संजय सिंह और भगवंत मान के पर कतरे।
प्रदीप सिंह।आम आदमी पार्टी में इस समय अंदर ही अंदर बड़ी खतबदाहट चल रही है। अरविंद केजरीवाल जेल से सरकार भले ना चला पाएं लेकिन वह जेल से पार्टी चला रहे हैं। और पार्टी के बारे में उन्होंने फैसला कर दिया जिसकी कोई औपचारिक घोषणा नहीं हुई है। ये वो लोग हैं जो जनतंत्र को बचाने की बात करते हैं, जनतंत्र की दुहाई देते हैं, मोदी को डिक्टेटर बताते हुए कहते हैं कि उनकी पार्टी में फैसला सिर्फ दो लोग करते हैं। तमाम तरह के आरोप लगाते हैं।
सुनीता केजरीवाल आम आदमी पार्टी में नंबर दो हो गईं। इसका फैसला किसने किया और इसकी घोषणा किसने की? यह सवाल आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल से पूछा जाना चाहिए कि वह नंबर दो कैसे हो गई। सिर्फ इसलिए कि अरविंद केजरीवाल की पत्नी हैं। मुझे नहीं लगता है कि अरविंद केजरीवाल के जेल जाने से पहले तक वह पार्टी की प्राथमिक सदस्य भी थी। लेकिन अब पार्टी की सर्वे सर्वा हो गई हैं। उन्होंने संजय सिंह और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान दोनों के पर कतर दिए हैं। अरविंद केजरीवाल जेल से पार्टी चला रहे हैं और पार्टी की कमान उन्होंने सुनीता केजरीवाल को सौंप दी है। इसके दो सबसे बड़े प्रमाण हैं। एक- सुनीता केजरीवाल दिल्ली, पंजाब और गुजरात से आम आदमी पार्टी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों को बुला रही हैं और रिव्यू मीटिंग कर रही हैं। पार्टी का कोई और नेता नहीं कर रहा। संजय सिंह, आतिशी, सौरव भारद्वाज या पार्टी का कोई सीनियर लीडर इस रिव्यू मीटिंग में शामिल नहीं हो रहा है। सीधे सुनीता केजरीवाल इन लोगों से मिल रही हैं।
अब खबर आ रही है कि 21 अप्रैल को रांची में होने वाली इंडी गठबंधन की रैली में वह आम आदमी पार्टी की प्रतिनिधि के तौर पर वहां पहुंचेंगी। हालांकि उनके साथ संजय सिंह भी होंगे लेकिन वह सहायक की भूमिका में होंगे। रामलीला मैदान के बाद सुनीता केजरीवाल के लिए यह दूसरा मौका होगा जब इंडी गठबंधन की रैली में वह शामिल होंगी। अरविंद केजरीवाल को अपनी पार्टी में किसी पर भरोसा न तो सरकार के लिए है और न ही पार्टी को चलाने के लिए। पार्टी में जो सीनियर लोग केजरीवाल से बराबरी पर बात करते थे उनको धीरे-धीरे एक-एक करके उन्होंने पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। अब पार्टी में ऐसे लोग बचे हैं जो अरविंद केजरीवाल पर निर्भर हैं। उनकी लोकप्रियता, जनाधार, पार्टी में उनकी ताकत पर निर्भर हैं। उनको मालूम है कि यह डेलीगेटेड पावर है। जब तक अरविंद केजरीवाल ने उनको ताकत दे रखी है तब तक वह ताकतवर हैं। जिस दिन वह वापस ले लेंगे, उनकी कोई हैसियत नहीं रह जाएगी।
इसलिए कोई बगावत नहीं कर सकता। सुनीता केजरीवाल क्यों मीटिंग ले रही हैं? पार्टी के नेताओं, छोटे या बड़े कार्यकर्ता किसी ने ये सवाल नहीं उठाया। सबने चुपचाप इसको स्वीकार कर लिया। इसको एक तरह से अपना प्रारब्ध मान लिया। अरविंद केजरीवाल ने जेल में मिलने का अधिकार चार लोगों को दिया है- पत्नी, बेटी, बेटे और पार्टी के राज्यसभा सदस्य संदीप पाठक को। इन चार लोगों में से कोई संगठन का व्यक्ति नहीं है जिससे वह संगठन के बारे में बात कर सकें। कोई सरकार का व्यक्ति नहीं है जिससे सरकार के बारे में बात कर सकें।
