पांचवां नदी उत्सव 19 से 21 सितंबर तक ।

आपका अख़बार ब्यूरो।
भारतीय संस्कृति में नदियों का स्थान बहुत महत्त्वपूर्ण है। केवल भारत ही ऐसा देश है, जहां नदियों को केवल जलस्रोत या भौगोलिक संरचना नहीं माना जाता, बल्कि हमारे नदियों को पावन और पूज्य भी माना गया है। इन्हें मां और देवी का दर्जा दिया गया है। नदियां भारतीय संस्कृति का बेहद महत्त्वपूर्ण अंग हैं। भारत के अनगिनत नगर, गांव, कस्बे नदियों के किनारे बसे हैं, उनकी पहचान नदियों से है। नदियां एक प्रकार से हमारे जीवन का आधार हैं और ‘आधार कार्ड’ भी।

भारतीय समाज-जीवन में नदियों के महत्त्व को देखते हुए इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) 2018 से ‘नदी उत्सव’ का भव्यतापूर्ण आयोजन कर रहा है। इस उत्कृष्ट पहल की कल्पना आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानंद जोशी ने लोगों के बीच पारिस्थितिकी और पर्यावरण के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने तथा उन्हें संवेदनशील बनाने के उद्देश्य से की थी। आईजीएनसीए द्वारा इसकी शुरुआत 2018 में नासिक (महाराष्ट्र) से की गई थी, जो गोदावरी नदी के किनारे बसा है। दूसरे ‘नदी उत्सव’ का आयोजन कृष्णा नदी के किनारे बसे विजयवाड़ा (आंध्र प्रदेश) में, तीसरे ‘नदी उत्सव’ का आयोजन गंगा के किनारे बसे मुंगेर (बिहार) और चौथे नदी उत्सव का आयोजन यमुना के तट पर बसे दिल्ली में हुआ था। इसी कड़ी में पांचवें ‘नदी उत्सव’ का आयोजन एक बार पुनः दिल्ली में आईजीएनसीए के प्रांगण में 19 सितंबर से 21 सितंबर तक किया जा रहा है। कार्यक्रम का उद्घाटन सत्र 19 सितंबर, गुरुवार को शाम 5 बजे से होगा, जिसमें केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत की गरिमामय उपस्थिति रहेगी।

पाचवें नदी उत्सव की पूर्व संध्या पर आयोजित प्रेस वार्ता में आईजीएनसीए के जनपद सम्पदा प्रभाग के अध्यक्ष प्रो. के. अनिल कुमार, मीडिया सेंटर के नियंत्रक श्री अनुराग पुनेठा और नदी उत्सव के संयोजक श्री अभय मिश्रा ने जानकारी दी कि तीन दिनों के इस आयोजन में कई कार्यक्रम होंगे, जिनमें पर्यावरणविदों व विभिन्न विषयों के विद्वानों के साथ विद्वतापूर्ण चर्चाएं, फिल्मों की स्क्रीनिंग, प्रख्यात कलाकारों की प्रस्तुतियां, प्रदर्शनी सहित विविध प्रकार के कार्यक्रम शामिल हैं। नदी उत्सव का उद्देश्य भारत की नदियों के महत्व को उजागर करना तथा उनके समृद्ध सांस्कृतिक, पर्यावरणीय और आर्थिक महत्व पर ध्यान केंद्रित करना है। मीडिया सेंटर के नियंत्रक श्री अनुराग पुनेठा ने बताया कि इस तीन दिवसीय आयोजन का प्रारम्भ 19 सितंबर, गुरुवार को 2.30 बजे अपराह्न आईजीएनसीए के समवेत सभागार में अभय मिश्रा द्वारा निर्देशित डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘यमुनाः द रिवर्स ऑफ गॉड्स एंड ह्यूमंस’ की स्क्रीनिंग से होगा।

