आपका अखबार ब्यूरो।
पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के चोटिल होने का मामला तूल पकड़ रहा है। नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र से तृणमूल कांग्रेस की प्रत्याशी ममता बनर्जी बुधवार, 10 मार्च को पर्चा भरने नंदीग्राम आई थीं। उन्होंने वहां अपने समर्थकों की भीड़ के साथ कई मंदिरों में माथा टेका था। शाम को अपनी कार में चढ़ते समय अचानक दरवाजा बंद होने से वह चोटिल हो गर्इं। ममता बनर्जी ने कहा कि वो चुनाव प्रचार कर रहीं थी तभी चार से पांच लोगों ने गाड़ी का दरवाजा बंद कर दिया जिससे उनको चोट आ गई। ममता ने भाजपा पर हमले का आरोप मढ़ते हुए कहा है कि उनको निशाना बनाया गया और पैर कुचलने की कोशिश हुई। तृणमूल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी दोनों ने चुनाव आयोग का दरवाज खटखटाया है। चुनाव आयोग ने इस मामले में तीन अलग अलग अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है ताकि उसे घटना की सच्चाई का पता चल सके। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने इसे ममता बनर्जी का ड्रामा बताया है।
पीके की नौटंकी!
इसके साथ ही हैशटैग नौटंकी #Nautanki के साथ ममता बनर्जी के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ट्विटर पर ट्रेंड कर रहे हैं। सोशल मीडिया के यूजर्स ने ममता के साथ हुई इस घटना को चुनाव जीतने के लिए प्रशांत किशोर की स्क्रिप्ट का हिस्सा बताया है। उनका कहना है कि तृणमूल कांग्रेस की हालत पतली देखकर किशोर इस प्रकार के हथकंडे अपना रहे हैं।
One of the key battles FOR DEMOCRACY in India will be fought in West Bengal, and the people of Bengal are ready with their MESSAGE and determined to show the RIGHT CARD – #BanglaNijerMeyekeiChay
(Bengal Only Wants its Own Daughter)
PS: On 2nd May, hold me to my last tweet. pic.twitter.com/vruk6jVP0X
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) February 27, 2021
लोगों ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ हुई घटना से इसकी समानता करते हुए कहा कि बिल्कुल ऐसा ही केजरीवाल के साथ भी हुआ था। पहले हनुमान चालीसा का पाठ हुआ और फिर केजरीवाल के ऊपर हमला हुआ था।
भाजपा की जीत… क्या बोले किशोर
उल्लेखनीय है कि प्रशांत किशोर पहले ही कह चुके हैं कि अगर बंगाल में भाजपा सौ से ज्यादा सीटें जीत जाती है तो वह चुनाव रणनीतिकार का काम छोड़ देंगे क्योंकि उन्हें अपने पूरे करियर में जितनी आजादी ममता बनर्जी ने दी है उतनी कभी भी किसी ने नहीं दी। नवभारत टाइम्स (3 मार्च 2021) को शैफाली श्रीवास्तव की रिपोर्ट में प्रशांत किशोर के हवाले से कहा गया कि भारतीय जनता पार्टी सिर्फ उसी हालत में बंगाल में जीत सकती है जब तृणमूल कांग्रेस अपने आप में ही खत्म हो जाए। रिपोर्ट में किशोर को यह कहते हुए उद्घृत किया गया कि ‘तृणमूल कांग्रेस में कुछ अंदरूनी विरोधाभास हैं और भाजपा अंदरूनी खटकट का फायदा बहुत अच्छे से उठाती है।’ हालांकि किशोर ने यह दावा भी किया कि ममता बनर्जी वापस सत्ता में आएंगी। प्रशांत किशोर का कहना है कि ‘दीदी’ ने उन्हें काम करने के लिए काफी आजादी दी है, जैसा कि वह चाहते थे। ऐसे में बंगाल में हारने पर मेरे पास कोई एक्सक्यूज नहीं होगा सिवा यह मानने के कि मैं इस काम के लिए फिट नहीं हूं।’
एकजुट भाजपा बनाम बिखरी बिखरी तृणमूल
