प्रमोद जोशी। 
मंगलवार 16 फरवरी को दो खबरें एक साथ मिलीं। एक थी पुदुच्चेरी की उप-राज्यपाल किरण बेदी का हटाया जाना और दूसरी थी बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह की राजस्थान, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट-बेल्ट के सांसदों, विधायकों और स्थानीय नेताओं से मुलाकात। 

पुदुच्चेरी में स्थानीय स्तर पर किरण बेदी का काफी विरोध हो रहा था, पर वहाँ राजनीतिक तोड़-फोड़ भी चल रही है। वहाँ कांग्रेस के चार विधायक अबतक पार्टी छोड़ चुके हैं और अब जल्द ही कांग्रेस सरकार के अल्पमत में हो जाने का अंदेशा है। यानी वहाँ किसी भी समय राजनीतिक गतिविधियाँ तेज होने वाली हैं। शायद उसी की पेशबंदी में किरण बेदी को हटाकर उनकी जिम्मेदारियाँ फिलहाल तेलंगाना के राज्यपाल के सिपुर्द कर दी गई हैं।

जमीनी हालात की टोह

राजनीतिक रूप से बीजेपी की चिंता जाट-बेल्ट को लेकर हैं, जहाँ तीनों राज्यों की 40 लोकसभा सीटें किसान-आंदोलन से प्रभावित हो रही हैं। इस इलाके में इन दिनों महापंचायतें और खाप पंचायतें चल रही हैं, जो सीधे-सीधे केंद्र सरकार की किसान-आंदोलन को लेकर नीतियों को चुनौती दे रही हैं। जेपी नड्डा और अमित शाह ने यह बैठक एक तो जमीनी हालात की टोह लेने के लिए और अपने कार्यकर्ताओं को निर्देश देने के लिए बुलाई थी। इस बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर और कृषि राज्यमंत्री संजीव बालियान भी उपस्थित थे।
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‘वामपंथी प्रोफेशनल आंदोलनकारी’

बताया जाता है कि बैठक में अमित शाह ने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि वे किसानों को तीनों कानूनों के लाभ समझाएं और इस बात को सुनिश्चित करें कि जो लोग किसानों को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं उन्हें उचित उत्तर मिले। दूसरी तरफ स्थानीय नेताओं ने पार्टी नेतृत्व को जानकारी दी कि यदि आंदोलन जारी रहा और सरकार की ओर से उसे खत्म करने के प्रयास नजर नहीं आए, तो चिंता की बात होगी। इस इलाके की 40 लोकसभा सीटें इस आंदोलन से प्रभावित होंगी, इसलिए कोशिश होनी चाहिए कि आंदोलन का विस्तार नहीं होने पाए। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि ‘वामपंथी प्रोफेशनल आंदोलनकारी’ इस इलाके में आंदोलन को भड़काने का प्रयास कर रहे हैं। उनका शिद्दत से जवाब दिया जाना चाहिए।

खाप नेताओं से सम्पर्क

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स्थानीय नेताओं से कहा गया है कि वे खाप नेताओं के सम्पर्क में रहें। उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा के बीजेपी पदाधिकारियों से कहा गया है कि वे इसे सुनिश्चित करने की रणनीति तैयार करें।  गत 27 जनवरी को भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत की भावुक अपील के बाद से तीन महीने पुराना किसान-आंदोलन उत्तर प्रदेश के गन्ना-बेल्ट में फैल गया है।
हाल के वर्षों में बीजेपी ने जाट-समुदाय के भीतर काफी जगह बनाई है। इसके पीछे एक कारण यह भी है कि अजित सिंह के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोकदल की लोकप्रियता में कमी आई है। साथ ही जाटों और मुसलमानों के बीच रिश्ते तल्ख हुए हैं। पर इधर अजित सिंह के पुत्र जयंत चौधरी ने विरोध प्रदर्शनों में बड़ी भूमिका निभाई है।

कानूनों में संशोधन करेगी सरकार?

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बहरहाल केंद्र सरकार ने यह भी कहा है कि हम किसानों से बात करने को तैयार हैं और वे अपनी चिंताओं से हमें अवगत कराएं। क्या सरकार कानूनों में संशोधन करेगी? इसके जवाब में सरकार का कहना है कि यदि किसान चाहते हैं, तो हम ईमानदारी से उनसे बात करना चाहेंगे और विस्तार से उनकी परेशानियों को समझेंगे।
(‘जिज्ञासा’ से साभार)