इंडिया गठबंधन में मची रस्साकशी के बीच उत्तर प्रदेश से राहत भरी ख़बर आई है। यूपी में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच सीटों को लेकर सहमति बन गई है। यूपी में कांग्रेस ग्यारह सीटों पर चुनाव लडे़गी, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस बात का एलान किया है। अखिलेश यादव ने इसे गठबंधन की सौहार्दपूर्ण शुरुआत बताया और दावा किया है। उनकी पीडीए की रणनीति इतिहास बदल देगी।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया एक्स पर कांग्रेस के साथ सीटों के बंटवारे का एलान किया है। सपा अध्यक्ष ने लिखा, ‘कांग्रेस के साथ 11 मज़बूत सीटों से हमारे सौहार्दपूर्ण गठबंधन की अच्छी शुरुआत हो रही है… ये सिलसिला जीत के समीकरण के साथ और भी आगे बढ़ेगा। ‘इंडिया’ की टीम और ‘पीडीए’ की रणनीति इतिहास बदल देगी।

सपा-कांग्रेस ने सीटों को लेकर डील पक्की

उत्तर प्रदेश में सपा ने कांग्रेस को 11 सीटें देने का एलान किया है। इनमें से दो सीट तो रायबरेली और अमेठी मानी ही जा रही है। इसके अलावा नौ अन्य सीटें कौन सी दी गई है, इसके बारे में अभी कोई जानकारी नहीं मिल पाई है। ख़बरों के मुताबिक़ कांग्रेस पश्चिमी यूपी की चार सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। इनमें से एक सीट अमरोहा की हो सकती है, जहां कुंवर दानिश अली सांसद है। उन्हें पिछले महीने दिसंबर में ही बसपा से निष्कासित किया गया है।

पश्चिमी यूपी के अलावा पूर्वांचल और बुंदेलखंड में भी कांग्रेस को सीटें दी जा सकती है। सपा अध्यक्ष ने पहले ही कह दिया था कि वो इस महीने के आख़िर तक सीटों पर फ़ैसला ले लेंगे और अब सपा की ओर से इसका एलान भी हो गया है। हालांकि कांग्रेस की ओर से अभी तक कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। 2019 के चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ एक रायबरेली सीट पर ही जीत हासिल हुई थी। राहुल गांधी अमेठी में भी चुनाव हार गए थे।

एक-एक सीट पर हुई चर्चा

सीटों को लेकर हुई इन बैठकों में कांग्रेस की ओर से प्रदेश अध्यक्ष अजय राय, सलमान खुर्शीद, आराधना मिश्रा मौजूद रहीं। वहीं, सपा की ओर से रामगोपाल यादव, जावेद अली खान और उदयवीर सिंह उपस्थित रहे। जानकारी के अनुसार, यूपी की हर एक सीट को लेकर चर्चा हुई। जीत की हर संभावना को टटोला गया।

25 सीटें मांग रही थी कांग्रेस

कांग्रेस और सपा के बीच दिल्ली में तीन दौर की बैठकें हुई। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस 25 सीटों की मांग कर रही थी। हालांकि 11 सीटों पर बात फाइनल हो गई है। वर्तमान में कांग्रेस के पास यूपी में रायबरेली की ही एकमात्र लोकसभा सीट है।

इन सीटों पर लड़ सकती है कांग्रेस

सूत्रों के अनुसार कांग्रेस रायबरेली, अमेठी के अलावा प्रतापगढ़, वाराणसी, कानपुर, गाजियाबाद, इलाहाबाद, सहारनपुर, मुरादाबाद की सीटों पर लड़ सकती है। पूर्वी यूपी की ज्यादातर सीटें सपा के पास ही रहेंगी ऐसा अनुमान जताया जा रहा है।

अजय राय बोले अभी तय नहीं

इधर उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने कहा है कि अभी तो सीट बंटवारे पर बातचीत ही चल रही है। वैसे भी सीट शेयरिंग की घोषणा कांग्रेस करेगी। उनके इस बयान से यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी को समाजवादी पार्टी के मुखिया की ये घोषणा रास नहीं आ रही। यह सवाल भी उठता है कि क्या बिना कांग्रेस की सहमति के ही अखिलेश ने 11 सीट देने का ऐलान कर दिया है।

प्रदेश कांग्रेस ने जताई नाराजगी

कांग्रेस प्रदेश नेतृत्व ने अखिलेश यादव के 11 सीटें देने के प्रस्ताव पर नाराजगी जताई है। प्रदेश के शीर्ष कांग्रेस नेतृत्व ने कहा है कि यह अखिलेश यादव का एकतरफा यानि अपना फैसला है जिससे वो सहमत नहीं है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने अखिलेश यादव की पोस्ट पर प्रतिक्रया दी है। उन्होंने कहा कि बातचीत अभी भी जारी है। तस्वीर साफ होने के बाद हम घोषणा कर सकेंगे।

वहीं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने आज तक से बातचीत करते हुए कहा कि जो मेरी जानकारी में है कि अभी बातचीत चल रही है। हमारी राष्ट्रीय कमेटी इस पर जो बातचीत कर रही है। मुकुल वासनिक के नेतृत्व में जो कमेटी है, उसकी समाजवादी पार्टी के सीनियर लीडर्स के साथ अभी बातचीत चल रही है। 11 सीटों को लेकर हुए समझौते की बात की अभी जानकारी में नहीं है। अभी कुछ फाइनल नहीं हुआ है।

ऐसा रहा था 2019 का चुनाव परिणाम

आपको बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में एसपी का कांग्रेस के साथ कोई औपचारिक गठबंधन नहीं था, लेकिन अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली पार्टी ने रायबरेली और अमेठी सीटों पर कोई उम्मीदवार नहीं उतारा था, जहां कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी ने चुनाव लड़ा था। कांग्रेस ने सूबे की 80 में से 67 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। पार्टी 6.4 फीसदी वोट शेयर के साथ केवल एक सीट ही जीत सकी और तीन सीटों पर दूसरे स्थान पर रही। तब पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे राहुल गांधी अपनी सीट भी नहीं बचा पाए थे।

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सपा, कांग्रेस और आरएलडी, तीनों ही दलों के अपने-अपने दावे के समर्थन में अपने-अपने तर्क हैं। लेकिन आंकड़े क्या कहते हैं? इसकी चर्चा भी जरूरी है। साल 2019 के चुनाव की बात करें तो सपा, बसपा और आरएलडी से गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरी थी। सपा ने 37 और बसपा ने 38 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। आरएलडी के हिस्से तीन सीटें आई थीं। सपा-बसपा-आरएलडी के गठबंधन ने सोनिया गांधी की सीट रायबरेली और अमेठी में राहुल गांधी के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारे थे। तब सपा ने 18.1 फीसदी वोट शेयर के साथ 37 में से पांच सीटें जीती थीं और 31 सीटों पर पार्टी के उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे थे। एक सीट पर पार्टी तीसरे स्थान पर रही थी। सपा को कुल 1 करोड़ 55 लाख 33 हजार 620 वोट मिले थे। (एएमएपी)