आखिरकार स्वीडन को ‘उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन’ (नाटो) में शामिल कर लिया गया। नाटो के सचिव जनरल जेंस स्टोल्टेनबर्ग ने कहा है कि ‘यह एक ऐतिहासिक दिन है। स्वीडन को अब नाटो में एक अधिकारपूर्वक जगह मिलेगी और उसकी बात का भी नाटो की नीतियों और फैसलों में ध्यान रखा जाएगा।’ उन्होंने कहा कि ‘200 वर्ष ज्यादा समय तक गुट निरपेक्ष रहने के बाद स्वीडन को भी अब अनुच्छेद 5 के तहत सुरक्षा की गारंटी मिलेगी।’
अमेरिका के राष्ट्रपति बाइडेन ने दी बधाई
स्वीडन सरकार की कल विशेष बैठक के बाद इसकी घोषणा की गई। अब ब्रुसेल्स में नाटो मुख्यालय के बाहर स्वीडन का झंडा भी दिखना शुरू हो जाएगा। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक्स हैंडल पोस्ट पर इस घोषणा का स्वागत करते हुए इसके लिए स्वीडन को बधाई दी है। स्वीडन के समाचार पत्र द लोकल स्वीडन के अनुसार, क्रिस्टर्सन ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के साथ एक बैठक में स्वीडन के परिग्रहण का दस्तावेज सौंपा। इसी के साथ 200 से अधिक वर्ष की तटस्थता और गुटनिरपेक्षता का अंत हो गया। स्वीडन नाटो का 32वां सदस्य देश होगा। इस मौके पर ब्लिंकन ने कहा, “इंतजार करने वालों को अच्छी चीजें मिलती हैं। इससे बेहतर कोई उदाहरण नहीं है।” उन्होंने इसे “एक ऐतिहासिक क्षण” बताया।
Sweden begins the final set of formal steps required for it to join NATO https://t.co/mQZhtjSmJ8
— Bloomberg (@business) March 7, 2024
अब स्वीडन को भी मिलेगी सुरक्षा की गारंटी
स्वीडन के नाटो में शामिल होने पर, नाटो के सचिव जनरल जेंस स्टोल्टेनबर्ग ने बयान जारी कर कहा कि ‘यह एक ऐतिहासिक दिन है। स्वीडन को अब नाटो में एक अधिकारपूर्वक जगह मिलेगी और उसकी बात का भी नाटो की नीतियों और फैसलों में ध्यान रखा जाएगा।’ उन्होंने कहा कि ‘200 वर्षों ज्यादा समय तक गुट निरपेक्ष रहने के बाद स्वीडन को भी अब अनुच्छेद 5 के तहत सुरक्षा की गारंटी मिलेगी। स्वीडन के नाटो का सदस्य बनने के बाद अब ब्रुसेल्स में नाटो मुख्यालय के बाहर इसका झंडा भी दिखना शुरू हो जाएगा।
रूस की बढ़ेगी परेशानी
रूस यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से ही रूस का पड़ोसी देश स्वीडन और फिनलैंड नाटो का सदस्य बनने की कोशिश कर रहे थे। फिनलैंड बीते साल नाटो का सदस्य बन गया और अब स्वीडन की भी नाटो में एंट्री हो गई है। इसका मतलब ये है कि रूस को छोड़कर बाल्टिक सागर से घिरे सारे देश अब नाटो का हिस्सा बन गए हैं। यह रूस के लिए झटका है। रूस ने भी स्वीडन के नाटो में शामिल होने पर बयान जारी कर कहा है कि वह भी इसके जवाब में कदम उठाएगा और अगर स्वीडन में नाटो के सैनिकों की तैनाती होती है तो रूस भी इसके खिलाफ कदम उठाएगा।
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उल्लेखनीय है कि नाटो का गठन 1949 में हुआ था। तब इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और फ्रांस समेत 12 देश थे। अब स्वीडन समेत सदस्य देशों की संख्या 32 हो गई है। शुरू में नाटो का उद्देश्य सोवियत संघ के विस्तार को रोकना था। सभी ने संकल्प लिया था कि नाटो के किसी भी सदस्य पर हमला सभी सदस्य देशों पर हमला माना जाएगा। नाटो की कोई सेना नहीं है, लेकिन सभी सदस्य देश एकजुट होकर संकट में कार्रवाई कर सकते हैं। नाटो देश संयुक्त सैन्य अभ्यास भी करते हैं। नाटो के प्रमुख सदस्य देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्पेन, तुर्किये, अल्बानिया, बुल्गारिया, हंगरी, पोलैंड, द चेक रिपब्लिक, स्लोवाकिया, रोमानिया, लिथुआनिया, लातविया, एस्टोनिया और फिनलैंड प्रमुख हैं। (एएमएपी)