जाहिर है कि सारा माध्यम बनाना है सुनीता केजरीवाल को। सारी जिम्मेदारी देनी है सुनीता केजरीवाल को। इसलिए सुनीता केजरीवाल के जरिए संदेश भिजवाने का काम हो रहा है। लेकिन एक अड़चन आ गई जब संजय सिंह को जमानत मिल गई। आपने देखा होगा कि जिस कुर्सी पर बैठकर अरविंद केजरीवाल अपने वीडियो संदेश जारी करते थे, सुनीता केजरीवाल ने उसी कुर्सी पर बैठकर वहां से दो-तीन संदेश जारी किए। उन्होंने कहा कि वह अरविंद केजरीवाल से मिलने गई थीं। उन्होंने जो संदेश दिया है वह पार्टी तक, दिल्लीवासियों तक पहुंचाना चाहती हैं। लेकिन संजय सिंह के जेल से निकलने के बाद सुनीता केजरीवाल का एक भी संदेश उस कुर्सी से नहीं आया। कोई वीडियो क्लिप जारी नहीं हुई। हालांकि वो अरविंद केजरीवाल से मिलने रोज जा रही हैं।
क्या अरविंद केजरीवाल उनको पार्टी, सरकार, दिल्लीवासियों के लिए कोई संदेश नहीं दे रहे हैं। सुनीता केजरीवाल ने क्यों यह बंद कर दिया। एक आशंका यह है कि इस समय अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसौदिया, सत्येंद्र जैन के जेल जाने के बाद संजय सिंह सीनियरिटी में सबसे ऊपर हैं। उनके डर से या उनके बगावत की आशंका से सुनीता केजरीवाल ने कदम थोड़ा सा पीछे खींचा। बल्कि थोड़ा सा पीछे खींचकर एक कदम आगे बढ़ा दिया। कदम आगे ऐसे बढ़ाया है कि संजय सिंह को यह संदेश दिया गया है कि आप अपनी हैसियत में रहिए, अपनी हैसियत को पहचानिए। पार्टी में आपकी वही हैसियत है जो अरविंद केजरीवाल तय करेंगे। उसके अलावा आपकी कोई हैसियत नहीं है। अरविंद केजरीवाल के बारे में कहा जाता है कि मनीष सिसोदिया के अलावा उन्हें पार्टी के किसी नेता पर कोई भरोसा नहीं है।
आम आदमी पार्टी के स्टार प्रचारकों की सूची जारी हुई। उससे पता चलता है कि पार्टी में क्या वरिष्ठताक्रम तय हुआ है। नंबर एक पर जाहिर है कि अरविंद केजरीवाल का नाम है। नंबर दो पर आ गई हैं सुनीता केजरीवाल। यानी आम आदमी पार्टी में अरविंद केजरीवाल के बाद सुनीता केजरीवाल नंबर दो बन गई हैं। भगवंत सिंह मान को नंबर तीन पर रखा गया है। मान पंजाब के मुख्यमंत्री हैं जो दिल्ली से बड़ा राज्य है। फुल स्टेटहुड है। जेल में बैठे मनीष सिसौदिया और सत्येंद्र जैन चार और पांच नम्बर पर हैं। संजय सिंह छठे नंबर पर हैं। उनको बताया गया पार्टी में यह है आपकी हैसियत। अरविंद केजरीवाल भले जेल में हों लेकिन इससे आपका कद नहीं बढ़ जाता। आपको बेल भले ही मिल गई हो लेकिन पार्टी में इससे आपका कद नहीं बढ़ जाता।
जाहिर है कि जिस तरह का खेल चल रहा है आम आदमी पार्टी में उससे लगता है वहां कुछ बड़ा होने वाला है। बगावत अगर होगी तो बड़ी बगावत होगी। यह भी बता दें कि अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसौदिया, सत्येंद्र जैन जेल में हैं। चुनाव प्रचार नहीं कर सकते। इसके बावजूद केवल संजय सिंह और भगवंत सिंह मान को उनकी औकात बताने के लिए यह सूची जारी की गई है।
यह बताया गया है कि अब पार्टी की कमान सुनीता केजरीवाल के हाथ में है। वह अरविंद केजरीवाल से सलाह मशवरा करके पार्टी के बारे में फैसला करेंगी और जो घोषणा कर देंगी वही पार्टी का अंतिम फैसला माना जाएगा। (विस्तार से जानने के लिए वीडियो देखें)
(लेखक राजनीतिक विश्लेषक और ‘आपका अखबार’ के संपादक हैं)