2019 से भी अच्छे नंबर ला सकता  है एनडीए, मोदी के गेमप्लान ‘400 पार’  में बुरी तरह फंस गया विपक्ष । 

आपका अख़बार ब्यूरो।
राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर भाजपा से लेकर कांग्रेस, जदयू से लेकर तृणमूल कांग्रेस तक तमाम राजनीतिक दलों के लिए चुनावी रणनीति बनाने का काम कर चुके हैं। इधर तमाम टीवी इंटरव्यू में उन्होंने लोकसभा चुनाव 2024 के परिणामों को लेकर अपना आकलन लोगों के समक्ष रखा है। हालांकि लोकसभा चुनाव की असली पिक्चर तो 4 जून को ही निकलकर सामने आएगी? यहां प्रस्तुत हैं प्रशांत किशोर के विभिन्न टीवी चैनलों को हाल में दिए गए कुछ साक्षात्कारों के प्रमुख अंश।

सरकार किसकी

मौजूदा मोदी सरकार के खिलाफ बेहद ज्‍यादा नाराजगी न होना और कोई बेहतर विकल्‍प का ना होने के कारण मुझे नहीं लगता कि कोई अमूलचूल परिवर्तन चुनावों के परिणामों में देखने को मिलेगा। चुनावों के परिणाम मोदी सरकार के पक्ष में ही आने जा रहे हैं। आप किसी भी तरह से चुनाव का आकलन कर लें, ऐसा लग रहा है कि पीएम मोदी के नेतृत्‍व में एनडीए सरकार की वापसी देश में होने जा रही है। आंकड़ों को लेकर चर्चा हो सकती है, मतभिन्‍नता हो सकती है, लेकिन मोटे तौर पर करीब-करीब ये बात दिख रही है। इस समय जो सरकार है, उसे पिछले लोकसभा में जिस तरह के नंबर मिले, लगभग उन्‍हीं नंबर या उससे थोड़े बेहतर नंबर के साथ सरकार वापसी कर सकती है। मोदी के नाम पर बीजेपी इस चुनाव को जीतने जा रही है।

272 बनाम 370

जो लोग राजनीति करते हैं, वो अगर भाजपा को 290, 295 या 280 सीटें आ जाएं, वो कल को कह सकते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 370 का दावा किया था, वो तो आईं नहीं। सिर्फ 280 या 285 सीटें आईं। वहीं अगर 300 से ज्‍यादा सीटें आ जाती हैं, तो भाजपा के नेता कहेंगे कि हमें पिछली बार से ज्‍यादा जनता का आशीर्वाद मिला है। हालांकि, ये बहस का मामला है, लेकिन संवैधानिक नजरिए से सरकार बनाने के लिए 272 सीटें चाहिए। जिस किसी दल या गठबंधन को 272 सीटें आएंगी, वो सरकार बनाएगा। मान लीजिए कि कल भाजपा को 272 या 275 सीटें मिलती हैं, तो ऐसा नहीं हो सकता कि भाजपा के नेता कहेंगे कि हमने 400 सीटों का दावा किया था, वो आया नहीं, इसलिए हम सरकार नहीं बनाएंगे। दरअसल, भाजपा ने 400 पार का नारा देकर विपक्षी दलों को फंसाया है।

बेचारी कांग्रेस

2014 में एनडीए से इतनी उम्‍मीदें नहीं थीं, क्‍योंकि तब तक गठबंधन की सरकारें थीं। लेकिन 2024 का मामला थोड़ा उलट है, क्‍योंकि इस लोकसभा चुनाव की शुरुआत ही लोगों ने बड़ी उम्‍मीद के साथ की थी। क्‍योंकि दो बार की बहुमत की सरकार है। प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में खड़े होकर खुद कहा कि बीजेपी की 370 सीटें आ रही हैं। वहीं, पिछले 3-4 महीनों से जो पूरीचर्चा का विषय रहा है, वो 370 और 400 पार रहा है। इसे आप बीजेपी की रणनीति समझ लें, विपक्ष की बेवकूफी समझ लें या उनकी कमजोरी के तौर पर देख लें। दरअसल, हुआ यह है कि पूरा गोल पोस्‍ट जो है उसे भाजपा और पीएम मोदी ने 272 से शिफ्ट करके 370 कर दिया है। इसलिए सारी चर्चा इस पर ही हो रहा है कि भाजपा को 370 सीटें आ रही हैं या नहीं? इसलिए लोगों का आकलन इसी के इर्दगिर्द घूम रहा है कि भाजपा को 370 सीटें आएंगी या नहीं और 272 की कोई बात ही नहीं कर रहा है। कांग्रेस भी भाजपा के इस जाल में फंस गई।

श्रेय मोदी को

मैं फिर कहूंगा कि बेहद समझदारी से… हमें इसके लिए भाजपा और पीएम मोदी को क्रेडिट देना चाहिए कि उन्‍होंने वो बार ही शिफ्ट कर दिया, चर्चा के विषय को 272 से 370 कर दिया, इसका उनको एक तरीके से फायदा है, क्‍योंकि कोई ये कह ही नहीं रहा है कि मोदी हार रहे हैं। सब यही कह रहे हैं कि 370 नहीं आ रहा है। अरे भाई, 320 सीटें भी आएंगी, तब भी तो सरकार उन्‍हीं की बनेगी।

उत्तर-पश्चिम, पूर्व-दक्षिण… भाजपा घाटे में कहीं नहीं

उत्तर और पश्चिम में करीब 325 लोकसभा सीटें हैं। यह क्षेत्र 2014 से बीजेपी का गढ़ रहा है। मौजूदा लोकसभा चुनाव में भी पश्चिम और उत्तर में बीजेपी को कोई खास नुकसान होता नहीं दिख रहा है। इसके अलावा पूर्व और दक्षिण में करीब 225 सीटें हैं। वर्तमान में बीजेपी के पास इन राज्यों में 50 से कम सीटें हैं। पहले भले ही बीजेपी का प्रदर्शन इन जगहों पर अच्छा नहीं रहा हो, लेकिन इस चुनाव ओडिशा, तेलंगाना, बिहार, आंध्र, बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल जैसे दक्षिण-पूर्वी राज्यों में बीजेपी की सीटें घटने की बजाय बढ़ेंगी। यहां पर पार्टी की कुल सीटों में पंद्रह से बीस सीटों का फायदा होता दिख रहा है। इस तरह आज जो एनडीए की स्थिति है, उससे बेहतर ही स्थिति बन सकती है, सीटें कम होने की संभावना बहुत काम दिखाई देती है।