अनिल कुमार।

उत्‍तर प्रदेश में योगी आदित्‍यनाथ की सरकार के चार साल पूरे हो रहे हैं। इन चार सालों में राज्‍य विकास एवं सुशासन के उस रनवे तक आ पहुंचा है, जहां से बेहतर कल के लिये उड़ान भरनी है। चार साल में हुए बदलाव को आम जनता महसूस कर रही है। यूपी बीमारू राज्‍य की अपनी छवि से बाहर निकलकर अग्रणी राज्‍यों की सूची में शामिल होने की ओर अग्रसर है। योगी आदित्‍यनाथ ने जब प्रदेश की कमान संभाली थी, तब एक ही सवाल था कि बिना प्रशासनिक अनुभव के वह इतने बड़े राज्‍य को कैसे संभाल पायेंगे? खासकर उस राज्‍य में जहां शासन-प्रशासन में पग-पग पर मारिच बैठे हुए हैं? प्रशासनिक व्‍यवस्‍था के रग रग में बहने वाले भ्रष्टाचार की संस्‍कृति से वह कैसे निपट पायेंगे, जहां बिना लक्ष्‍मी दर्शन एक फाइल तक नहीं खिसकती? जनप्रतिनिधियों-कार्यकर्ताओं के उस दबाव से कैसे निपट पायेंगे, जो जनता के हितों से ज्‍यादा डीएम-एसपी के ट्रांसफर-पोस्टिंग, थाना-चौकी पर इंस्‍पेक्‍टर-दरोगा की तैनाती और ठेका-पट्टा के लिये ही सिफारिश करते हैं? इस तरह के तमाम सवालों के बीच जब योगी ने अपना पराक्रम दिखाना शुरू किया तो विरोधियों का एक वर्ग फिर सक्रिय हुआ कि मात्र कुछ महीने की तेजी है। दो-चार महीने बाद सब ठंडा पड़ जायेगा।


 

जब अपनी हनक दिखानी शुरू की तो…

परंतु, ये सारे कयास धरे के धरे रह गये। मुख्‍यमंत्री ने जब अपनी हनक दिखानी शुरू की तो सत्‍ता को अपने हिसाब से संचालित करने वाली ब्‍यूरोक्रेसी और पुराने मठाधीश सकते में आ गये। कई तरह की दिक्‍कतों और साजिशों से भी योगी आदित्‍यनाथ को जूझना पड़ा। साजिशों में पार्टी के लोग, सहयोगी तथा ब्‍यूरोक्रेसी के कुछ मठाधीश भी शामिल रहे, लेकिन योगी ने कड़े कदम उठाने शुरू किये तो फिर सारी साजिशें धराशायी होती चली गईं। ईमानदारी के मंत्र ने सारी परेशानियों को हाशिये पर डाल दिया। ब्‍यूरोक्रेसी और पुलिस के भ्रष्‍टाचार पर नियंत्रण आसान नहीं था, लेकिन योगी ने भ्रष्‍ट आईएएस-आईपीएस समेत अधिकारियों को सस्‍पेंड करने की शुरुआत की तो इनकी अकड़ और भ्रषटाचार की रफ्तार पर असर पड़ा।

योगी पहले सीएम हैं, जिनके शासन में भ्रष्‍टाचारी आईपीएस तक ईनामी घोषित हुए। यह हिम्‍मत, ईमानदारी और भ्रष्‍टाचार के खिलाफ डंटे रहने की ताकत से पैदा होने वाला सुशासन है। सीएम ऑफिस में जुगाड़ तंत्र के फेल होने के बाद अधिकारियों की समझ में आया कि संन्‍यासी सीएम को साध पाने का एकमात्र रास्‍ता केवल इर्मानदारी, कर्तव्‍यपरायणता, जनता का हित और राज्‍य का विकास है, दूसरा और कोई नहीं।

तमाम राज्‍यों में योगी जैसे मुख्‍यमंत्री की मांग

Action to be taken against people who are threat to women security': Yogi Adityanath | India News,The Indian Express