आयोजन के बारे में जानकारी देते हुए श्री अभय मिश्रा ने कहा कि ‘नदी उत्सव’ अपनी पारम्परिक जल चेतना के दस्तावेजीकरण का एक विनम्र प्रयास है। उन्होंने कहा कि आधुनिकता की दौड़ में हम अपनी नदियों को धन्यवाद कहना भूल गए हैं। यह आयोजन नदियों से जुड़ाव को याद करने का एक उपक्रम है। नदी उत्सव में डॉक्यूमेंट्री फिल्म फेस्टिवल ‘माई रिवर स्टोरी’ का आयोजन भी किया जा रहा है, जिसमें नदियों पर आधारित 11 डॉक्यूमेंट्री फिल्में दिखाई जाएंगी। तीन दिनों के आयोजन के दौरान प्रसिद्ध पर्यावरणविद् श्रीमती बसंती नेगी, ऋषिकेश के परमार्थ आश्रम के आध्यात्मिक प्रमुख स्वामी चिदानंद सरस्वती और अपने प्रयासों से गुजरात की एक नदी का पुनरुद्धार करने वाले ढोलकिया फाउंडेशन अध्यक्ष श्री सावजी ढोलकिया जैसे गणमान्य लोग उपस्थित रहेंगे। तीन दिनों के दौरान नदियों और नदी संस्कृति पर 48 शोधपत्र भी प्रस्तुत किए जाएंगे। इन तीन दिनों में बच्चों के वर्कशॉप, पेंटिंग व फोटो प्रदर्शनियां भी लगाई जाएंगी। इसमें नावों से सम्बंधित एक बेहद रोचक प्रदर्शनी भी शामिल है।

कार्यक्रम के कुछ प्रमुख आकर्षण: 1. राष्ट्रीय संगोष्ठी: इस महोत्सव में ‘रिवर्स इन रिवर्स – मेकिंग ऑफ ए लाइफलाइन’ शीर्षक से एक राष्ट्रीय संगोष्ठी। 2. डॉक्यूमेंट्री फिल्म महोत्सव: ‘माई रिवर स्टोरी’ नामक इस फिल्म महोत्सव में सभ्यताओं और संस्कृतियों की जीवनरेखा नदियों पर आधारित फिल्में दिखाई जाएंगी। 3. बच्चों की कला वर्कशॉप: नदी संरक्षण के महत्व को बच्चों के मस्तिष्क में बिठाने के लिए रचनात्मक कार्यशाला का आयोजन। 4. पर्यावरण पुस्तक मेला: पर्यावरण साहित्य को समर्पित एक विशेष पुस्तक मेला, जिसमें नदी और नदी के पारिस्थितिकी तंत्र पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। पर्यावरण प्रकाशन के क्षेत्र में चुनौतियों और उम्मीदों पर आधारित प्रकाशकों का एक विशेष सत्र भी होगा।

प्रदर्शनियां: 1- कंसाबती- एक फोटोग्राफिक यात्रा: कंसाबती नदी और उसके आस-पास की संस्कृति की एक दृश्य कथा। 2- स्कूली छात्रों द्वारा बनाई गई पेंटिंगों की प्रदर्शनी। 3- भारत की नावें: भारतीय नदियों में प्रयोग की जाने वाली पारमपरिक नावों का प्रदर्शन।

सांस्कृतिक कार्यक्रम: इस महोत्सव में भारत की नदी विरासत को दर्शाने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होंगे। 1- गुरु श्रीमती कस्तूरी पटनायक और उनकी टीम द्वारा ओडिसी नृत्य। 2- गुरु श्रीमती मैरी एलंगोवन और उनकी टीम द्वारा भरतनाट्यम। 3- सुश्री मधुरा और सुश्री भैरवी किरपेकर द्वारा शास्त्रीय प्रस्तुतियां। 4- श्री विक्रांत भंडराल द्वारा हिमाचली लोकगीत।