डॉ. मयंक चतुर्वेदी।

मध्य प्रदेश के शहडोल जिले में बुढ़ार थाना क्षेत्र के ग्रीन बेल्स में छात्र को जय श्रीराम का नारा लगाना इतना कष्‍टप्रद हो गया कि शिक्षक ने छात्र की निर्ममता से पिटाई कर दी। सोचनेवाली बात है कि यह उस घड़ी में हो रहा है जब देश ही नहीं विश्‍व राम मय है, केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों को 22 जनवरी का अवकाश दे रही है। मध्‍यप्रदेश समेत कई राज्‍य सरकारें भी भगवान श्रीराम के विगृह देव स्‍थापना और अयोध्‍या में भव्‍य श्रीराम मंदिर निर्माण के अवसर पर शासनावकाश घोषित कर रही हैं, तो दूसरी ओर इस तरह की घटनाएं होना सामने आ रहा है, जिसमें कि भगवान श्रीराम के नाम को सुनते ही जिसके पास किसी भी प्रकार की ताकत है वह आग बबूला हो जा रहा है। अभिव्‍यक्‍ति के स्‍तर पर वह सामने वाले के साथ हिंसा तक पर उतारू देखा जा रहा है।

यह शहडोल में घटी घटना क्‍या इंगित कर रही है? सोचिए, इन्‍हें किसी का भय है, जो इस प्रकार का ये व्‍यवहार कर रहे हैं। मुख्यमंत्री मोहन यादव जी आपने कहा, अयोध्या में नए राम मंदिर का निर्माण ‘अखंड भारत’ या अविभाजित भारत की दिशा में एक कदम है। अगर ईश्वर ने चाहा तो अखंड भारत का विस्तार अफगानिस्तान तक होगा। , ‘यह भगवान की इच्छा है, भगवान राम के मंदिर का निर्माण निश्चित रूप से ‘अखंड भारत’ की दिशा में एक बड़ा कदम है।’ यह देश के नागरिकों के लिए सौभाग्य की बात है, मंदिर ‘1990-1992 से 30-32 वर्षों के संघर्ष’ के बाद बन रहा है। कई पीढ़ियों ने लगभग 500 वर्षों तक मंदिर के लिए संघर्ष किया। सम्राट विक्रमादित्य द्वारा इस स्थान पर बनाया गया भगवान राम का पहला मंदिर ‘दुश्मनों की आंखों में कांटा’ था, और जब भारत बुरे समय से गुजर रहा था, तो ‘अत्याचारियों ने इसे नष्ट कर दिया’। इसी तरह, भारत ने सिंध खो दिया, पंजाब विभाजित हो गया और 1947 में विभाजन के बाद पाकिस्तान का गठन हुआ। अब ‘ईश्वर ने चाहा तो आज नहीं तो कल फिर से अखंड भारत बनेगा; न केवल सिंध या पंजाब बल्कि अफगानिस्तान तक। यह हम सभी की इच्छा है कि हम ननकाना साहिब के दर्शन कर सकें।’

एक तरफ मुख्‍यमंत्री मोहन जी, आप भविष्‍य के भारत को लेकर इतनी अच्‍छी मंशा व्‍यक्‍त कर रहे हैं, वहीं इस सोच के विपरीत सोचनेवालों की कमी मप्र में नहीं दिखती और वे कभी भी नहीं चाहते कि अमन, शांति एवं परस्‍पर सभी के बीच स्‍नेह भाव बना रहे। ऐसे दुष्‍ट और दुराचारी लोग आज श्रीराम का नाम लेने पर भी आपत्‍त‍ि ले रहे हैं। चहुंओर राममय वातावरण के बीच सातवीं कक्षा के छात्र द्वारा जय श्रीराम कहना क्‍या इतना बड़ा अपराध था कि अब्दुल वाहिद जैसे शिक्षकों को नागवारा गुजरे और वे छात्र की बेदम पिटाई कर दें? और यदि ऐसा है तो सोचिए, यह सोच कहां से आती है, जिसमें दूसरे के मत, पंथ, धर्म को स्‍वीकारना तो छोडि़ए, उसके द्वारा अपने आराध्‍य का नाम लेना और सुनना भी आप नहीं चाहते हैं, आप तुरंत हिंसा करने पर उतर आते हैं।