कठोर निर्णय लेने की क्षमता और निडर होकर डटे रहने के हौसले ने योगी को वह लोकप्रियता दी कि तमाम राज्‍यों में उनके जैसे मुख्‍यमंत्री की मांग सोशल मीडिया में होने लगी। योगी अपनी नेतृत्‍व क्षमता के बूते पुराने कानूनों को लागू करने की हिम्‍मत दिखाकर हजारों भ्रष्‍ट, मिसफिट, लापरवाह एवं आपराधिक छवि के हजारों सरकारी सेवकों को नौकरी से बाहर का रास्‍ता दिखाया। सरकारी सिस्‍टम को ऑनालइन कराया, ताकि भ्रष्‍टाचार की संभावना न्‍यूनतम होने के साथ जवाबदेही निर्धारित हो सके। फाइलों के निस्‍तारण की एक न्‍यूनतम समयसीमा तय की। ऐसे प्रभावी और छोटे सुधारों से उन्‍होंने ठहरे हुए सिस्‍टम में हलचल पैदा कर दी। इस बदलाव ने कई तूफान भी उठाये, योगी आदित्‍यनाथ के अपने भी उनके खिलाफ हुए, लेकिन उन्‍होंने व्‍यापक जनहित के इन मुद्दों पर पीछे हटना स्‍वीकार नहीं किया। भ्रष्‍टचार पूरी तरह तो खत्म नहीं हुआ है, लेकिन नियंत्रण में है।

कमीशन खोरी पर चोट, जनकल्याण पर फोकस

UP govt ensures return of UPPCL employees' PF money invested in DHFL

योगी सरकार ने कमीशनखोरी के लिये बनाई जाने वाली बड़ी निर्माण परिजयोजनाओं की बजाय विकास के उन कार्यों पर फोकस किया, जिनसे सर्वाधिक जनता लाभान्वित हो सके। सरकार ने पूर्वांचल तथा बुंदेलखंड के विकास पर खुद को फोकस किया, जो राज्‍य के सर्वाधिक पिछड़े इलाकों में शुमार थे। इन दोनों इलाकों में बुनियादी जरूरतों और रोजगार का बेहद अभाव था और पलायन इनकी नियति थी। योगी ने चीनी मिलों को बेचकर खुद की और चार लोगों की जेब भरने की बजाय बंद पड़ी मिलों का जीर्णोद्धार कराकर हजारों लोगों को स्‍थानीय स्‍तर पर रोजगार मुहैया कराया और किसानों को राहत पहुंचाई। पूर्वांचल और बुंदेलखंड में इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर मजबूत करने के लिये एक्‍सप्रेस वे तथा डिफेंस कारिडोर की योजना बनाई, जो निर्माण के अपने आखिरी चरण में है। पिछली सरकारों की अनदेखी के चलते पूर्वांचल एवं बुंदेलखंड में दशकों से अधूरी पड़ी बाण सागर, कनहर सिंचाई पिरयोजना, रस्किन बांध जैसी परिजयोजनाओं को पूरा कराने में ऊर्जा खपाई। खेत तालाब के माध्‍यम से बुंदेलखंड में सिंचाई एवं भूगर्भ जलस्‍तर को बढ़ाने की योजनायें चलाईं।

यह योजनाएं कुछ ठेकेदारों, धंधेबाजों, राजनेताओं, दलालों और सियासी पार्टियों को भले नजर नहीं आयें, लेकिन इसका असर उन लोगों को पता है, जिनके खेतों में सिंचाई जल के अभाव में धूल उड़ा करती थी। आज वे किसान गर्मी में भी फसल बो कर अपनी तथा राज्‍य की समृद्धि में योगदान दे रहे हैं। इनफेलाइटिस जैसी महामारी से निदान दिलाना योगी के बूते की ही बात थी, क्‍योंकि इस दर्द को उनसे बेहतर कोई और महसूस नहीं कर सकता था। जिलों में मेडिकल कालेज और अस्‍पातालों का निर्माण किसी लॉयन सफारी या पार्क से ज्‍यादा बेहतर है, ऐसा केवल एक संन्‍यासी ही सोच सकता था। बेहतर रिफार्म एवं अधिकारियों के अनावश्‍यक हस्‍तक्षेप से बाहर निकाल पर योगी ने यूपी को निवेश के लिये आदर्श राज्‍य बनाया। असर यह हुआ कि उत्‍तर प्रदेश ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में 12वें स्‍थान से दूसरे स्‍थान पर पहुंच गया। निवेश आने से प्रदेश के इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर और आय को बढ़ाने में तो मदद मिलेगी ही, स्‍थानीय स्‍तर पर हजारों लोगों को नौकरी और रोजगार भी मिलेगा। यह उन कामों से बेहतर है, जो कमीशन खाकर दिखाने के लिये किये जाते हैं। लॉयन सफारी, पार्क से कुछ नेताओं, अधिकारियों और ठेकेदारों का भला तो हो सकता है, यह देखने की चीज भी हो सकती है, लेकिन इन पैसों से बनी एक नहर कई लोगों की जिंदगी बदल सकती है, यह सोच योगी आदित्‍यनाथ ने दिखाई।

