जिस घड़ी का सभी को बेसब्री से इंतजार था, वो घड़ी अब कल आने वाली है। सोमवार 22 जनवरी का दिन इतिहास के सुनहरे पन्‍नों में दर्ज होने वाला है। अयोध्या में भव्य राम मंदिर में कल भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होनी जा रही है। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों यह कार्यक्रम होगा। लेकिन इन सब के बीच हमें उन गुमनाम चेहरों को भी याद करना होगा, जो इस आंदोलन की मुखर आवाज थे। या यूं कहें कि कई सालों पहले इन लोगों ने जो अलख जलाई आज उसी के कारण अयोध्‍या में भगवान श्रीराम का भव्‍य मंदिर बनने का सपना साकार हो सका।

गौरतलब है कि 1980 के दशक के दौरान आरएसएस-भाजपा के एजेंडे में राम मंदिर मुद्दा शीर्ष पर था। तमिलनाडु के एक गांव में सामूहिक धर्म परिवर्तन की घटना ने इस आंदोलन को तेज कर दिया। भारतीय जनता पार्टी ने इस मुद्दे को पूरे जोर-शोर से उठाया। विभिन्न चुनावों में भागवा पार्टी ने अपने घोषणा पत्रों में इसे शामिल करते हुए अपनी प्रतिबद्धता बार-बार दोहराई है। नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ कर दिया था। वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस), विश्व हिंदू परिषद, भाजपा, बजरंग दल और संबंधित संगठनों ने राम जन्मभूमि आंदोलन को एक शक्तिशाली सामाजिक-राजनीतिक अभियान बनाने के लिए अपनी संगठनात्मक ताकत लगा दी थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर की आधारशिला रखी थी। आइए यहां हम अयोध्या राम जन्मभूमि आंदोलन के 10 बड़े चेहरों के बारे में बताते हैं।

लालकृष्ण आडवाणी

अयोध्या राम जन्मभूमि अभियान ने बीजेपी के दिग्गज नेता लाल कृष्ण आडवाणी को हिंदुत्व का असली ‘पोस्टर-बॉय’ बना दिया। उन्होंने 1990 में गुजरात के सोमनाथ मंदिर से अयोध्या में राम जन्मभूमि स्थल तक एक राष्ट्रव्यापी रोड शो शुरू किया। उन्होंने रथ यात्रा निकाली। आडवाणी ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए जन समर्थन जुटाया। लेकिन उनके अयोध्या पहुंचने से पहले ही बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने समस्तीपुर जिले में उनकी गिरफ्तारी का आदेश दे दिया। इसके ठीक दो साल बाद आडवाणी बाबरी मस्जिद स्थल के पास पहुंच गए। वह वीएचपी के आह्वान पर अयोध्या पहुंचे थे। इसी दिन बाबरी मस्जिद का विध्वंस कर दिया गया था। आडवाणी अभी भी आपराधिक मुकदमे का सामना कर रहे हैं।

अशोक सिंघल

अशोक सिंघल विश्व हिंदू परिषद के एक कद्दावर नेता थे। उन्होंने राम जन्मभूमि आंदोलन के लिए जन समर्थन जुटाने में अपनी संपत्ति समर्पित कर दी थी। कई लोगों के लिए वह राम मंदिर आंदोलन के मुख्य वास्तुकार थे। वह 2011 तक वीएचपी प्रमुख थे। उन्होंने खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया था। नवंबर 2015 में उनका निधन हो गया।

प्रमोद महाजन

प्रमोद महाजन भाजपा के लिए किसी चाणक्य से कम नहीं थें। उन्हें वाजपेयी-आडवाणी की भाजपा का सबसे बड़ा राजनीतिक रणनीतिकार माना जाता था। उनके सुझाव पर ही आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक पदयात्रा करने का अपना मूल विचार छोड़ दिया। 1990 में भाजपा महासचिव प्रमोद महाजन ने आडवाणी को रथयात्रा करने की सलाह दी थी। उन्होंने दीन दयाल उपाध्याय की जयंती 25 सितंबर या गांधी जयंती 2 अक्टूबर के दिन यात्रा शुरू करने का भी सुझाव दिया था। आडवाणी ने अपनी 10,000 किलोमीटर लंबी यात्रा के लिए 25 सितंबर का दिन चुना। वह प्रमोद महाजन ही थे जिन्होंने उस समय भाजपा के उभरते हुए संगठनात्मक नेता नरेंद्र मोदी की मदद से रथयात्रा की योजना बनाई और उसे अंजाम तक पहुंचाया था।