यह तो भला हो इस बालक के परिजन सचेत और जागृत हैं, नहीं तो कई बच्‍चों के साथ प्रदेश में बुरी घटनाएं स्‍कूल में घट रही हैं, किंतु वे और उनके परिजन थाने तक नहीं पहुंचते और न ही स्‍कूल प्रशासन के सामने विरोध जताते हैं । कुछ बड़ा हो भी जाए तो कई बार देखा गया है कि स्‍कूल के दिए गए फीस माफ कर देने जैसे लालच में पड़कर वे बच्‍चे को उसके साथ हुए बुरे बर्ताव की शिकायत तक नहीं करने देते हैं। यह तो अच्‍छा है कि मध्‍यप्रदेश का बाल संरक्षण आयोग और केंद्र का बाल आयोग लगातार ऐसे मामलों पर गंभीर है । पर आप देखिए, जो मामले लगातार प्रकाश में आ रहे हैं, आखिर में उनमें हो क्‍या रहा है। किसी को भी मुख्‍यमंत्री मोहन जी, गलत करने से पूर्व मप्र सरकार का कोई भय हो, ऐसा बिल्‍कुल भी नजर नहीं आ रहा।

आपका बाल आयोग जिन मामलों को गंभीरता से संज्ञान में ले चुका है, उन पर आपके राज्‍य शासन ने कोई गंभीर कार्रवाई नहीं की है। सिस्‍टम ऐसाा बना दिया गया है कि कार्रवाई होती तो दिखे किंतु उसका कोई ठोस परिणाम कभी नहीं निकले, आरोपित छूट जाएं और फिर से अपराध करते रहें। यदि ऐसा नहीं होता तो फिर कोई कारण नहीं था, एनसीपीसीआर और एससीपीसीआर के द्वारा लगातार अनेक मामलों को संज्ञान में लिए जाने एवं उससे संबंधित समाधान के निर्देश आपके अधिकारियों को दिए जाने के बाद भी उनका पालन होता हुआ नजर नहीं आया है। आयोग की अनुशंसाएं सरकारी फाइलों में धूल खा रही हैं।

मुख्‍यमंत्री मोहन जी, इस केस में भी परिवार के दबाव में पुलिस ने टीचर और स्कूल डायरेक्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन मामले में आखिर होगा क्‍या? जैसे अन्‍य छूट गए, वैसे ये भी तुरंत बाहर आ जाएंगे। यहां विषय यह है कि यह सोच आती कहां से है? इस सोच का जो स्‍त्रोत है, जब तक उसे बंद नहीं किया जाएगा, हम यूं ही सतही परिवर्तन के प्रयास करते रहेंगे।

प्रदेश में यह एक नहीं न जाने कितने अब्दुल वाहिद हैं, जिनसे सख्‍ती से आज निपटा जाना आवश्‍यक है। इस प्रकार की सोच आतंक की सोच है। जिसका कि हर जगह से समूल नाश होना चाहिए। अन्‍यथा तो आप   अखण्‍ड भारत की बात कहेंगे और जब सत्‍ता कभी नहीं रही, जैसा जनसंख्‍या असंतुलन चल रहा है, देश के हर राज्‍य में आज हिन्‍दू सनातन संस्‍कृति के विरोध में चार  विरोधी शक्‍तियां ईसाईयत, इस्‍लाम, वामपंथ और क्षद्म बुद्धिज्‍म के रूप में जयभीमऔर जयमीम का नारा लगानेवाले समूह बड़ी तेजी से काम करते दिखते हैं। उससे कहीं ऐसा न हो कि भारत अखण्‍ड तो दूर भविष्‍य में और खण्‍ड-खण्‍ड हो जाए!

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मुख्‍यमंत्री मोहन जी, यह चिंता बड़ी है। ऐसे में राज्‍य की सर्वोच्‍च शक्‍ति व्‍यवहार में आप ही के पास है, अब आप जैसे चाहें उस शक्‍ति का व्‍यवहार करें। दुष्‍टों का दमन करें, शमन करें या फिर जैसा चल रहा है, उसे ही चलते रहने दे, लेकिन आज आपको तय करना ही होगा कि चलना किस दिशा में है। अन्‍यथा तो आपकी सद्इच्‍छाएं भाषणों तक सीमित होकर रह जाएंगी। फिर से कांग्रेस एवं अन्‍य विरोधियों को भी मौका मिल जाएगा, घोषणा वीर मुख्‍यमंत्री कहने का। ऐसे में जरूरी है कि ऐसा करने का अवसर आप किसी को भी मत दीजिए, तुरंत कार्रवाई करें। बच्‍चों के प्रति संवेदनशीलता दिखाएं। आयोग की अनुशंसाओं पर अमल के लिए अधिकारियों को सख्‍त हिदायत दें और मप्र में बच्‍चों पर हो रहे अत्‍याचारों से उन्‍हें बचाएं। साथ ही एनजीओ को चाइल्‍ड हेल्‍प लाइन 1098 नहीं देने पर भी गंभीरता से विचार करें। अन्‍यथा न जाने कितने नए अब्दुल वाहिद प्रदेश में पनप जाएंगे। इस मामले में अनिल मैथ्‍यू एक उदाहरण भर है, अभी तो ऐसे कई चेहरे सामने आना बाकी है।(एएमएपी)