एसआईटी/सीबीआई जांच की जरूरत नहीं, पुनर्विचार याचिका खारिज की ।

सुप्रीम कोर्ट ने 3 जनवरी के अपने फैसले पर पुनर्विचार की मांग करने वाली याचिका खारिज की, जिसमें अडानी समूह की कंपनियों के खिलाफ शेयर बाजार के नियमों के उल्लंघन के संबंध में हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में आरोपों की अदालत की निगरानी में विशेष जांच दल (SIT) या केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा जांच का निर्देश देने की याचिका को खारिज कर दिया गया।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने जनहित याचिका याचिकाकर्ताओं में से अनामिका जायसवाल द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी। लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार याचिका खारिज करते हुए न्यायाधीशों ने कहा कि 3 जनवरी के फैसले में “रिकॉर्ड को देखते हुए कोई त्रुटि स्पष्ट नहीं थी।”

SC junks review petition in Adani-Hindenburg case

पीठ ने 8 मई को पारित अपने आदेश में कहा

“सुप्रीम कोर्ट रूल्स 2013 के आदेश XLVII नियम 1 के तहत पुनर्विचार का कोई मामला नहीं है। इसलिए पुनर्विचार याचिका खारिज की जाती है।”

3 जनवरी के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने SEBI द्वारा की जा रही जांच का समर्थन करते हुए कहा कि जांच पर संदेह करने का कोई आधार नहीं है। कोर्ट ने यह भी माना कि SEBI को FPI और LODR विनियमों पर अपने संशोधनों को रद्द करने का निर्देश देने के लिए कोई वैध आधार नहीं उठाया गया। कोर्ट ने माना कि इन विनियमों में कोई कमी नहीं है।

कोर्ट ने यह भी नोट किया कि SEBI ने 24 में से 22 मामलों में अपनी जांच पूरी कर ली। सॉलिसिटर जनरल के आश्वासन को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने SEBI को तीन महीने की अवधि के भीतर शेष 2 मामलों में जांच पूरी करने का निर्देश दिया।

कोर्ट ने SEBI जांच पर संदेह करने के लिए याचिकाकर्ताओं द्वारा अखबारों की रिपोर्टों और संगठित अपराध और भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग परियोजना (OCCRP) की रिपोर्ट पर भरोसा करने से इनकार कर दिया।

24 जनवरी, 2023 को अमेरिका स्थित शॉर्ट-सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें अडानी समूह पर अपने स्टॉक की कीमतों को बढ़ाने के उद्देश्य से व्यापक हेरफेर और कदाचार का आरोप लगाया गया। जवाब में अडानी समूह ने 413-पृष्ठ का विस्तृत उत्तर प्रकाशित करके आरोपों का जोरदार खंडन किया।

इसके बाद एडवोकेट विशाल तिवारी, एमएल शर्मा, कांग्रेस नेता डॉ. जया ठाकुर और कार्यकर्ता अनामिका जायसवाल द्वारा सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिकाओं (पीआईएल) का समूह दायर किया गया। इन जनहित याचिकाओं में मामले की अदालत की निगरानी में जांच की मांग की गई।