समीर उपाध्याय, ज्योतिर्विद ।

दिल्ली में गणतंत्र दिवस के दिन ट्रैक्टर परेड के दौरान आंदोलनकारी किसानों ने जो हिंसा-अराजकता दिखाई और एक तरह से घंटों दिल्ली को बंधक बनाए रखा- उसने देश के करोड़ों अमन पसंद नागरिकों को चिंतित किया है। ज्योतिषीय दृष्टि से देखें तो देश की आजादी के समय ग्रहों की जो स्थिति थी लगभग वैसी ही स्थिति इस समय भी चल रही है। तब भी अराजकता का भयंकर तांडव हुआ था।


 

एक जनवरी को ‘आपका अखबार’ में ‘भारत के भविष्य के ज्योतिषीय विश्लेषण की खास बातों’ का उल्लेख करते हुए मैंने कहा था कि वर्तमान समय में चंद्र -शनि दशा-अंतर्दशा है और विष एवं ग्रहण योग की वजह से जनता में अराजकता फैलेगी तथा सरकार के निर्णयों का विरोध होगा। सरकार एवं प्रशासन के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हो सकते हैं और कुछ मौकों पर अर्धसैनिक बलों व सेना को सड़क पर उतरना पड़ सकता है।

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114 बार दंगा, सौ से अधिक उग्र-हिंसक आंदोलन

देश की आजादी (15-08-1947) से लेकर अबतक देश में लगभग 114 बार दंगा और लगभग सौ से अधिक बार उग्र हिंसक आंदोलन, नक्सली और आतंकी वारदात हो चुके हैं। यह देश की जन्मजात बीमारी है। इसका ज्योतिषीय कारण स्वतंत्र भारत की कुंडली में कालसर्प, ग्रहण, पुनर्फू, पितृदोष तथा विष योग का मौजूद होना है।

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देश की आजादी के वक्त और दिल्ली दंगों (फरवरी, 2020) व् लालकिला कांड (जनवरी, 2021) के वक्त भी ग्रहों की स्थिति में समानता है। आजादी के समय शनि महादशा में शनि अन्तर्दशा 07-09-1949 तक एवं शनि साढ़ेसाती (सितम्बर, 1950 तक) रही वर्त्तमान समय चंद्र दशा में शनि की अन्तर्दशा 5-12-2019 से  05-07-2021 तक है।

आजादी के वक्त गोचर से कालसर्प दोष, ग्रहण, पितृदोष तथा विष योग और पीछे दिल्ली दंगों (फरवरी, 2020) और वर्त्तमान लालकिला कांड (जनवरी, 2021) के वक्त भी गोचर से कालसर्प दोष, ग्रहण, पितृदोष तथा विषयोग की स्थिति है।

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तय करना होगा देश बड़ा या राजनीति

इसे ठीक करने का एकमात्र तरीका है संविधान में अत्यंत कठोर कानून का प्रावधान और उसका कठोरता से पालन करवाना। क्योंकि देश की कुंडली में जब भी शनि, राहु, केतु तथा मंगल की दशा अंतर या प्रत्यंतर दशा चलेगी उस दौरान हड़ताल, उग्र हिंसक आंदोलन, दंगा, सड़कों पर अराजकता, नक्सली व् आतंकवादी घटनाक्रम से जानमाल की हानि एवं देश की प्रतिष्ठा पर आघात की स्थिति उत्पन्न होने की आशंका बनी रहेगी। अतः देश के नीति निर्धारक लोगों एवं सभी राजनीतिक दलों के राजनेताओं को अब यह तय करना होगा कि देश बड़ा है या उनकी राजनीति!

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चंद्र-शनि दशा अन्तर्दशा का अशुभ प्रभाव

‘आपका अखबार’ के पाठकों को मैंने एक जनवरी को ही बता दिया था कि वर्तमान समय में चंद्र-शनि दशा अन्तर्दशा 5 दिसंबर 2019 से 5 जुलाई 2021 तक है जो ग्रहण एवं विष योग में शामिल है। यह अशुभ प्रभाव वाला है। आंतरिक मोर्चे पर भारत में अराजकता, प्राकृतिक आपदा जैसे भूकंप, तूफान, अत्यधिक वर्षा, गर्मी, कहीं सूखा कहीं बाढ़, अप्रत्याशित मौसम परिवर्तन, कोरोना एवं कुछ अन्य संक्रामक बीमारियों से जानमाल की हानि, धार्मिक ध्रुवीकरण, अंतर्विरोध, बेरोजगारी तथा महंगाई में वृद्धि एवं आर्थिक आपातकाल तक की स्थितियां बन सकती हैं। सत्ताधीशों और जनता के बीच भयंकर मतभेद उभरेंगे। जनता में अराजकता फैलेगी, सरकार के निर्णयों का बड़े पैमाने पर विरोध होगा। सरकार एवं प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन हिंसक भी हो सकते हैं। कुछ मौकों पर अर्धसैनिक बल और सेना को सड़क पर उतरना पड़ सकता है।

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लालकिले का दृश्य देख कई किसान नेता अपनी खुशी का इजहार रोक नहीं पा रहे थे