महिलाओं के आर्थिक पक्ष की चिंता

Uttar Pradesh: CM Yogi Adityanath urgently needs to invest on women empowerment

महिलाओं के उत्‍थान की दिशा में भी मिल के पत्‍थर स्‍थापित हुए। महिलाओं की सशक्तिकरण के नारे देने की बजाय उन्‍हें रोजगार से जोड़ा गया। सुरक्षा के साथ महिलाओं की आर्थिक चिंता भी की गई। बाल विकास एवं पुष्‍टाहार के पंजीरी उत्‍पादन एवं आपूर्ति का विकेंद्रीकरण योगी आदित्‍यनाथ ने एक ही झटके कर दिया, जिसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद करोड़ों रुपये के कमीशन के खेल के चलते तीन दशक से लटकाकर रखा गया था। इस बहुप्रतीक्षित फैसले से लाखों महिलाओं को रोजगार एवं आर्थिक सवृद्धि मिली। प्रदेश की एक लाख से ज्‍यादा महिलाओं को रोजगार देने के लिये बैंक सखी एवं सामुदायिक शौचालयों की जिम्‍मेदारी दी गई। योगी के इन फैसलों ने दस लोगों का बैंक बैलेंस मजबूत करने की बजाय लाखों लोगों के हाथों को आर्थिक मजबूती दी।

अग्रिम मोर्चे पर नेतृत्व करता सन्यासी

They Need Protection, Not Independence: How CM Yogi Views Women

कोरोना महामारी जैसी विकट परिस्थति में भी योगी ने अपने सामर्थ्‍य और सुशासन की ताकत दिखाई। दिल्‍ली, मुंबई से भगा दिये गये प्रवासियों की घर वापसी की व्‍यवस्‍था कराई। लॉक डाउन के दौरान किसी को भूखा ना रहना पड़े इसकी व्‍यवस्‍था सबसे पहले सुनिश्‍चित की। उस नोएडा जाकर प्रवासियों की व्‍यवस्‍थायें देखीं, जहां जाने से सीएम की कुर्सी जाने का भय पुराने मुख्‍यमंत्रियों पर तारी रहता था। अग्रणी राज्‍यों की तुलना में अपने कुशल नेतृत्‍व एवं बेहतर प्रबंधन से कोरोना को ना केवल नियंत्रित किया बल्कि कड़ाई करके इस पर लगाम लगाने में भी सफल रहे।

एक दो करोड़ की जनसख्‍ंया वाले राज्‍यों के मुकाबले 24 करोड़ के आबादी वाले यूपी ने कोरोना से बेहतर तरीके से निपटने में सफलता पाई, क्‍योंकि योगी फ्रंट पर लीड कर रहे थे। मशीनरी के भरोसे बैठने और ट्वीटर पर ज्ञान देने की बजाय खुद जाकर व्‍यवस्‍थायें देख रहे थे।

अपनी जिंदगी बचाने को परेशान माफिया

प्रदेश के कानून-व्‍यवस्‍था की मजबूती का आलम यह है कि संगठित अपराध खत्‍म हो चुके हैं। गोली चलाने वाले जवाबी गोली के शिकार हो रहे हैं। मुख्‍तार अंसारी, धनंजय सिंह, अतीक अहमद, ध्रुव कुमार सिंह, खान मुबारक जैसे बड़े माफिया अपनी जिंदगी बचाने को लेकर परेशान हैं। कभी जेल में बैठकर सत्‍ता और शासन-प्रशासन को चलाने वाले इन माफियाओं की अवैध कमाई के साम्राज्‍य को नेस्‍तनाबूद किया जा रहा है। यह केवल एक संन्‍यासी के बूते की बात थी, किसी और के बूते की बात होती तो आज की तरह पहले भी मुख्‍तार-अतीक यूपी आने से कतरा रहे होते। यह बदलाव है, जो योगी जैसे ईमानदार नेतृत्‍व में संभव है। योगी ने केवल सुशासन ही नहीं दिया बल्कि तुष्टिकरण के चलते हाशिये पर डाल दिये गये हिंदू पर्व त्‍यौहारों को भी उनकी पहचान दिलाई। शानदार कुंभ का आयोजन हो या फिर काशी विश्‍वनाथ, अयोध्‍या या विन्‍ध्‍याचल का जीर्णोद्धार योगी ने वह कर दिखाया है, जिसकी अपेक्षा यूपी को लंबे समय से थी। धर्म को पर्यटन से जोड़कर वह उत्‍तर प्रदेश को उत्‍तम प्रदेश बनाने में जुटे हुए हैं।

(लेखक पाक्षिक पत्रिका ‘पूर्वांचल दस्तक’ के संपादक हैं)


यूपी बजट: युवाओं, किसानों, महिलाओं पर फोकस, हर हाथ को काम देने का संकल्प