370 का विरोध, यूसीसी के पक्षधर, उन्हें कहाँ बर्दाश्त करता विपक्ष।

सुरेंद्र किशोर।
महान समाजवादी नेता डा.राममनोहर लोहिया यदि जिन्दा होते तोे आज के वोटबैंक लोलुप तथाकथित सेक्युलर समाजवादी नेतागण उन्हें कब का अपनी ‘बिरादरी’’ से बाहर कर दिये होते!डा.लोहिया अनुच्छेद-370 के खिलाफ थे। वे समान नागरिक संहिता लागू करने के पक्षधर थे। इतना ही नहीं, डा.लोहिया रामायण मेला लगवाते थे। डा. लोहिया के कहने पर मकबूल फिदा हुसैन ने राम कथा के करीब 150 चित्रांकन किये थे। चित्रकार मकबूल ने हैदराबाद के समाजवादी विधायक बदरी विशाल पित्ती के यहां लंबे समय तक रहकर यह काम किया था।

लोहिया को ‘जाति बहिष्कृत’ कर दिए जाने की आशंका के और भी कई कारण होते। याद रहे कि लोहिया रुपए-पैसे के मामले में कट्टर ईमानदार थे और उससे अधिक राष्ट्रवादी। लोहिया के पास न तो अपना मकान था, न ही कार और न ही बैंक खाता।
दूसरी तरफ अनेक नामधारी आज के तथाकथित समाजवादी नेताओं की धन संपत्ति का अनुमान लगा लीजिए। कैसे आपसी मेल रह पाता?

लोहिया के कुछ विचार

प्रमुख कांग्रेसी नेता जनार्दन द्विवेदी ने कुछ साल पहले कहा था कि डा. राममनोहर लोहिया अनुच्छेद 370 के खिलाफ थे। ए.एन.आई. से बातचीत में कांग्रेस के पूर्व महासचिव द्विवेदी ने कहा कि ‘‘मेरे राजनीतिक गुरु डा.लोहिया हमेशा 370 के खिलाफ रहे।’’ उन्होंने यह भी कहा कि ‘‘मैं व्यक्तिगत हैसियत से यह बात कह रहा हूं। कांग्रेस पार्टी का सदस्य होने के नाते नहीं।’’

Congress's Janardan Dwivedi quotes Ram Manohar Lohia, backs PM Modi on  Article 370 - India Today

उल्लेखनीय है कि द्विवेदी पहले डा.लोहिया के नेतृत्व वाली पार्टी में ही थे। संभवतः वे 1974 में कांग्रेस में शामिल हुए थे। साल 1967 में ही डा. लोहिया का निधन हो गया था।

370 और सामान नागरिक संहिता

चूंकि डा. लोहिया वोट बैंक को ध्यान में रखकर कोई बात नहीं करते थे। देश को ध्यान मेें रखकर बात करते थे। इसलिए अधिक उम्मीद इसी बात की है कि उन्होंने 370 की मुखालिफत की हो।
1967 के आम चुनाव से ठीक पहले किसी संवाददाता ने डा. लोहिया से सवाल पूछ दिया था, ‘‘सामान्य नागरिक संहिता के बारे में आपकी क्या राय है?’
उन्होंने कहा कि ‘‘मैं उसके पक्ष में हूं। वह तो हमारे संविधान के नीति निदेशक तत्व में शामिल है।’’
डा.लोहिया का यह बयान दूसरे दिन अखबारों में खास कर उर्दू अखबारों में प्रमुखता से छपा। उसके बाद डा.लोहिया के साथियों ने उनसे कहा, ‘‘डाक्टर साहब,आपने यह क्या कह दिया? अब तो आप चुनाव हार जाएंगे।’’
इस पर डा.लोहिया ने जवाब दिया कि ‘‘मैं सिर्फ चुनाव जीतने के लिए नहीं, बल्कि देश बनाने के लिए राजनीति में हूं।’’
1967 में वे उत्तर प्रदेश के एक ऐसे लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे थे जहां मुसलमानों की अच्छी -खासी आबादी थी। कांग्रेस विरोधी हवा के बावजूद डा. लोहिया वहां से सिर्फ करीब चार सौ मतों से ही जीत पाए। फिर भी उन्होंने अपनी राय नहीं बदली।
V-P Venkaiah Naidu, PM Modi pay tributes to Dr Ram Manohar Lohia on his  birth anniversary | India News | Zee News

पीएफआई और लोहिया

आज इस देश में एक जेहादी संगठन सक्रिय है। उसका नाम है- पाॅपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया। वह प्रतिबंधित है। उसने घोषणा की है कि हम हथियारों के बल पर 2047 तक भारत को इस्लामी देश बना देंगे।
इसके बावजूद इस देश का कोई भी तथाकथित सेक्युलर और समाजवादी दल या कांग्रेस पी.एफ.आई.के खिलाफ कोई बयान नहीं दे रहे हैं। इतना नहीं, उसकी मदद से कुछ दल मुस्लिम वोट का लाभ उठा रहे हैं। तेलांगना और कर्नाटक विधानसभा चुनावों के रिजल्ट का श्रेय पी.एफ.आई.-एस.डी.पी.आई को जाता है।
क्या लोहिया जिन्दा होते तो वे भी पी.एफ.आई.-एस.डी.पी.आई.से साठगांठ करते? मैं जितना लोहिया को जानता रहा हूं, वे ऐसा नहीं करते।
फिर क्या होता? वे ‘सेक्युलर-समाजवादी-जमात’ से अंततः बहिष्कृत कर दिए गए होते।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)