अगली सुनवाई 23 और 24 अक्टूबर को।
दिल्ली कोर्ट ने सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग मामले में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता लालू प्रसाद यादव और उनके बेटों तेजस्वी प्रसाद यादव और तेज प्रताप यादव को जमानत दी। यह मामला कथित जमीन के बदले नौकरी घोटाला मामले से जुड़ा है।
‘लाइव लॉ’ की रिपोर्ट के अनुसार राउज एवेन्यू कोर्ट के स्पेशल जज विशाल गोगने ने एक-एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी। इस मामले की सुनवाई अब 23 और 24 अक्टूबर को होगी।
ईडी द्वारा दायर पूरक आरोपपत्र पर अदालत द्वारा संज्ञान लेने के बाद मामले में आरोपियों को तलब किया गया था। सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह के साथ एडवोकेट वरुण जैन, नवीन कुमार, अखिलेश सिंह, सुमित सिंह और अकीता वत्स यादव की ओर से पेश हुए।
पिछले साल निचली अदालत ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज मामले में लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी प्रसाद यादव को जमानत दी थी।
सीबीआई ने इस मामले में 10 अक्टूबर 2022 को 16 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया। इस मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटी मीसा भारती और अन्य व्यक्ति आरोपी हैं।
जांच एजेंसी का आरोप है कि 2004 से 2009 तक मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर में रेलवे के विभिन्न जोनों में “ग्रुप-डी पदों” पर बिहार के विभिन्न निवासियों को स्थानापन्न के रूप में नियुक्त किया गया।
आरोप लगाया गया कि इसके बदले में, व्यक्तियों ने स्वयं या उनके परिवारों ने तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के परिवार के सदस्यों और मेसर्स एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी के नाम पर अपनी जमीन हस्तांतरित कर दी, जिसे बाद में उनके परिवार के सदस्यों ने अपने कब्जे में ले लिया।
सीबीआई ने दावा किया कि रेलवे में की गई नियुक्तियां भारतीय रेलवे द्वारा नियुक्तियों के लिए स्थापित मानकों और दिशानिर्देशों के अनुरूप नहीं थीं। ED के मामले में आरोप लगाया गया कि 2004 से 2009 तक जबलपुर में पश्चिम मध्य रेलवे जोन में ग्रुप डी की नियुक्तियां कथित तौर पर लालू यादव के परिवार और उनके सहयोगियों को हस्तांतरित भूमि के बदले में की गई थीं।