हत्याकांड के दो आरोपियों की हो चुकी है मौत

बसपा के पूर्व विधायक राजू पाल हत्यांकांड में लखनऊ सीबीआई कोर्ट ने फैसला सुनाया है। लखनऊ सीबीआई कोर्ट प्रथम की विशेष न्यायाधीश कविता मिश्रा ने प्रयागराज के राजूपाल हत्याकांड में सात आरोपियों को दोषी करार देते हुए आजावीन कारावास की सजा सुनाई है। साथ की सभी को 50-50 हजार रुपये जुर्माने से दंडित किया है। कोर्ट ने फरहान अहमद, इसरार अहमद, रंजीत पाल, जावेद, आबिद गुलशान, अब्दुल कवि को उम्र कैद की सजा सुनाई है। हत्याकांड के दो आरोपी माफिया अतीक अहमद और अशरफ की मौत हो चुकी है।

दिन दहाड़े बरसाई गई थीं गोलियां

25 जनवरी 2005 दिन मंगलवार को दोपहर करीब तीन बजे का वक्त था। शहर पश्चिमी के बसपा विधायक राजू पाल एसआरएन अस्पताल स्थित पोस्टमार्टम हाउस से दो गाड़ियों के काफिले में साथियों संग धूमनगंज के नीवां में घर लौट रहे थे, तभी सुलेमसराय में जीटी रोड पर उनकी गाड़ी को घेरकर गोलियों की बौछार कर दी गई। राजू पाल खुद क्वालिस चला रहे थे। उनके बगल में दोस्त की पत्नी रुखसाना बैठी थीं जो उन्हें चौफटका के पास मिली थीं। इसी गाड़ी में संदीप यादव और देवीलाल भी थे। पीछे स्कार्पियो में ड्राइवर महेंद्र पटेल और ओमप्रकाश और नीवां के सैफ समेत चार लोग लोग थे। दोनों गाड़ियों में एक-एक सशस्त्र सिपाही थे।

राजू पाल को लगी थी 19 गोलियां

जैसे ही राजू पाल जीटी रोड पर पहुंचे एक स्कॉर्पियो कार ने उन्हें ओवरटेक किया और तब तक राजू पाल के सीने में एक गोली लग चुकी थी। स्कॉर्पियो से 5 हमलावर उतरे और राजू पाल पर धुआंधार गोलियां बरसा दीं। हमले में रुखसाना जख्मी हो गई, संदीप यादव और देवीलाल की मौत हो गई। राजू पाल को 19 गोलियां मारी गई थीं। इसी राजू पाल हत्याकांड में उमेश पाल चश्मदीद गवाह थे, जो राजू पाल के रिश्तेदार भी थे। आसपास के लोग अब भी सरेराह गोलियों की तड़तड़ाहट को याद कर सिहर उठते हैं।

पत्नी ने कराई थी नौ लोगों के खिलाफ एफआईआर

राजू पाल की पत्नी पूजा पाल ने तत्कालीन सांसद अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ समेत नौ लोगों के खिलाफ धूमनगंज थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। विवेचना के बाद पुलिस ने अप्रैल 2005 में 11 अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। इसके बाद विवेचना सीआईडी की अपराध शाखा को सौंप दी गई। 2008 में बसपा शासन में अग्रिम विवेचना के दौरान तत्कालीन विवेचक एनएस परिहार ने भी अब्दुल कवि को वांटेड किया, लेकिन उसकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी। इस हत्याकांड में फरार आरोपियों ने सेटिंग करके अपनी गिरफ्तारी दी, लेकिन कवि ने सरेंडर नहीं किया। कौशांबी सराय अकिल निवासी अब्दुल कवि पुलिस के लिए छलावा ही बना रहा। पुलिस और एसटीएफ उस तक नहीं पहुंच पाई। बाद में हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने राजूपाल हत्याकांड की जांच की। सीबीआई ने 17 आरोपियों में केवल 10 आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया, जिसमें अतीक और अशरफ समेत अब्दुल कवि आरोपित हुए।

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अतीक और अशरफ को हुई थी जेल

राजू पाल की हत्या का आरोप माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ पर लगा था। दोनों भाइयों को इस मामले में जेल भी जाना पड़ा था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने इस मामले में आगे की जांच की थी। प्रयागराज में पिछले साल राजू पाल मर्डर केस के मुख्य गवाह उमेश पाल की भी दिन दहाड़े गोलियां बरसा कर हत्या करदी गई थी। बता दें, अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद की पिछले साल प्रयागराज में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। (एएमएपी)