स्वामी ओमा जी।
जो हर समूह में वही रहता है, हम उसको राम कहते हैं। राम कभी बदला नहीं। रामराज्य अभीप्सा है, यूटोपिया (काल्पनिक आदर्श) नहीं है। वह मनुष्यता का बहुत बड़ा स्वप्न है। मनुष्य जिस दिन अपने शिखर पर होगा वह कृष्ण बनेगा और मनुष्यता जिस दिन शिखर पर होगी वह राम राज्य पैदा करेगी। यह काबिलियत है हमारी। यह हमारी खासियत है।
भारत की दो खूबसूरती हमेशा याद रखने वाली हैं। एक तो भारत बहुत फ्लेक्सिबल है, बहुत लचीला है, ठीक। बहुत फ्लेक्सिबल हैं यही हमारे सनातन भारत के इतने विशाल साम्राज्य के इतने लम्बे समय से जिंदा रहने की वजह है। … मैं इसे विशाल साम्राज्य कहता हूं क्योंकि कोई धरती पर इतने हजार सालों से जिंदा नहीं है… हम ना केवल जिंदा हैं, बल्कि अपनी पूरी श्रेष्ठता के साथ जिंदा हैं। हम किसी से कम नहीं हैं… क्योंकि हम फ्लेक्सिबल हैं। हम लचकना जानते हैं। यह जो हमें सिखाया गया ना… गंगा मैया आई, झुक जाओ- पीपल का पेड़ है, झुक जाओ- हनुमान जी हैं, झुक जाओ- पीर बाबा हैं, झुक जाओ- नेता जी आ रहे हैं, झुक जाओ- दरोगा जी आ रहे, झुक जाओ।
यह जो हम झुक जाते हैं, बार-बार झुक जाते हैं, इसने हमको जिंदा रखा है। यह प्रवृत्ति भारत की मिट्टी में है… हम झुक जाएंगे। बार-बार झुक जाएंगे। जब कोई आंधी आएगी- हम झुक जाएंगे। ‘आंधियां मगरूर दरख्तों को पटक जाएंगी, बस वही शाख रहेगी जो लचक जाएगी।’
हमें लचकना आता है- हम लचक जाएंगे। हवा पूरब की है- चलो थोड़ा सा लचक जाएंगे। पश्चिम की है- चलो थोड़ा सा लचक जाएंगे। फर्क नहीं पड़ेगा हमें। अपनी हरियाली बचाना आता है हमें। अपने फूल बचाना आता है। भारत बचा लेगा। मुझे इसका पूरा एतबार है। तो एक चीज है हमारी फ्लेक्सिबिलिटी, हमारा लचीलापन। हमारा लचक जाना जो हमें सनातन रखता है।
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और जो मैं भारत की दूसरी खूबसूरती की बात कर रहा हूँ वह पूरी दुनिया के सन्दर्भ में कर रहा हूँ। पूरी दुनिया की मैं बात कर रहा हूं- भारत के बाहर जो भी है चाहे वह चीन हो, चाहे वह जापान हो, चाहे वह अमेरिका हो, चाहे व अफ्रीका हो, चाहे वो इजिप्ट हो, चाहे वो अरब हो- कुछ भी हो हर जगह प्राइड पहले आता है, कैरेक्टर पीछे आता है। पहले गर्व सिखाया जाता है।
अमेरिकन होने का पहले गर्व कर लो, चाइनीज होने का पहले गर्व कर लो… हमने इस पर बात ही नहीं की। गर्व करना हमारे गुणों में नहीं है यह आरोपित है। हमने चरित्र की बात की। हमको भगवान शंकर पर गर्व नहीं करना है। हमें शिवत्व पैदा करना है। चरित्र पैदा करना है। याद रखना, एक चरित्र लाखों का गर्व हो सकता है और एक गर्व चरित्र के हटने के साथ जमीन पर गिरा हुआ मिलता है। उसका कोई अता पता नहीं चलता है। इसलिए कैरेक्टर… सनातन धर्म, सनातन भारत कैरेक्टर बिल्डिंग पर काम करता है, न कि प्राइड पर काम करता है। ये उसकी खासियत है। और वही सनातन भारत होगा जो कैरेक्टर बिल्डिंग पर काम करेगा, ना कि प्राइड पर काम करेगा।
प्राइड कुछ नहीं होता। प्राइड कहानियों का झुरमुट है। एक कहानी में अपने खानदान की लंबी चौड़ी सुनाओ। थोड़े घंटों के लिए मैं भी सीना फुला सकता हूं। थोड़े घंटे के लिए तुम भी फुला सकते हो। लेकिन कल एक लूप होल निकल आया कि मेरी फलानी की फलानी बुआ तो फलाने कि ढिकाने के साथ भाग गई थी। मेरी कहानी भी खत्म हो गई- मेरा गर्व खत्म हो गया- तुम लोगों की नजरों में जो इज्जत थी वह भी खत्म हो गई। कहानियों से गर्व मत पैदा करो, चरित्र पैदा करो। ताकि लोग तुम पर गर्व कर सकें।
(लेखक आध्यात्मिक गुरु हैं)