उमा भारती

भाजपा उपाध्यक्ष और नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री रहीं उमा भारती राम मंदिर आंदोलन की सबसे प्रभावशाली महिला नेता थीं। लिब्रहान आयोग ने उन्हें बाबरी मस्जिद के विध्वंस में उनकी भूमिका के लिए भीड़ को उकसाने के लिए दोषी ठहराया था। भाजपा नेताओं द्वारा राम मंदिर भूमि पूजन को पार्टी के विशेष कार्यक्रम के रूप में पेश करने की कोशिश के बीच उमा भारती ने मंगलवार को कहा कि भगवान राम किसी एक पार्टी की संपत्ति नहीं हैं और सभी के हैं।

मुरली मनोहर जोशी

मुरली मनोहर जोशी 1980 और 1990 के दशक के दौरान भाजपा के “प्रोफेसर” थे। 1992 में जब बाबरी मस्जिद ढहाई गई तब मुरली मनोहर जोशी आडवाणी के साथ थे। वह भी इस मामले में मुकदमे का सामना कर रहे हैं। बाबरी मस्जिद के गिरने के बाद उमा भारती को गले लगाते हुए जोशी की एक तस्वीर ने उस समय देश का ध्यान खींचा था।

कल्याण सिंह

उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री के रूप में कल्याण सिंह अयोध्या अभियान के क्षेत्रीय क्षत्रप थे। 6 दिसंबर 1992 को जब बाबरी मस्जिद ढहाई गई तब वह सीएम की कुर्सी पर थे। उन्होंने मस्जिद की ओर बढ़ रहे कारसेवकों के खिलाफ बल प्रयोग नहीं करने के यूपी सरकार के फैसले का बचाव किया। बाद में, उन्हें भाजपा के शीर्ष नेतृत्व का समर्थन नहीं मिला और यहां तक कि उन्होंने अपना अलग संगठन बनाने के लिए विद्रोह भी कर दिया। लेकिन वह भाजपा में लौट आए और उन्हें राज्यपाल पद से पुरस्कृत किया गया।

साध्‍वी ऋतंभरा

राम मंदिर आंदोलन में साध्वी ऋतंभरा एक फायरब्रांड हिंदुत्व नेता थीं। वह अयोध्या राम जन्मभूमि अभियान के पहचाने जाने योग्य महिला चेहरे के रूप में उमा भारती के बाद ही थीं। उनके भाषणों के ऑडियो कैसेट खूब बिके।

प्रवीण तोगड़िया

प्रवीण तोगड़िया राम मंदिर अभियान के एक और विस्फोटक नेता थे। उन्होंने आक्रामक भाषणों के दम पर अपनी हिंदुत्ववादी छवि बनाई। अशोक सिंघल के बाद उन्होंने वीएचपी की कमान संभाली। लेकिन भाजपा में आडवाणी का प्रभाव कम होने के साथ ही तोगड़िया ने खुद को संघ परिवार में किनारे पर पाया।

विनय कटियार

विनय कटियार बजरंग दल के तेजतर्रार नेता थे। राम मंदिर आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए 1984 में बजरंग दल अस्तित्व में आया था। कटियार इसके प्रथम अध्यक्ष थे। 1992 के बाद उनका राजनीतिक कद बढ़ता गया। वे भाजपा के महासचिव बने। उन्होंने राज्यसभा और लोकसभा दोनों में सदस्य के रूप में कार्य किया। वे फैजाबाद (अब अयोध्या) के सांसद के रूप में तीन बार संसद गए।

चित्रकूट में प्राप्त हुआ राम को रामत्व, यहीं रची बसी राम कथा

विष्णु हरि डालमिया

विष्णु हरि डालमिया हिंदुत्व राजनीति में गहरी रुचि रखने वाले उद्योगपति थे। उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने विहिप में विभिन्न पदों पर कार्य किया। वह बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में सह-अभियुक्तों में से एक थे। जनवरी 2019 में 91 वर्ष की आयु में उनके दिल्ली स्थित घर पर उनका निधन हो गया।(एएमएपी)