दरअसल, खुराक की संख्या के हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने बताया कि उन्हें उम्मीद है कि साल के अंत तक उनकी कैंसर के खिलाफ वाली वैक्सीन सरकार के कार्यक्रम का हिस्सा बन जाएगी। बता दें कि सरकार ने बजट में ऐलान किया था कि 9-14 साल के बच्चियों को सर्वाइकल कैंसर की एचपीवी वैक्सीन मुफ्त लगाई जाएगी। सर्वाइकल कैंसर दुनिया में सेकेंड मोस्ट कॉमन कैंसर है। इस अभियान की शुरुआत मिशन ‘इंद्रधनुष’ के अंतर्गत किया जाएगा।
अभी कितनी है कीमत?
आदार पूनावाला ने कहा, ‘फिलहाल हमारी क्षमता केवल कुछ मिलियन खुराक की है, लेकिन मांग अनंत है। अगर हम भारत में इस एचपीवी वैक्सीन की 50 मिलियन खुराक पेश करते हैं, तो उनका उपयोग निजी बाजार और सरकारी खरीद योजना दोनों में किया जाएगा।’। यह वैक्सीन एचपीवी यानी ह्यूमन पेपिलोमा वायरस संक्रमण के खिलाफ भारत की पहली वैक्सीन है। ह्यूमन पेपिलोमा वायरस संक्रमण सर्वाइकल कैंसर का प्रमुख कारण है। फिलहाल, बाजार में इस वैक्सीन की कीमत 2000 रुपए है।
कितनी वैक्सीन खरीद सकती है सरकार
आदार पूनावाला ने कहा कि सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ चलने वाले वैक्सीनेशन ड्राइव के लिए अभी तक सरकार के साथ वैक्सीन को लेकर कोई अनुबंध नहीं हुआ है, मगर उन्हें उम्मीद है कि सरकार दिसंबर में निविदा प्रक्रिया के माध्यम से शुरुआत में 40 से 50 मिलियन खुराक की खरीद करेगी। बता दें कि अन्य एचपीवी वैक्सीन निर्माताओं में मर्क एंड कंपनी और जीएसके पीएलसी शामिल हैं, जो सरकारी अनुबंधों के लिए भी बोली लगा सकते हैं।
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काफी सस्ती होगी वैक्सीन
उन्होंने कहा कि अभी यह कहना थोड़ी जल्दबाजी होगी मगर हम इस उत्पाद के लिए पूरी तरह तैयार और प्रतिबद्ध हैं। पूनावाला को उम्मीद है कि सरकार को आपूर्ति किए जाने पर वैक्सीन काफी हद तक या पिर शायद आठ गुना सस्ती होगी। बता दें कि आदार पूनावाला की कंपनी सीरम कोविशील्ड नाम से एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीन भी बनाती है। इसी वैक्सीन की वजह से कोरोना काल में सरकार को अभियान चलाने में काफी मदद मिली थी और इसकी कीमत भी बाजार में काफी कम थी।
कब से विदेशों में शुरू होगी वैक्सीन की निर्यात
सीरम का कहना है कि कंपनी की एचपीवी वैक्सीन वहीं बन रही है, जहां कोरोना महामारी के दौरान कोविशील्ड का निर्माण किया गया था। फिलहाल, वे सेंटर अभी भी पूरी तरह से चालू नहीं हैं, जिससे निर्मआ की पूरी क्षमता बाधित हो रही है। कंपनी वैक्सीन की डब्ल्यूएसओ से मंजूरी के लिए आवेदन करने की प्रक्रिया में है और पूनावाला को उम्मीद है कि 2026 में अन्य देशों में एयचपीवी वैक्सीन का निर्यात शुरू हो जाएगा।(एएमएपी)