अजय गोस्वामी।
चुनाव आयोग इस महीने में कभी भी भारत के सबसे बड़े पर्व लोकतंत्र के उत्सव लोकसभा चुनाव की घोषणा कर सकता है। इस घोषणा का इंतजार किए बिना ही भाजपा ने लोकसभा के लिए 195 उम्मीदवारों का ऐलान किया है। यह उम्मीदवार अपने-अपने क्षेत्रों में प्रचार में भी जुट गए हैं। भाजपा ने उत्तर प्रदेश से 51, मध्य प्रदेश से 24, पश्चिम बंगाल से 20, गुजरात और राजस्थान से 15-15, केरल से 12, तेलंगाना से 9, असम, छत्तीसगढ़ और झारखंड से 11-11, दिल्ली से 5, उत्तराखंड से 3, अरुणाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर से 2-2, साथ ही गोवा, त्रिपुरा, अंडमान निकोबार द्वीप समूह और दमन दीव से 1-1 सीटों के लिए उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया है। इसके बाद कांग्रेस ने 39 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान किया है। इनमें से केरल 15, कर्नाटक 6, छत्तीसगढ 6, तेलंगाना 4, मेघालय 2, नगालैंड 1, सिक्किम 1, त्रिपुरा 2, लक्षद्वीप 2 उम्मीदवारों का ऐलान किया है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश में कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडे ने कहा कि यूपी में कांग्रेस 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और गठबंधन के तहत अन्य बची हुई 63 सीटों पर इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार होंगे। तृणमूल कांग्रेस (टीएससी ) पश्चिम बंगाल की सभी 42 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। ममता बनर्जी ने मेघालय में चुनाव लड़ने के साथ ही उत्तर प्रदेश में भी एक सीट पर चुनाव लड़ने की बात कही है।
भाजपा ने लोकसभा चुनाव 2019 में 303 सीटें जीतकर करिश्माई आंकड़ा छू लिया था। भाजपा ने इस चुनाव में अपने सहयोगियों के साथ मिलकर 352 सीटें जीती थीं। कांग्रेस मात्र 52 पर सिमट गई थी। पिछले लोकसभा चुनाव में जिस तरह से गठबंधन, महागठबंधन का शोर काफी दिन तक चला था और आखिरी में टांय-टांय फिस हो गया था ठीक उसी तरह इस बार इंडी गठबंधन का शोर उठा। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने सभी 42 सीटों पर उम्मीदवार उतारकर, बिहार में नीतीश कुमार फिर भाजपा का दामन थामकर और जम्मू-कश्मीर में उमर अब्दुल्ला ने इंडी की साथी पार्टी पीडीपी के साथ सीट बंटवारे से इनकार करके इंडी गठबंधन को टांय-टांय की स्थिति में तो लाकर खड़ा कर दिया है, फिस होने में भी ज्यादा समय दिखाई नहीं देता है। तब सवाल उठता है कि भाजपा को 400 पार जाने से कौन रोकेगा?
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार है।) (एएमएपी)