डॉ. मयंक चतुर्वेदी
हिन्दवी स्वराज्य स्थापना का 350वाँ वर्ष मना रहा संघ
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पिछले साल से हिन्दवी स्वराज्य स्थापना का 350वाँ वर्ष मना रहा है, इसके कार्यक्रम गत वर्ष शुरू होकर अभी भी चल रहे हैं । ज्ञात हो कि छत्रपति शिवाजी महाराज भारत के उन महान व्यक्तित्वों में एक हैं, जिन्होंने समाज को सैकड़ों वर्षों की दासता की मानसिकता से मुक्त कर समाज में आत्मविश्वास व आत्मगौरव का भाव जगाया था। ज्येष्ठ शुक्ल त्रयोदशी को उनका राज्याभिषेक हुआ तथा हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना हुई। इसलिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की मार्च 2023 में अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा बैठक में यह सर्वसम्मति से निर्णय किया गया था कि रा. स्व. संघ इस पावन अवसर पर छत्रपति शिवाजी महाराज का पुण्यस्मरण करते हुए स्वयंसेवक तथा सभी समाज घटकों सेआह्वान करता है कि ऐसे सभी आयोजनों में भाग लेकर हिन्दवी स्वराज की स्थापना जैसी युगप्रवर्तक घटना का पुनःस्मरण करें।
कई विशेषताओं से परिपूर्ण रहा शिवाजी महाराज का जीवन
इस बैठक में बताया गया था कि छत्रपति शिवाजी महाराज का जीवन अद्वितीय पराक्रम, रणनीतिक कुशलता, युद्धशास्त्र की मर्मज्ञता, संवेदनशील, न्यायपूर्ण व पक्षपातरहित प्रशासन, नारी का सम्मान प्रखर हिंदुत्व जैसी कई विशेषताओं से परिपूर्ण रहा। विपरीत परिस्थिति का सामना करते समय भी अपने ध्येय तथा ईश्वर पर श्रद्धा व विश्वास, माता पिता एवं गुरु जनों का सम्मान, अपने साथियों के सुख-दुःख में साथ निभाने, समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलने के कई उदाहरण उनके जीवन में पाए जाते हैं। बाल्यकाल से ही अपने व्यक्तित्व से उन्होंने अपने साथियों में स्वराज्य स्थापना हेतु प्राण न्योछावर करने की प्रेरणा जगाई, जो आगे चलकर भारत के अन्यान्य प्रदेशों के देशभक्तों के लिए भी प्रेरणादायक रही। उनके शरीर के शांत होने के पश्चात् भी सामान्य समाज ने दशकों तक एक सर्वंकष आक्रमण का यशस्वी प्रतिकार किया, जो इतिहास में अनोखा उदहारण है।
अब आगे कुछ ही माह छत्रपति शिवाजी महाराज के स्थापित किए गए हिन्दवी स्वराज्य स्थापना वर्ष आयोजन उत्सव के शेष बचे हैं, ऐसे में डॉ. भागवत मध्यप्रदेश में संघ के प्रचारकों समेत विविध संगठनों से यह जानेंगे कि उन्होंने जन जागरण के लिए राज्य भर में पिछले माहों में क्या कुछ किया और समाज में उनके इन किए गए प्रयासों से क्या परिवर्तन दिखाई दे रहा है।
संघ के पूरे होने जा रहे 100 साल
