मनोज गुप्ता ‘योगाचार्य’ ।
दमा तथा ब्रोंक्राइटिस दोनों सांस से जुड़ी बीमारी हैं। श्वास नलियों के अवरुद्ध हो जाने के कारण सांस लेने में काफी असुविधा होती है। ये बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। तेज चलने, सीढ़ियों के चढ़ने या थोड़ा सा भी परिश्रम करने से सांस फूलने लगती है। इसका आक्रमण अधिकतर ऋतु परिवर्तन के समय होता है। अत: रोगी को ऋतु परिवर्तन के समय अपना विशेष ध्यान रखना चाहिए। योग का नियमित अभ्यास करने से इस रोग से कुशलता पूर्वक लड़ा जा सकता है।
आसन
ताड़ासन, कटिचक्रासन, सर्वांगासन एवं इस आसन की विभिन्न अवस्थाएं, उत्तानासन, पश्चिमोत्तानासन, भुजंगासन, शलभासन, बीरासन, सुप्त वीरासन, सेतुबंधासन, उष्ट्रासन, शवासन आदि।
प्राणायाम
इसमें प्राणायाम रामबाण का कार्य करता है। उज्जायी प्राणायाम, नाड़ी शोधन प्राणायाम, कुम्भक के साथ अवश्य करें।
विश्राम
आसन और प्राणायाम करने के बाद 15 मिनट तक शवासन या योगनिद्रा का अभ्यास लम्बी-लम्बी श्वासों के साथ अवश्य करें।
सावधानियां
जिन्हें कमरदर्द या गर्दन दर्द रहता है वे इस आसन को न करें।
आसन और प्राणायाम करने से पूर्व पेट को बिल्कुल खाली रखें
बहुत ज्यादा ठण्ड होने, बाहर घूमने न निकलें
धूल से बचकर रहें
ठण्डा पानी न पियें
योगासन- उत्तानासन की विधि :
इस आसन में मेरुदण्ड को बलपूर्वक ताना जाता है। किसी दरी या कम्बल पर दोनों पैरों को आपस में मिलाकर सीधा खड़ा हो जाएं। दोनों पैरों के अंगूठे, एडी मिलाएं, जमीन को पैरों की अंगुलियों से कस कर पकड़ लें। दोनों आंतरिक जंघाओं को कस कर मिलाएं। नितम्बों को कड़ा करें। पेट को अन्दर खींचें, पिंजर को ऊपर उठाएं। मेरुदण्ड को बिल्कुल सीधा रखें। दोनों हाथों को जंघाओं से मिलाएं। इस स्थिति में रहकर चार-पांच बार लम्बी सांस लें।
अब दोनों हाथों को ताड़ासन में लाएं, अब श्वास छोड़ते हुए और कमर को सीधा रखते हुए धड़ को इतना आगे झुकाएं कि आपका सिर घुटनों तक पहुंच जाए। ध्यान रहे, घुटने न मुड़ने पाएं। हाथों से अपने दोनों पैरों को पीछे की ओर से पकड़ लें।
लम्बी सांस के साथ इसी अवस्था में 30 सेकण्ड से एक मिनट तक रुकें।
वापस आने के लिए जिस प्रकार आसन में गये थे उसी प्रकार वापस आ जाएं और विश्राम करें।
आहार
ठण्डी चीजों का परहेज करें
घर का शुद्ध सात्विक आहार ही लें
अचार, मुरब्बा, चटनी, दही, केक बिस्कुट, धूम्रपान, मदिरा, एवं डिब्बा बंद चीजें बिल्कुल बंद कर दें
अरबी, भिण्डी, गोभी, मैदे की बनी वस्तुएं भी न खाएं
टिप्स
सदिर्यों में प्रतिदिन तेल मालिश कर लगभग एक घंटा धुप में अवश्य बैंठे।
एकदम बंद कमरे में न सोएं
पांव को गर्म रखें।
जलनेति करें
भारी भोजन बिल्कुल न करें