आपका अखबार ब्यूरो ।

कृषि कानूनों पर सरकार और किसानों के बीच जारी गतिरोध को दूर करने के उद्देश्य से सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी के सदस्यों को लेकर किसानों की आशंकाओं और उन्हें बदलने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे ने कहा कि हमने समिति को किसानों को सुनने और हमारे पास आने और अपनी रिपोर्ट दर्ज करने की शक्ति दी है। उन्होंने कहा कि कमेटी को फैसला लेने का अधिकार नहीं दिया गया है, तो पक्षपात की बात कहां हुई। उन्होंने यह भी कहा कि कोर्ट पर कोई लांछन न लगाए।


 

एक किसान संगठन ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति के सदस्य, किसानों को समान मापदंडों पर कैसे सुनेंगे जब उन्होंने पहले से ही इन तीनों कृषि कानून का समर्थन किया हुआ है।

इस पर एसए बोबडे ने कहा कि हमने समिति में विशेषज्ञों को नियुक्त किया है क्योंकि हम विशेषज्ञ नहीं हैं। समिति को लेकर किसानों के विरोध पर न्यायालय ने ने कहा कि कृषि कानून पर गठित समिति पर सवाल उठाना ठीक नहीं है। समिति के सभी मेंबर अपनी फील्ड के एक्सपर्ट हैं।

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किसान महापंचायत ने अपनी याचिका में इस पैनल में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश की नियुक्ति करने का अनुरोध किया है। सुप्रीम कोर्ट की बनाई समिति में अशोक गुलाटी, अनिल घनवट, भूपिंदर सिंह मान और प्रमोद जोशी के नाम थे। इसके बाद अखिल भारतीय किसान समन्वय समिति के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान ने ‘किसानों के हितों’ का हवाला देते हुए खुद को पैनल से हटा लिया था।

26 को किसानों की ट्रैक्टर रैली कानून व्यवस्था का मामला, इसे पुलिस देखे : सुप्रीम कोर्ट

कुछ किसान संगठनों की ओर से न्यायालय में पेश प्रशांत भूषण ने कहा कि किसान यूनियनों का कहना है कि हम कमेटी के समक्ष पेश नहीं होंगे।

सीजेआई ने कहा कि लेकिन इस तरह किसी की छवि को खराब करना सही नहीं है। आपको कमेटी के समक्ष पेश नहीं होना, मत हो, लेकिन किसी को इस तरह ब्रांड न करें। सीजेआई ने कहा कि पब्लिक ओपिनियन को लेकर अगर आप किसी की छवि को खराब करेंगे तो कोर्ट सहन नहीं करेगा। अगर कमेटी के समक्ष कोई पेश नहीं होता तो भी कमेटी अपनी रिपोर्ट देगी।

ट्रैक्टर रैली से निपटना पुलिस का काम

Farmers Tractor Rally: Farmers Have Constitutional Right To Take Out Tractor Rally: Unions

26 जनवरी को किसानों की प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली को लेकर दिल्ली पुलिस की याचिका पर सुनवाई के दौरान बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने फिर दोहराया कि ये मामला दिल्ली पुलिस का है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपके पास पर्याप्त शक्तियां हैं और आपको इससे निपटना है, इस पर आदेश जारी करना न्यायालय का काम नहीं है। इसके बाद केंद्र सरकार ने मामले में न्यायालय से हस्तक्षेप के अनुरोध वाली याचिका वापस ले ली। किसान यूनियनों की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने सीजेआई को बताया कि किसान केवल आउटर रिंग रोड पर शांतिपूर्ण तरीके से गणतंत्र दिवस मनाना चाहते हैं। वे शांति भंग नहीं करेंगे।


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