20 दिन बाद जमीन से निकाला शव, तब जाकर हुआ मामले का खुलासा

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा शासित पश्चिम बंगाल महिलाओं के लिए नरक साबित होता जा रहा है। या यूं कहें कि ममता बनर्जी का शासन बंगाल की महिलाओं के लिए अभिशाप बन गया है। हाल ही में प. बंगाल का संदेशखाली मामला काफी चर्चा में हैं। वहां महिलाओं के साथ रेप करने, मारपीट करने और प्रताड़ित किए जाने की खबरें लगातार सामने आ रही हैं। अब बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के हरिहरपाड़ा से ऐसा मामला सामने आया है, जिसे पढ़कर आपकी रूह कांप जाएगी। यहां महज 13 साल की बच्ची के साथ हैवानित की गई। उसके स्तन काट दिए गए। बच्ची की आंखे निकालकर फेंक दी गईं। उसका यौन शोषण किया गया और फिर निर्मम हत्या करने के बाद दफना दिया गया। मामला खुला तो कोर्ट के आदेश के बाद बच्ची का शव निकालकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है।

पुलिस पर लगे ये आरोप

आरोप है कि बंगाल पुलिस ने बड़ी ही चालाकी से मामले को दबाने की कोशिश की। घरवालों ने आरोप लगाया कि उन्होंने बच्ची का पोस्टमॉर्टम कराने को कहा लेकिन पुलिस ने बिना उनकी बात सुने उसे दफना दिया। घरवालों ने इस मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट से गुहार लगाई। कोर्ट के आदेश के बाद बच्ची का शव 20 दिन बाद कब्र से निकाला गया। जब शव को जमीन से निकाला गया तब जाकर बच्ची के साथ हुई बर्बरता का खुलासा हुआ। वो मंजर दिल दहला देने वाला था। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए एसएसकेएम अस्पताल कोलकाता भेजा गया है। पुलिस ने 2 आरोपियों को किया गिरफ्तार किया है।

ऐसी हैवानियत तो कोई जानवर भी न करें

रिपोर्ट के मुताबिक, महज 13 वर्ष की मृतका के साथ ऐसी हैवानियत तो कोई जानवर भी शायद न करे। हत्यारों ने पहले बच्ची का रेप किया, फिर उसके दोनों स्तनों को काट दिया। इसके बाद उसकी दोनों आंखें भी निकालकर फेंक दिया। इसके बाद उसे दफना दिया। 27 जनवरी को गाव के ही सरसों के एक खेत में उसका शव बरामद किया गया। बच्ची के परिजनों का कहना था कि बच्ची के दोनों स्तन काट दिए गए थे, उसकी आखें निकालकर फेंक दी गई थीं, उसके शरीर पर दांत के काटे के स्पष्ट निशान थे।

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बंगाल पुलिस की क्रेडिबिलिटी पर उठ रहे सवाल

वहीं शव को निकाले जाने के दौरान पुलिस की भारी फोर्स को गांव में तैनात कर दिया गया। लेकिन, सवाल पश्चिम बंगाल पुलिस की क्रेडिबिलिटी पर उठ रहे हैं। कि आखिर बंगाल पुलिस ने पहले क्यों एक्शन नहीं लिया? किसके कहने पर पुलिस ने मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की? जिस पुलिस ने मामले को दबाने की कोशिश की, क्या उससे सही जांच की उम्मीद की जा सकती है? ऐसे कई सवाल पुलिस पर उठ रहे हैं।(एएमएपी)