(07 मार्च पर विशेष)
दरअसल, इस भाषण के बाद पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति याहया खां ढाका पहुंचे। 23 मार्च को जब शेख उनसे मिलने पहुंचे तो उनकी कार में बांग्लादेश का झंडा लगा था। इसके दो दिन बाद 25 मार्च को ऐसा लगा कि पूरे शहर पर पाकिस्तान की सेना ने हमला बोल दिया हो, यह ऑपरेशन सर्चलाइट था। सेना ने शेख मुजीब को गिरफ्तार किया और पाकिस्तान ले गए। इस पर शेख मुजीब की लगाई चिंगारी आग का रूप ले चुकी थी। बांग्लादेश में मुक्ति वाहिनी ने पाकिस्तान की सेना के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। दिसंबर तक ऐसा ही चलता रहा।
भारत कुछ महीने तो स्थिति पर नजर रखे रहा, बाद में उसने मुक्ति वाहिनी की मदद करने का फैसला किया। तीन दिसंबर 1971 को पाकिस्तान ने भारत पर हमला बोला और 13 दिन में भारत ने उसे घुटनों के बल ला दिया। 16 दिसंबर को पाकिस्तान सेना ने आत्मसमर्पण किया और बांग्लादेश को आजादी मिली। आज भी भारत में 16 दिसंबर को विजय दिवस के तौर पर मनाया जाता है। शेख मुजीब पाकिस्तान से लंदन के रास्ते दिल्ली आए। उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से मुलाकात की। इस दौरान इंदिरा गांधी के साथ ही तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरि, केंद्रीय मंत्री, सेना के तीनों अंगों के प्रमुख और पश्चिम बंगाल के तत्काल मुख्यमंत्री सिद्धार्थशंकर राय दिल्ली के हवाई अड्डे पर मौजूद थे। मुजीब ने सेना के कैंटोनमेंट मैदान पर जनसभा में बांग्लादेश के स्वाधीनता संग्राम में मदद करने के लिए भारत की जनता को धन्यवाद दिया। दिल्ली में दो घंटे रुकने के बाद जब शेख ढाका पहुंचे तो दस लाख लोग उनके स्वागत में ढाका हवाई अड्डे पर मौजूद थे।(एएमएपी)