कभी एनडीए का हिस्सा रहे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर घर लौट आए हैं। क्या इसी तर्ज पर बीजेपी के स्वाभाविक मित्र उद्धव ठाकरे भी महागठबंधन में वापसी करेंगे? इस सवाल पर उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। उन्होंने साफ शब्दों में कह दिया है कि बीजेपी के लिए उद्धव के दरवाजे सदा के लिए बंद हो चुके हैं। फडणवीस ने कहा, “उन्होंने हमें चोट पहुंचाई है। वे हमारी गलत तरीके से आलोचना करते हैं। वे प्रधानमंत्री को गालियां देते हैं।”फडणवीस ने भविष्य में किसी भी तरह की गठबंधन की संभावना को खारिज करते हुए कहा कि राजनीतिक मतभेदों को दूर किया जा सकता है, लेकिन जब मन और भावनाएं आहत होती हैं तो चीजों को सुलझाना मुश्किल होता है। वहीं, अजित पवार गुट को असली एनसीपी के तौर पर मान्यता देने पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि स्पीकर ने संविधान के अनुरूप काम किया है। उन्होंने कहा, ”नतीजा सामने है, कोई तनाव नहीं। मैंने सुना है कि उन्हें शरद पवार गुट को न तो पार्टी का नाम मिला और न ही चुनाव चिह्न।”

फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री महायुति (जिसमें भाजपा, शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और अजीत पवार के नेतृत्व वाली राकांपा शामिल होगी) से होगा क्योंकि उसे विधानसभा चुनाव में बहुमत मिलने की गारंटी है। फड़नवीस ने कहा, “कारण यह है कि उद्धवजी ने हमारे लिए अपने दरवाजे बंद कर दिए। और न केवल दरवाजे बंद किए। आखिरकार, राजनीति में, आपके पास एक अलग राजनीतिक एजेंडा है। मेरे पास एक अलग एजेंडा है। राजनीतिक एजेंडे अलग हो सकते हैं। कई बार हम किसी राजनीतिक मुद्दे पर मतभेद हैं। हम उन मतभेदों को दूर कर सकते हैं और एक साथ आ सकते हैं।”

टूट रहा विपक्ष, गठबंधन का भी फायदा नहीं, यूपी में बढ़ी ज्‍यादा मुश्किलें

आपको बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने बृहस्पतिवार को कहा कि उप मुख्यमंत्री अजित पवार नीत राकांपा का गुट असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) है, और संविधान में मौजूद दल-बदल रोधी प्रावधानों का इस्तेमाल आंतरिक असहमति को दबाने के लिए नहीं किया जा सकता। अजित पवार और उनके चाचा शरद पवार द्वारा एक-दूसरे के विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिकाओं को खारिज करते हुए विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) ने उल्लेख किया कि अजित खेमा ने जब जुलाई 2023 में महाराष्ट्र की शिवसेना-भाजपा सरकार में शामिल होने का फैसला किया था, उस समय पार्टी के 53 में से 41 विधायक उनके साथ थे। नार्वेकर ने कहा कि इसतरह जब दोनों खेमे उभरे थे उस वक्त अजित खेमा ‘असली राजनीतिक दल’ था।(एएमएपी)