400 पार दावे को पूरा करने एनडीए को आरएलडी और टीडीपी जैसे दलों की जरूरत

अबकी बार 400 पार के दावे के साथ बीजेपी की अगुवाई में एनडीए लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटा है। इस दावे को वास्तविकता का जामा पहनाने के लिए बीजेपी राज्यवार सियासी समीकरणों को साधने में कोई कोर-कसर छोड़ना नहीं चाहती है। इसके लिए विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में शामिल दलों को एनडीए का हिस्सा बनाने की रणनीति पर भी बीजेपी आगे बढ़ रही है। चंद दिनों पहले तक बिहार में नीतीश कुमार विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ का हिस्सा थे, लेकिन अब एनडीए के पाले में आकर 400 पार के दावे को मूर्त रूप देने की ज़ोर-आज़माइश में बीजेपी के साथ क़दमताल कर रहे हैं। इस कड़ी में अब उत्तर प्रदेश से राष्ट्रीय लोक दल के प्रमुख जयंत चौधरी का नाम जुड़ता दिख रहा है।

पीएम मोदी को तीसरी बार सरकार बनने का विश्वास

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद 2024 के आम चुनावों ने लिए यह टारगेट सेट किया और संसद से इसका ऐलान भी कर डाला। पीएम मोदी ने आगामी लोकसभा चुनाव के बाद तीसरी बार उनकी सरकार बनने का विश्वास जताया। बीते सोमवार को उन्होंने कहा कि देश के मिजाज को देखकर लगता है कि आम चुनाव में भाजपा को 370 सीटें और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को 400 से अधिक सीटें मिलेंगी। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इस टारगेट को पूरा करने के लिए एनडीए कुनबे को और ज्यादा मजबूत करना बहुत जरूरी है। यही वजह है कि राष्ट्रीय लोकदल और तेलगु देशम पार्टी से बीजेपी की नजदीकियां बढ़ रही हैं।

प्रधानमंत्री ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा था कि विपक्षी दल के सदस्यों के बयानों से उन्हें विश्वास हो गया है कि उसने अर्से तक विपक्ष में बैठने का संकल्प ले लिया है। पीएम मोदी ने कहा, ‘हमारी सरकार का तीसरा कार्यकाल भी बहुत दूर नहीं है। ज्यादा से ज्यादा सौ-सवा सौ दिन रह गए हैं। मैं आमतौर पर आंकड़ों के चक्कर में नहीं पड़ता। लेकिन मैं देश का मिजाज देख रहा हूं। वह राजग को 400 सीटें पार कराके रहेगा। देश भाजपा को 370 सीटें अवश्य देगा।’ इस दौरान प्रधानमंत्री ने जब बोला ‘अबकी बार’ तो भाजपा के सदस्य ‘400 पार’ का नारा लगाते हुए सुने गए। नारे तो अपनी जगह हैं मगर इस लक्ष्य को हासिल करना एनडीए के लिए इतना आसान नहीं होने वाला है। हालांकि, विपक्षी दलों के गठबंधन में पड़ती फूट उसके लिए जरूर अच्छी खबर हो सकती है।

बीजेपी की महत्वाकांक्षा से यूपी का संबंध

उत्तर प्रदेश और आगामी लोक सभा चुनाव को लेकर बीजेपी की महत्वाकांक्षा एक-दूसरे से सीधे तौर से जुड़े हैं। आगामी लोक सभा चुनाव में उत्तर प्रदेश ही एकमात्र ऐसा राज्य है, जहाँ बीजेपी को 2019 की तुलना में BUlk यानी थोक में सबसे अधिक सीट बढ़ाने की संभावना दिख रही है। इस संभावना को वास्तविक बनाने के लिए बीजेपी उत्तर प्रदेश के एक छोटे से हिस्से में ही जनाधार रखने वाले जयंत चौधरी को अपने पाले में लाना चाहती है। जयंत चौधरी के बीजेपी के साथ आने से उत्तर प्रदेश की शत-प्रतिशत सीटों पर बीजेपी की अगुवाई में एनडीए की दावेदारी बेहद मज़बूत हो जाएगी। वर्तमान में उत्तर प्रदेश का राजनीतिक समीकरण यही कहता है।

