(30 मार्च पर विशेष)
भारत की आजादी के वक्त यह सोचा जा रहा था कि राजस्थान को आजाद भारत का प्रांत बनाना और राजपूताना के तत्कालीन हिस्से का भारत में विलय करना एक मुश्किल काम होगा। आजादी की घोषणा के साथ ही राजपूताना की देशी रियासतों के मुखियाओं में स्वतंत्र राज्य में भी अपनी सत्ता बरकरार रखने की होड़-सी लगी थी। यहां की 22 रियासतों और ठिकानों में एक रियासत अजमेर मेरवाड़ा प्रांत को छोड़कर सभी पर देशी राजा-महाराजाओं का ही राज था। अजमेर-मेरवाड़ा प्रांत पर अंग्रेजों का कब्जा था। इस कारण ये सीधे ही स्वतंत्र भारत में आ जाती, मगर शेष 21 रियासतों का विलय कर राजस्थान बनाया जाना था।
इन रियासतों के शासकों की मांग थी कि वे सालों से अपने राज्यों का शासन चलाते आ रहे हैं, उन्हें इसका अनुभव है, इस कारण उनकी रियासत को स्वतंत्र राज्य का दर्जा दे दिया जाए। कॉलिंस और डोमिनिक लेपियर की किताब फ्रीडम एट मिडनाइट में जोधपुर और जैसलमेर जैसी रियासतों के पाकिस्तान की ओर झुकाव का भी जिक्र है। किताब में जोधपुर और जैसलमेर के राजाओं की जिन्ना से मुलाकात के बारे में विस्तार से बताया गया है। किताब के मुताबिक, जिन्ना ने दोनों राजाओं को पाकिस्तान में शामिल होने के लिए कोरा कागज देकर अपनी शर्तें लिख लेने तक का ऑफर दिया था। रामचंद्र गुहा ने भी अपनी किताब इंडिया ऑफ्टर गांधी में जोधपुर की पाकिस्तान के साथ जाने की इच्छा का जिक्र किया है।
ऑस्कर लाइफ टाइम अचीवमेंट से सम्मानित हुए सत्यजीत रे
30 मार्च, 1992 को फिल्मकार सत्यजीत रे को ऑस्कर लाइफ टाइम अचीवमेंट मानद पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसी साल उन्हें भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया। कुल 37 फिल्में बनाने वाले सत्यजीत रे की यादगार फिल्मों में पाथेर पांचाली, अपराजितो, अपूर संसार और चारूलता हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन पर हमला
30 मार्च 1981 को अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन पर वॉशिंगटन में जानलेवा हमला हुआ। महज 69 दिन पहले राष्ट्रपति बने रीगन पर हमलावर ने छह गोलियां चलाई थीं। जॉन हिंकले जूनियर नाम के एक सिरफिरे ने जूडी फोस्टर की फिल्म ‘टैक्सी ड्राइवर’ से प्रेरित होकर यह हमला किया। हमले के करीब महीने भर के अंदर राष्ट्रपति रीगन काम पर लौट आए। उन्होंने अपने दोनों कार्यकाल पूरे किए। इससे पहले अब्राहम लिंकन, जेम्स गार्डफील्ड, विलियम मैक्नले और जॉन कैनेडी पर भी राष्ट्रपति रहते हमले हुए थे, लेकिन ये सभी बच नहीं सके थे। (एएमएपी)