मंदिर को लेकर प्रवासी भारतीयों में उत्साह

संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की राजधानी आबू धाबी में पहला हिन्दू मंदिर बनने और इसका उद्घाटन भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किए जाने को लेकर प्रवासी हिन्दुओं के साथ स्थानीय लोगों में भी उत्साह है। प्रधानमंत्री मोदी 14 फरवरी को मंदिर का उद्घाटन करेंगे। उद्घाटन के बाद प्रधानमंत्री मोदी स्थानीय स्टेडियम में प्रवासी भारतीयों के एक सार्वजनिक कार्यक्रम को संबोधित करेंगे। मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा को लेकर अनुष्ठान 10 फरवरी से शुरू हो चुका है। यह मंदिर 27 एकड़ में बना है, जिस पर लगभग 900 करोड़ रुपये की लागत आई है। मंदिर का निर्माण बोचासनवासी अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) ने कराया है।

दुबई स्थित भारतीय व्यापार एवं उद्यम परिषद के संयोजक एवं चार्टर्ड अकाउंटेंट डॉ. साहित्य चतुर्वेदी ने बताया कि आबूधाबी में सनातन मंदिर की स्थापना अनेक संस्कृतियों का एक सम्मिलन है, जो भारत और अरब सागर की तटवर्ती सभ्यता को निकटता से जोड़ने का काम करेगा। मंदिर परिसर के लिए यूएई सरकार का भूमि देने से लेकर शिलान्यास, शिखर निर्माण तक पूरे मनोयोग से सहयोग देना अत्यंत ही सराहनीय है। इस भव्य मंदिर का निर्माण प्राचीन पद्धति से किया गया है। वास्तव में कहा जाये तो यह मानव सभ्यता का मंदिर है, जो कि विश्व को एक कुटुम्ब की भावना के प्रति प्रेरित कर रहा है। उन्होंने बताया कि मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान 10 फरवरी से शुरू हो चुके हैं। प्राण प्रतिष्ठा के बाद भी 20 फरवरी तक विभिन्न आयोजन होंगे। मंदिर में 108 यज्ञ वेदियों का निर्माण किया गया है।

डॉ. चतुर्वेदी ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी 14 फरवरी को मंदिर का उद्घाटन करेंगे। साथ ही मंदिर निर्माण में सहयोगी बने प्रमुख दानदाताओं को भी आमंत्रित किया गया है। प्राण प्रतिष्ठा के बाद प्रधानमंत्री मोदी आबूधावी के स्टेडियम में भारतीय समुदाय को संबोधित भी करेंगे। इस स्टेडियम में 50 हजार लोगों के बैठने की व्यवस्था है। इस मौंके पर भारत और यूएई की कुल 180 छात्र-छात्राएं दोनों देशों के राष्ट्रीय गीत के साथ मोदी का स्वागत करेंगे। इसके बाद 18 फरवरी से यूएई का हिंदू मंदिर जनमानस के लिए खोल दिया जाएगा।

आबूधाबी में पहले हिन्दू मंदिर के निर्माण को लेकर दुबई में स्टील व्यवसाय से जुडे भारतीय मूल के इंजीनियर धैर्य नारायण झा ने कहा कि अबूधाबी में हिन्दू मंदिर निर्माण होने से हम सब बहुत प्रसन्न हैं। यह मंदिर यहां के प्रवासी भारतीयों के अलावा पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनेगा।

इस मंदिर का निर्माण यह भी दर्शाता है कि यूएई में किस तरह की विविधता और समावेशिता है। भारत में भी विविधता में एकता की विशेषता है। मुझे गर्व है कि भारत और यूएई दोनों इसी तरह के मूल्यों का पालन करते हैं। इस संबंध में दुबई की शिक्षिका सना सुलेमान ने कहा कि सामूहिक प्रयास से यहां हिन्दू मंदिर बनना खुशी की बात है। सभी धर्मों के लोग शांतिपूर्वक और आपस में मिलजुल रह सकते हैं, इसका एक अच्छा उदाहरण दुबई है।(एएमएपी)