एनडीए को और ज्यादा मजबूत करने में जुटी बीजेपी

बीजेपी चुनाव से पहले एनडीए को और ज्यादा मजबूत कर लेना चाहती है। पार्टी को इस दिशा में सफलता मिलती भी दिख रही है। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का शुक्रवार को ऐलान हुआ। इसके बाद एक तरह से बीजेपी और आरएलडी के बीच लोकसभा चुनाव में गठबंधन की पुष्टि हो गई। रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी से गठबंधन को लेकर सवाल पूछा गया जिस पर उन्होंने कहा, ‘क्या अब भी कोई कसर रह जाती है। आज मैं किस मुंह से आपके सवालों से इनकार करूं।’ मीडिया में सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि आरएलडी और बीजेपी में सीट बंटवारे की बात भी फाइनल हो गई है। आरएलडी को बागपत और बिजनौर लोकसभा सीट मिल सकती है। साथ ही केंद्र में सरकार बनने पर मंत्री पद भी ऑफर होगा। वहीं, बीजेपी को जाट वोटों को बंटने से रोकने में मदद मिलेगी। पश्चिमी यूपी में इससे भाजपा बढ़त में रह सकती है।

दक्षिण भारत में टीडीपी का साथ आना क्यों जरूरी

अगर दक्षिण भारत की बात करें यहां 5 राज्यों (केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना) में कुल मिलाकर 129 सीटें हैं। यहां एनडीए को कुछ हद तक कमजोर माना जा रहा है जिसे लेकर बीजेपी हाई कमान पूरी तरह से एक्टिव हो चुका है। आंध्र प्रदेश में लोकसभा की 25 सीटें हैं जहां चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी इस बार बड़ी भूमिका निभा सकती है। ऐसे में टीडीपी भाजपा के लिए बहुत खास हो जाती है। 400 के आंकड़े तक पहुंचने के लिए नायडू की पार्टी का एनडीए में शामिल होना जरूरी माना जा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ दिनों पहले नई दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से चंद्रबाबू नायडू की मुलाकात हुई थी। जानकारों का कहना है कि अगर इलेक्शन से पहले टीडीपी के एनडीए से जुड़ने का ऐलान हो गया तो भाजपा के लिए यह अच्छी खबर होगी। एनडीए गठबंधन वाएसआर कांग्रेस शासित राज्य में बढ़त बना सकता है।

वित्त मंत्री ने कांग्रेस पर लगाया आर्थिक कुप्रबंधन का आरोप, बोलीं- अगर वे होते तो देश का क्‍या होता

उत्तर प्रदेश है बीजेपी की सबसे बड़ी ताक़त

उत्तर प्रदेश में बीजेपी काफ़ी मज़बूत स्थिति में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राम मंदिर फैक्टर बीजेपी यहाँ बीजेपी की सबसे बड़ी ताक़त है। इसके साथ ही मायावती की बहुजन समाज पार्टी इस बार अखिलेश यादव के साथ नहीं है। बसपा प्रदेश में अकेले चुनाव लड़ रही है। विरोधी वोट में बिखराव होने के कारण उत्तर प्रदेश में यह फैक्टर भी बीजेपी के लिए काफ़ी सकारात्मक साबित होने वाला है। उत्तर प्रदेश में मायावती के अखिलेश के साथ चुनाव लड़ने के फ़ैसले से बीजेपी को न्यूनतम 10 सीटों का नुक़सान होने की संभावना बन सकती थी। हालांकि मायावती के रुख़ से वह संभावना चुनाव से पहले ही ज़मीन-दोज़ हो गयी।(एएमएपी)