Govind Singh, Journalistगोविंद सिंह, वरिष्ठ पत्रकार /पूर्व प्रोफेसर-आईआईएमसी

‘आपका अखबार’ को एक वेबसाइट के तौर पर शुरू हुए हालांकि चार साल हो चुके हैं, लेकिन वास्तव में एक यूट्यूब चैनल के रूप में विधिवत प्रकाश में आए अभी तीन साल ही हुए हैं। और इन तीन वर्षों में ही कामयाबी की जो सीढ़ियाँ इसने चढ़ी हैं, वो बेमिसाल हैं। इतने कम समय में दस लाख पंजीकृत दर्शकों का आंकड़ा छू पाना मामूली बात नहीं है। वो भी तब, जब आप सिर्फ और सिर्फ कंटेंट के भरोसे आगे बढ़ रहे हों।

मुझे याद है, जब अप्रैल 2021 में प्रदीप जी ने बंगाल चुनाव पर पहला वीडियो प्रकाशित किया था, तो हमने यह आशा व्यक्त की थी कि काश यह नियमित रह पाता। क्योंकि तब तक जो सफल यूट्यूब चैनल थे, वे अमूमन एकतरफा सरकार विरोधी थे। कई बार वे अभियान चलाकर मोदी विरोध प्रकट करते थे। उनकी वजह से मीडिया की छवि बड़ी विद्रूप सी दिखने लगी थी। ठीक है कि सरकार का विरोध भी होना चाहिए और यदि कुछ अच्छा काम हो रहा हो तो उसको भी प्रकाश में लाना चाहिए। और विश्लेषण तार्किक और वस्तुनिष्ठ होना चाहिए। यदि आप किसी नीति या कार्यक्रम का विरोध कर रहे हैं तो उसका भी कोई आधार होना चाहिए।

ऐसे समय में जब ‘आपका अखबार’ का यूट्यूब चैनल सामने आया तो एक नई आशा जगी। प्रदीप जी हर रोज सुबह और शाम दिन भर की घटनाओं में से कुछेक को पकड़ कर बेहद संतुलित विश्लेषण प्रस्तुत करते हैं। रविवार को किसी पुराने मुद्दे या घटना की याद करते हुए राजनीतिक तबसरा प्रस्तुत करते हैं। बीच बीच में फेसबुक लाइव पर शॉर्ट्स या रील डालने का सिलसिला भी जारी रहा। वे यह सब बेहद अनुशासित होकर करते हैं। इस बीच रिसर्च करना, तमाम अखबार और पत्रिकाएँ पढ़ना, नई आने वाली किताबों का अध्ययन करके अपने विश्लेषण में उनके तथ्यों का इस्तेमाल करना और साथ ही एक तेज तर्रार रिपोर्टर की तरह अपने संपर्कों से वार्ता करना- एक अकेले व्यक्ति के लिए आसान नहीं होता। इसी बीच वे बीमार भी पड़े, आँख का ऑपरेशन भी हुआ, इसलिए कुछ दिन के लिए विराम भी लगा लेकिन उसके बाद फिर गाड़ी पटरी पर दौड़ने लगती।

‘आपका अखबार’ के विषय आम तौर पर राजनीतिक घटनाक्रम से ही निकलते हैं। लेकिन ऐसा भी नहीं कि अन्य विषयों को नजरंदाज करते हों। जिन भी घटनाओं का हमारे जीवन से मतलब हो, वे सब इसके दायरे में आते हैं। असल बात यह है कि प्रदीप जी समस्या की जड़ तक जाने की कोशिश करते हैं। जब वे अपने विचार या पक्ष रखते हैं, तब बड़ी ईमानदारी से यह बोल देते हैं कि ये मेरा विचार है, संभव है आप इससे सहमत न हों। अनेक मौके ऐसे भी आए हैं, जब सूचनाओं की आपाधापी में असल खबर या उसके मूल कारण का पता ही नहीं चलता। ऐसे समय में हम ‘आपका अखबार’ की तरफ देखते हैं। सच बात यह है कि जिस तरह से पहले के लोग अखबार को एक मार्गदर्शक की तरह से देखते थे, ठीक वही स्थिति ‘आपका अखबार’ की है।

एक बार सुबह की सैर के वक्त एक सज्जन जेब में मोबाइल रखे तेज कदमों से चलते हुए ‘आपका अखबार’ सुन रहे थे। मैंने रोक लिया और पूछ लिया कि क्या आप इसे नियमित सुनते हैं? उन्होंने हामी भरी। वे बिना कुछ बोले चलते बने। मुझे लगा यही प्रतिबद्ध पाठक-श्रोता हैं।

प्रदीप जी इसी तरह आगे बढ़ते रहें, नए-नए वीडियो प्रस्तुत करते रहें, यही कामना है।