आलीशान अपार्टमेंट या विला में रिहाइश… चलने के लिए एसयूवी… तमाम लोग इन सबको अपनी माली हैसियत या रुतबे के प्रमाणपत्र के तौर पर लेते हैं। वैसे आजकल तो कुत्ते हो गए हैं आदमी की हैसियत का सर्टिफिकेट। ज्यादातर लोग अपनी हैसियत के प्रदर्शन के लिए कुत्तों पर आश्रित हैं, जितने ज्यादा कुत्ते उतनी बड़ी हैसियत। एक-एक आदमी, दो-दो तीन-तीन कुत्तों को साथ लेकर चलने लगा है। मनुष्यों को कहा जाता है कि कुत्ता बहुत गुणवान है, उससे कुछ सीखो- वफादारी सीखो, सजगता सीखो और भी पता नहीं क्या-क्या…? मनुष्यों को मनुष्य बनने खासकर अच्छा मनुष्य बनने के लिए तमाम प्राणियों से कुछ न कुछ सीखना है। लेकिन कुत्ते को अच्छा कुत्ता बनने के लिए किसी से कुछ नहीं सीखना है… कुत्ते के लिए कुत्ता होना ही पर्याप्त है।
लेखक, कवि, चिंतक और आध्यात्मिक गुरु स्वामी ओमा द अक् ने वाणी प्रकाशन से आए अपने कविता संग्रह ‘महंगी कविता’ (मूल्यः पच्चीस हजार रुपये) की एक कविता में कुत्तों के स्वभाव और चरित्र पर रसयुक्त और गंभीर चिंतन किया है।
कुत्ते… कुत्ते ही होते हैं
ओमा द अक्
कुत्ते कुत्ते ही होते हैं
चाहे गलियों में हड्डी रोटी की तलाश में भौंकते भटकते रहे हों
या किसी आलीशान सोफे पर हेल्दी मील सटक रहे हों
नेचर और कैरेक्टर एक ही रहता है
इनकी बिरादरियों में फर्क हो सकता है पर इरादों में नहीं
पेट और पेट के नीचे तक ही सीमित होती है इनकी सारी दुनिया
चाहे ये कितने झबरे और मुलायम हों, हो चाहे खबरे और कुरूप
इनको एक ही तलब होती है एक अदद पट्टा
जिस जिस कुत्ते के गले में यह पट्टा पड़ा होता है
वो वो कुत्ता दूसरे कुत्तों से थोड़ा बड़ा होता है
वास्तव में पट्टे की कीमत कुत्ते की औकात होती है
इसलिए हर एंबिशियस कुत्ता किसी संगमरमरी भवन में प्रवेश पाना चाहता है
और इसके लिए वह कितनों के तलवे चाटता है
चाटते चाटते उसकी जुबान लंबी हो जाती है, लगभग उसकी दुम जितनी
इसलिए कई वफादार कुत्ते अपने मालिक की खुशी के लिए अपनी दुम तक कटवा लेते हैं
ताकि उनके इमोशन उनके प्रोफेशन के बीच में ना आएं
मगर अधिकतर चालाक कुत्ते अपनी दुम को अपने परपज के साथ एडजस्ट करना सीख जाते हैं
वास्तव में हर कुत्ते की जीभ उसकी रीढ़ तोड़कर उसके दुम में प्रवेश कर जाती है
फिर लालच के साथ-साथ झुकती है उठती है फड़फड़ती है
इसलिए जब कुत्ते को दुम हिलाते देखना तो समझ लेना इसकी जीभ ने अभी-अभी कोई फरमाइश की है
और पालतू कुत्ते भौंकने लगें तो जान लेना उनके मालिकों ने ऐसी ख्वाहिश की है
यकीनन बहुत सारे कुत्ते इतना नहीं सीख पाते
इसलिए बेकार गलियों में भौंकते भटकते बिलबिलाते घबराते हैं
समाज में यह बहुत बड़ी संख्या में रहते हैं
जो पुरानी परंपरा सिद्ध करते करते कुत्ते की मौत मर जाते हैं।