कमलनाथ के भाजपा में जाने की अटकलें तेज, डैमेज कंट्रोल करने में जुटी कांग्रेस

मध्य प्रदेश के कद्दावर कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्‍यमंत्री कमलनाथ के भाजपा में जाने की अटकलों को लेकर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। जिसको लेकर कांग्रेस डैमेज कंट्रोल के मोड में आ गई है। सूत्रों की मानें तो पार्टी नेता विधायकों से संपर्क साधने में जुट गए हैं। सबसे बड़ा खतरा यह कि लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले यह कहीं नेताओं के बड़े पलायन में ना तब्दील हो जाए। सूत्रों ने बताया कि मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रमुख जीतू पटवारी, विधानसभा में विपक्ष के नेता उमंग सिंघार एवं अन्य शीर्ष नेता विधायकों से एक-एक करके बात कर रहे हैं।

कमलनाथ बोले- भाजपा से अभी कोई बात नहीं हुई

भाजपा में शामिल होने की अटकलों के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने रविवार को दिल्ली में कहा कि भाजपा से अभी उनकी कोई बात नहीं हुई है। उन्‍होंने कहा कि जब बात होगी तो बताऊंगा। बता दें कि मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनके सांसद पुत्र नकुलनाथ के शनिवार को अचानक दिल्ली के लिए प्रस्थान करने के बाद से उनके भाजपा में शामिल होने के अटकलें लगाई जा रही हैं। कमलनाथ ने रविवार दोपहर को अपने दिल्ली स्थित आवास पर पत्रकारों से बातचीत की। भाजपा में जाने के सवाल पर कमलनाथ ने कहा कि भाजपा से अभी उनकी कोई बात नहीं हुई है।

विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद कांग्रेस में हाशिए पर आए कमलनाथ

दरअसल, मप्र विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद से ही कमलनाथ कांग्रेस में हाशिए पर हैं। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था। जिसके बाद हार का ठीकरा कमल नाथ के सिर पर फूटा और राहुल गांधी की नाराजगी के बाद कमल नाथ को प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाकर जीतू पटवारी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया, यहां तक कि कमल नाथ को सदन में नेता प्रतिपक्ष तक का पद नहीं दिया गया और उमंग सिंघार को यह जिम्मेदारी सौंपी गई। इसके बाद से ही कमल नाथ प्रदेश की राजनीति से दूर होते चले गए।

कांग्रेस को सता रही ये चिंता

एक रिपोर्ट के मुताबिक, मध्य प्रदेश के जो कांग्रेस नेता डैमेज कंट्रोल की कोशिशों में जुटे हैं, उनकी नजरें कमलनाथ और उनके बेटे एवं सांसद नकुलनाथ के करीबी माने जाने वाले विधायकों, पूर्व विधायकों और कांग्रेस पदाधिकारियों पर हैं। माना जा रहा है कि विधायकों के एक बड़े समूह के पाला बदलने से मध्य प्रदेश में कांग्रेस कमजोर होगी। यही नहीं यदि बड़ी संख्या में टूट होती है तो दल-बदलुओं को दल-बदल विरोधी कानून से भी बचाया जा सकेगा। मौजूदा वक्त में चर्चा में जिन नेताओं के नाम हैं, उनमें पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा, सुखदेव पांसे, विधायक सतीश सिंह सिकरवार, संजय उइके, नीलेश उइके, सोहन वाल्मिकी, विजय चौरे, कमलेश शाह और लखन घनगोरिया शामिल हैं। पूर्व मंत्री और पूर्व सांसद सज्जन सिंह वर्मा ने कहा है कि कमलनाथ ने अभी तक भाजपा में शामिल होने का फैसला नहीं किया है, लेकिन इतना साफ है कि यदि वह कोई बड़ा कदम उठाते हैं तो वह अनुभवी नेता का अनुसरण करेंगे।

पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा बोले- ये केवल अटकलें हैं

पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा का कहना है कि राजनीति में केवल तीन चीजें मायने रखती हैं – मान, सम्मान और स्वाभिमान… जब इन्हें ठेस पहुंचती है, तो एक नेता बड़े फैसले लेने के लिए बाध्य होता है। फिलहाल जो खबरें सामने आ रही हैं केवल अटकलें हैं। यदि एक कद्दावर नेता जिसने अपने जीवन के 40 साल कांग्रेस को समर्पित कर दिए हैं, उसे वह सम्मान नहीं मिलता जिसके वह हकदार है, तो वह बड़े फैसले लेने के लिए बाध्य है। हम चार दशकों से उनके अनुयायी हैं और उनका अनुसरण करते रहेंगे।

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कमलनाथ का जाना कांग्रेस के लिए होगा बड़ा झटका

सज्जन सिंह वर्मा और पांसे उन विधायकों में से हैं जो इस समय कमलनाथ के साथ दिल्ली में हैं। यदि कमलनाथ भाजपा में जाते हैं तो कांग्रेस के लिए यह बड़ा झटका होगा। दरअसल, भाजपा पिछले लोकसभा चुनावों में अपने शानदार प्रदर्शन को दोहराने की कोशिश कर रही है। वह ज्यादा ताकत के साथ चुनावी समर में उतरने की योजना पर काम कर रही है। गौर करने वाली बात यह कि अटकलों का कमलनाथ ने खंडन नहीं किया है। खबरों के मुताबिक, बीजेपी नेतृत्व कई हफ्तों से कमलनाथ के संपर्क में है। (एएमएपी)