग ने लोकसभा चुनाव में भाजपा को वोट दिया था। इस बार उनके सामने असदउद्दीन ओवैसी की पार्टी भी होगी। राजबंशी मुसलमानों ने समर्थन मांगने गए तृणमूल कांग्रेस के नेता से भी ये बातें कहीं। यह खबर ममता बनर्जी को परेशान करने वाली है। राज्य का दलित मतुआ समुदाय पहले से ही उनसे खफा है। भाजपा मतुआ समुदाय पर काफी समय से डोरे डाल रही है। लोकसभा चुनाव में उसे इसका लाभ भी मिला था।