आयोजकों को प्रतिदिन के हिसाब से देना होंगे  1,643 करोड़ रुपये

देश के पूर्वोत्‍तर राज्‍य असम में राजनीतिक परिदृश्य एक बार फिर तनाव से भर गया है। यहां कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) के तुरंत किए जा रहे कार्यान्वयन के विरोध में राज्यव्यापी बंद की चेतावनी जारी की है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने जवाबी चेतावनी देते हुए कहा कि संभावित आंदोलन के कारण प्रतिदिन 1,643 करोड़ रुपये की वित्तीय हानि की भरपाई आयोजकों से की जा सकती है।

बंद का आह्वान करने वालों से होगी नुकसान की वसूली

डीजीपी सिंह ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट एक्स का उपयोग करते हुए इस बारे में न्‍यायालय के एक आदेश का हवाला दिया है और कहा है कि इस आदेश में कोर्ट ने बंद का आह्वान करने वालों की जिम्मेदारी और जवाबदेही पर जोर दिया था। उन्होंने कहा, “डब्‍ल्‍यूपी(सी) 7570/2013 में माननीय गौहाटी उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार बंद के आह्वान और बंद का आह्वान करने वालों की जिम्मेदारी/जवाबदेही के बारे में जून 2022 की अपनी पोस्ट को दोहरा रहा हूं।” आगे आर्थिक नतीजों पर विस्तार से बताते हुए, डीजीपी ने कहा, “असम की जीएसडीपी 5,65,401 करोड़ रुपये आंकी गई है, एक दिन के बंद से होने वाला नुकसान लगभग 1643 करोड़ रुपये होगा जो माननीय गौहाटी उच्च न्यायालय के उपरोक्त आदेश के तहत पैरा 35/9 के अनुसार ऐसे बंद का आह्वान करने वालों से वसूल किया जाएगा। ।”

क्‍या बोले असम के मुख्यमंत्री सरमा ?

दूसरी तरफ, असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि अब CAA के खिलाफ किसी आंदोलन की कोई प्रासंगिकता नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर किसी को इस कानून से ऐतराज है तो उन्हें सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए। सरमा ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि संसद, जिसने कानून पारित किया था, ‘सर्वोच्च नहीं’ है क्योंकि शीर्ष अदालत इसके ऊपर है और वह किसी भी कानून को रद्द कर सकती है जैसा कि उसने चुनावी बॉन्ड के मामले में किया।

उन्होंने कहा, ‘‘सीएए वास्तविकता है और यह भारत में कानून की किताब में शामिल है। यह पिछले दो साल से भारत की विधि पुस्तिका में है। दिल से सीएए से नफरत करने वालों को उच्चतम न्यायालय जाना होगा। सीएए से राजनीतिक कॅरियर बनाना चाह रहे लोग आंदोलन कर सकते हैं। पर दोनों में अंतर है।’’मुख्यमंत्री ने कहा कि हो सकता है कि किसी को सीएए पसंद नहीं हो लेकिन वह इस भावना का सम्मान करते हैं तो यही बात दूसरे पक्ष की ओर से भी होनी चाहिए।

आंदोलनकारी अपनी बात पर अड़े

इन चेतावनियों के बावजूद, कई संगठनों, प्रमुख रूप से ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (एएएसयू) ने सीएए विरोधी विरोध प्रदर्शन करने के अपने इरादे की घोषणा की है। बदले में विपक्षी दलों ने इस अधिनियम के खिलाफ आंदोलन की एक श्रृंखला की घोषणा की है, जिससे प्रदर्शनकारियों और अधिकारियों के बीच संभावित झड़पों के लिए कहना होगा कि‍ एक मंच तैयार हो गया है। संभावित अशांति की आशंका को देखते हुए, असम पुलिस ने सक्रिय रूप से अपनी सेनाएं जुटाई हैं और रणनीतिक तैयारी शुरू करते हुए कई स्‍थानों पर अतिरिक्‍त पुलिस को लगा दिया गया है ।

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उल्‍लेखनीय है कि‍ राजधानी गुवाहाटी, जो 2019 में सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान उपद्रवियों द्वारा की गई हिंसा का दंश अब तक झेल रही है। यहां अभी इस पूरे क्षेत्र को उच्च सुरक्षा क्षेत्र में तब्दील कर दिया गया है। पिछली बार अपने विरोध के दौरान  प्रतिबंधित इस्लामी संगठन पीएफआई से जुड़े उपद्रवियों ने राजधानी में कई सरकारी और सार्वजनिक संपत्तियों को बड़े पैमाने पर नष्ट कर दिया था । पिछली अशांति में हुए व्यापक विनाश को देखते हुए, गुवाहाटी सिटी पुलिस ने राजधानी परिसर दिसपुर की सुरक्षा के लिए असम पुलिस कमांडो को अभी से तैनात कर किया है। फिलहाल यहां पर किसी भी अप्रिय घटना पर तुरंत प्रतिक्रिया देने के लिए कई बटालियन और केंद्रीय अर्धसैनिक बल तैयार हैं।(एएमएपी)