उधर एकजुट भाजपा ने चुनाव के पहले ही जिस तरह से अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया है उसे देखकर कहा जा रहा है कि बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की वापसी इस बार कतई आसान नहीं है। वहीं तृणमूल कांग्रेस में भगदड़ का माहौल है और तमाम नेता पार्टी छोड़कर चले गए हैं। उनमें से ज्यादातर का कहना है कि वे प्रशांत किशोर की मनमानी के कारण तृणमूल कांग्रेस से बाहर निकले हैं। अभी तक जिन भरोसेमंद योद्धाओं के सहारे चुनावी महासमर में उतरने की तैयारी थी, वे भी पार्टी से किनारा करने लगें तो बीच युद्ध में यह आघात किसी के लिए भी मुश्किल में डालने वाला हो सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार तृणमूल कांग्रेस में मचा घमासान उसी आशंका की पुष्टि है जो प्रशांत किशोर कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि सुवेन्दु अधिकारी से लेकर शीलभद्र दत्ता तक तमाम नेताओं ने केवल प्रशांत किशोर के बढ़ते हस्तक्षेप के कारण तृणमूल कांग्रेस से किनारा किया है। तृणमूल नेताओं का कहना है कि अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को सत्ता सौंपने के लिए ममता बनर्जी आंख मूंदकर किशोर की हर बात मान रही हैं इसलिए उन्होंने पार्टी छोड़ी। उधर प्रशांत किशोर का कहना है कि वह यहां दोस्त बनाने नहीं बल्कि तृणमूल कांग्रेस को जिताने के लिए आए हैं। अगर इससे कुछ लोगों को लगता है कि उनकी अनदेखी की गई है तो कुछ व्यवधान आवश्यक था। टिकट बांटने में प्रशांत किशोर की चली है लेकिन चार बार विधायक रही सोनाली गुहा का टिकट काटा जाना उन नेताओं को भी नहीं पच पा रहा जो अभी तृणमूल कांग्रेस में ही हैं। सोनाली गुहा ने तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ प्रचार करने और भाजपा के साथ खड़े रहने की घोषणा की है।
समझो इशारे
भाजपा में शामिल हुए तृणमूल कांग्रेस के पूर्व राज्यसभा सांसद और ममता बनर्जी के करीब रहे दिनेश त्रिवेदी के अनुसार प्रशांत किशोर के आने के बाद से पार्टी में कामकाज का ढंग बिल्कुल बदल गया है। पार्टी हमारे ट्विटर अकाउंट की डिटेल्स ले लेती थी और मेरे हैंडल से मुझसे पूछे बिना प्रधानमंत्री और राज्यपाल को गाली दी जाती थी।
जिसे टिकट मिला उसने भी पार्टी छोड़ी
बंगाल में बयार ऐसी चल रही है कि ममता बनर्जी को यह पता ही नहीं चल पा रहा कौन अपना है कौन पराया। चुनाव की तारीखों की घोषणा और उम्मीदवारों की लिस्ट जारी होने के बाद भी उम्मीदवार तृणमूल कांग्रेस छोड़कर जा रहे हैं। ताजा मामला हबीबपुर विधानसभा सीट का है। वहां तृणमूल कांग्रेस ने सरला मुर्मू को टिकट दिया। लेकिन तृणमूल कांग्रेस छोड़ने की घोषणा कर दी है। चर्चा जोरों पर है कि सरला मुर्मू भारतीय जनता पार्टी में जा रही हैं। उधर तृणमूल कांग्रेस का कहना है कि उन्होंने अपने खराब स्वास्थ्य के कारण यह निर्णय लिया है। राजनीतिक विश्लेषक बता रहे हैं कि खराब स्वास्थ्य के कारण प्राय: नेता चुनाव न लड़ने का फैसला करते हैं, पार्टी छोड़ने का नहीं।
कैप्टन ने भी सौंपी कमान
बहरहाल प्रशांत किशोर की जान सांसत में है। तृणमूल कांग्रेस में हर बात के लिए वही जिम्मेदार ठहराए जा रहे हैं। संयोग से इसमें अच्छी बातें कम और खराब बातें ज्यादा हैं। उधर पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने किशोर को चुनावी प्रबंधन की जिम्मेदारी सौंपते हुए उन्हें अपना प्रिंसिपल एडवाइजर बनाया है और काबीना मंत्री का दर्जा दिया है। लेकिन अभी तो बंगाल का रण बाकी है और किशोर घोषणा कर चुके हैं कि अगर बंगाल हार गए तो ‘आप मुझे किसी और राजनीतिक अभियान के लिए काम करते नहीं देखेंगे।’