मशहूर फिल्म निर्देशक और पटकथा लेखक कुमार साहनी का निधन हो गया। उन्होंने 83 वर्ष की आयु में इस दुनिया को अलविदा कह दिया। उन्हें ‘माया दर्पण’, ‘तरंग’, ‘ख्याल गाथा’ और ‘कस्बा’ जैसी फिल्मों के निर्देशन के लिए जाना जाता था। निर्देशन के साथ कुमार ने लेखक और शिक्षक के रूप में भी अपनी पहचान बनाई। एक डायरेक्टर के अलावा वह एक एजुकेटर और राइटर भी थे। उन्होंने ‘द शॉक ऑफ डिजायर एंड अदर एसेज’ जैसी किताब लिखी है। उनकी फिल्में और आर्टिकल्स भविष्य के फिल्म मेकर्स को इंस्पायर करते रहेंगे। उनके निधन से इंडस्ट्री में शोक का माहौल है।
दिग्गज फिल्ममेकर कुमार साहनी का निधन
◆ ‘माया दर्पण’, ‘कस्बा’ ‘तरंग’ और ‘ख्याल गाथा’ जैसी फिल्मों के निर्देशक थे कुमार साहनी
◆ कुमार साहनी ने 3 नेशनल अवॉर्ड जीते थे #KumarShahani #NationalAward | Kumar Shahani pic.twitter.com/IDsyVVvibe
— News24 (@news24tvchannel) February 25, 2024
इन फिल्मों का किया निर्देशन
लरकाना में 7 दिसंबर 1940 को जन्मे कुमार बाद में अपने परिवार के साथ मुंबई में बस गए। उन्होंने अपनी फिल्म की शिक्षा पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट से पूरी की। बाद में कुमार फ्रांस चले गये। उन्होंने रॉबर्ट ब्रेसन की फिल्म उने फेम डूस के लिए सहायक निर्देशक के रूप में काम किया। निर्मल वर्मा की कहानी पर आधारित कुमार साहनी की ‘माया दर्पण’ ने हिंदी में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता। कुमार ने ‘तरंग’, ‘ख्याल गाथा’, ‘कस्बा’ और ‘चार अध्याय’ जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों का निर्देशन किया है।
संगीत और नृत्य पर आधारित बनाई ये फिल्में
संगीत और नृत्य पर आधारित दो फिल्मों में उन्होंने रोजमर्रा की जिंदगी की झलक दिखाई। कुमार साहनी ने वर्ष 1989 में ”ख्याल गाथा” और वर्ष 1991 में ”भवनाथरन” का निर्माण किया। वर्ष1997 में कुमार साहनी ने रवीन्द्रनाथ टैगोर के उपन्यास ‘चार अध्याय’ पर आधारित फिल्म बनाई। फिल्म में ओडिसी डांसर नंदिनी घोषाल ने मुख्य भूमिका निभाई थी। कुमार के निधन से फिल्म जगत में शोक की लहर है।
कम उम्र में बाल सफेद होना इन कमियों की ओर करता है इशारा, जानिए क्या है जरूरी
कुमार साहनी ने जीते थे 3 फिल्मफेयर अवॉर्ड्स
कुमार साहनी ने न सिर्फ नेशनल अवॉर्ड जीते बल्कि अलग-अलग समय में उन्होंने 3 फिल्मफेयर अवॉर्ड भी जीते। साल 1973 में आई फिल्म ‘माया दर्पण’, 1990 में आई ‘ख्याल गाथा’ और 1991 में आई ‘कस्बा’ के लिए उन्होंने उन्होंने फिल्मफेयर अवॉर्ड्स जीते। साल 2004 के बाद उन्होंने फिल्में बनाना छोड़कर लिखने-पढ़ाने का काम शुरू किया।(एएमएपी)