हरियाणा की सीमा पर एमएसपी को लेकर आंदोलन कर रहे पंजाब के किसानों ने तीन मार्च तक दिल्ली कूच को टाल दिया है। अब किसान शुभकरण के लिए 3 मार्च को अंतिम अरदास होने के बाद ही इस बारे में कोई फैसला लिया जाएगा। किसान नेता सरवन पंधेर और जगजीत डल्लेवाल ने शुक्रवार को कहा कि शुभकरण की आध्यात्मिक शांति के लिए 3 मार्च को अंतिम अरदास की जाएगी, जिसके बाद ही अब आगे बढ़ने का फैसला लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा की 6 सदस्यीय ‎कोआर्डिनेशन कमेटी ने दिल्ली कूच ‎कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (गैर‎राजनीतिक) और किसान मजदूर ‎मोर्चा से तालमेल करना शुरू कर दिया‎ है। किसान नेताओं के अनुसार बहुत जल्द आंदोलन को बड़े स्तर पर उठाया जाएगा।दरअसल, किसान आंदोलन के दौरान खनौरी बॉर्डर पर पुलिस के साथ टकराव में मारे गए पंजाब के युवा किसान का गुरुवार को उसके पैतृक गांव में अंतिम संस्कार कर दिया गया। शुभकरण मौत मामले में पंजाब पुलिस ने पटियाला के पातड़ां थाने में अज्ञात लोगों पर हत्या का मामला दर्ज कर लिया है। वहीं, शुक्रवार को दिल्ली कूच का फैसला लेना था लेकिन किसान नेताओं ने फिलहाल इसे टाल दिया है। बता दें कि पंजाब सरकार शुभकरण की एक बहन को सरकारी नौकरी और परिवार को एक करोड़ रुपये की सहायता राशि देगी। परिवार के पास ढाई एकड़ जमीन है और परिवार पर लाखों रुपये का कर्ज है। परिवार ठेके पर जमीन लेकर खेती करता है।

रणनीति का फैसला कल करेंगे : डल्लेवाल

किसान-मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि हमने शुभकरण सिंह का अंतिम संस्कार कर दिया है। शंभू और खनौरी बॉर्डर पर आंदोलन जारी है। तीन मार्च को संयुक्त किसान मोर्चा और भारतीय किसान यूनियन की ओर से बल्लोह गांव में प्रार्थना सभा का आयोजन किया जाएगा। हम पंजाब और हरियाणा व आसपास के राज्यों के सभी किसानों, मजदूरों और महिलाओं से इसमें शामिल होने का अनुरोध करते हैं। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि दिल्ली कूच के लिए रणनीति का फैसला कल करेंगे। वहीं, भाकियू चढ़ूनी के गुरनाम चढूनी ने कहा कि उनका पंजाब का संगठन आंदोलन में शामिल है। वे भी बाहर से आंदोलन में सहयोग करते रहेंगे। गुरनाम चढ़ूनी ने कहा कि डल्लेवाल ने आंदोलन के लिए संपर्क नहीं किया।

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केंद्र सरकार किसानों से बातचीत को तैयार : मुंडा

केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि सरकार आंदोलन कर रहे किसानों के साथ वार्ता के लिए तैयार है। बता दें कि केंद्र सरकार व किसानों के बीच अब तक चार दौर की बातचीत हो चुकी है, पर कोई समाधान नहीं निकला। फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी समेत विभिन्न मांगों को लेकर किसान दिल्ली मार्च पर अड़े हैं।(एएमएपी)