इसके साथ ही 27 सितंबर सन् 1925 में स्थापित संघ के गठन को भी 100 साल पूरे होने जा रहे हैं। डॉ. भागवत अपने इस प्रवास में स्वयंसेवक पदाधिकारियों से यह भी जानेंगे कि शताब्दी वर्ष में संघ संगठन के विस्तार और सामाजिक समरसता का माहौल बनाने के एजेंडे पर मध्यप्रदेश में कितना आगे बढ़ा है और पूरे वर्ष भर में यहां प्रचारक स्तर के कार्यकर्ताओं ने अपने लिए, सामूहिक संगठन के स्तर पर और विविध संगठनों ने क्या लक्ष्य निर्धारित किए हैं, जिस पर वह आगे बढ़ रहे हैं। एक विषय इन बैठकों में अयोध्या रामलला प्राणप्रतिष्ठा और हिन्दू समाज के बीच जनजागरण का भी आएगा, जिसमें स्वयंसेवक पदाधिकारी अपने किए कार्यों के बारे में सरसंघचालक डॉ. भागवत को जानकारी देंगे, जिसमें कि आगे सरसंघ चालक यह जानना जरूर चाहेंगे कि अब आगे क्या, हिन्दू समाज में जो जनजागृति रामलला प्राणप्रतिष्ठा से आई है, उसका स्थायी और संचारी भाव बना रहे, उसके लिए आगे स्वयंसेवक मप्र में क्या नवाचार करने वाले हैं। उसके लिए अभी क्या योजना बनी है ।
विविधि संगठनों महिलाओं की भागीदारी पर फोकस
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा बैठक पानीपत में यह सहमति बनी थी कि विविध संगठनों में महिलाओं की अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित करें। इस मामले में पिछले वर्ष भर में कितना अमल हुआ, यहां अपने प्रवास के दौरान संघ सरसंघचालक यह भी जानेंगे। हालांकि यह सच है कि रास्वसंघ पुरुषों को लेकर कार्य करता है और महिला कार्य के लिए राष्ट्रीय सेविका समिति है, किंतु इसके बाद भी आरोप लगानेवाले महिलाओं की संख्या एवं संघ कार्य में उनकी भागीदारी को लेकर अक्सर आरएसएस को घेरते रहते हैं और उस पर महिला विरोधी होने का आरोप भी लगाते हैं। जबकि हकीकत यह है कि सेविका समिति सहित एबीवीपी, वनवासी कल्याण आश्रम, भारतीय मजदूर संघ, विश्व हिन्दू परिषद मुख्य संगठन समेत दुर्गा वाहिनी, भारत विकास परिषद, हिन्दू जागरण मंच, सेवा भारती जैसे तमाम संघ की मूल प्रेरणा लेकर चल रहे संघटनों में बड़ी संख्या में महिलाएं आज कार्य कर रही हैं।
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आपसी समन्वय और तालमेल पर होगी चर्चा
इसके साथ ही डॉ. मोहन भागवत अपने मध्यप्रदेश के इस एक सप्ताह के प्रवास में यह भी जानेंगे कि संघ के प्रति जो भ्रम और भ्रांतियां लोगों के बीच हैं, या जो इस तरह से नकारात्मकता फैलाने के कार्य में लगे हुए हैं, उनके बीच मप्र में संघ के स्वयं सेवक जाते हैं या नहीं। उनसे सतत संवाद करते हुए अपने कार्यों के बारे में बता रहे हैं अथवा नहीं । वहीं राष्ट्र-समाज के हित सभी राष्ट्रीय सोच रखनेवाले संविचारी संगठन एक साथ काम करने के लिए आपस में ठीक से समन्वय और तालमेल बैठाएं, इस पर भी चर्चा होगी।
पहले उज्जैन जाएंगे डॉ. भागवत
उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में आरएसएस सरसंघ चालक डॉ. भागवत पहले उज्जैन जाएंगे । वे वहां 6 से 8 फरवरी तक हो रही कार्यकारिणी की बैठक में सहभागिता करेंगे। उसके बाद 9 से 11 को सरसंघ चालक भागत मालवा का प्रवास पूरा कर मध्यभारत प्रांत के मुरैना जिले के प्रवास पर रहेंगे। मुरैना में मध्य प्रांत के प्रचारकों की बैठक में शामिल होने के साथ ही अन्य विविध संगठनों की समन्वय बैठक में सभी को उनका पाथेय मिलेगा ।(एएमएपी)