‘वफा खुद से नहीं होती, खता ईवीएम की कहते हो’।

आपका अख़बार ब्यूरो।
महाराष्ट्र और झारखण्ड के विधानसभा चुनाव और कई लोकसभा और विधानसभा उपचुनावों की तारीखों की घोषणा के लिए मंगलवार को नई दिल्ली में चुनाव आयोग ने प्रेस कांफ्रेंस की। इसमें ईवीएम को लेकर भी सवाल पूछे गए। जैसे ईवीएम में गड़बड़ी क्यों नहीं हो सकती? जब पेजर में विस्फोट किया जा सकता है तो ईवीएम को हैक करना क्या मुश्किल है। मुख्य चुनाव आयुक्त ने ईवीएम पर उठाये जा रहे सवालों का तथ्यों के साथ जवाब दिया और साथ ही पूरी प्रक्रिया भी बताई।

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बताया, ‘लोग पूछते हैं कि किसी देश में पेजर से ब्लॉस्ट कर देते हैं, तो ईवीएम क्यों नहीं हैक हो सकती। पेजर कनेक्टेड होता है भाई, ईवीएम नहीं। 6 महीने पहले ईवीएम की चेकिंग शुरू होती है। पोलिंग पर ले जाना, वोटिंग के बाद वापस लाना। हर एक स्टेज पर पॉलिटिकल पार्टी के एजेंट या कैंडिडेट मौजूद होते हैं। जिस दिन कमीशनिंग होती है, उस दिन बैट्री डाली जाती है।’

‘वोटिंग से 5-6 दिन पहले कमिशनिंग होती है। इस दिन सिंबल डाले जाते हैं और बैट्री डाली जाती है। बैट्री पर भी एजेंट के दस्तखत डाले जाते हैं। स्ट्रॉग रूम में जाती है, यहां भी 3 लेवल की चेकिंग होती है। जिस दिन पोलिंग के लिए निकलेंगी, तब भी यही प्रोसेस होगी। वीडियोग्राफी होगी। नंबर भी शेयर होंगे, ये मशीन यहां बूथ पर जाएगी। फिर चेकिंग होगी, वोट डालकर देखे जाएंगे। पूरे दिन वोटिंग हुई। फिर मशीन लॉक। फिर दस्तखत और हिसाब-किताब होता है। 20 शिकायतें आई हैं। हम हर सवाल का फैक्चुअल जवाब देंगे। जल्दी देंगे। अगला भी कुछ आएगा, रुकेगा नहीं।’

सीईसी ने इस साल मार्च में सात चरण वाले आम चुनाव की घोषणा करते हुए कहा था, ‘‘अधूरी हसरतों का इल्जाम हर बार हम पर लगाना ठीक नहीं, वफा खुद से नहीं होती, खता ईवीएम की कहते हो, और बाद में जब परिणम आता है तो उसपे कायम भी नहीं रहते।’’

कुछ तो लोग कहेंगे

‘‘कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना।’’ यह प्रतिक्रिया मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार ने तब व्यक्त की जब उन्हें बताया गया कि आलोचक हाल ही में संपन्न हरियाणा विधानसभा चुनाव में मतदान प्रक्रिया के दौरान अनियमितता का आरोप लगा रहे हैं।

कुमार ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘चुनाव दर चुनाव, प्रक्रिया में भागीदारी बढ़ रही है, हिंसा कम हो रही है और रिकॉर्ड बरामदगी हो रही है। मतदाता स्पष्ट संकेत दे रहे हैं कि उन्हें चुनावी प्रक्रिया में विश्वास है और वे बहुत सहभागी हैं…. इसके अलावा मैं यही कह सकता हूं कि कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना।’’
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