डॉ. कुमार विश्वास!
मैंने अपने बचपन में जिन जन-नेताओं को पास से देखा, सुना, चौधरी साहब उनमें से एक थे! लोकनायक जयप्रकाश के बिगुल पर, श्रीमती इंदिरा गाँधी जी के व्यक्तिवादी अधिनायकवाद के विरोध में पूरा देश उबाल पर था, ऐसे में जिन नेताओं ने पूरी हिंदी पट्टी में उस आंदोलन को आत्मस्फूर्ति के साथ खड़ा किया उनमें स्व. चंद्रशेखर जी के साथ चौधरी साहब सबसे बड़ा नाम थे!
हमारे घर के बहुत सारे वरिष्ठ सदस्यों से उनका सीधा राब्ता था! वह दौर सच्चे लोकतंत्र का दौर था जहाँ हर तरह की पात्रता होते हुए भी अपने नेताओं को देवता समझ लेने की सनकें परवान नहीं चढ़ी थीं, इसलिए हमारे गाँवों के किसान कृषिमंत्री, वित्तमंत्री रहे चौधरी साहब के घर-दफ़्तर में सीधे घुसकर उनसे कुछ भी तर्क-कुतर्क कर लेते थे और चौधरी साहब भी टिपिकल मेरठ-बागपत छाप मज़ाक़िया लहजे में जवाब देकर सबको चित्त करते रहते थे! ऐसे अनेक क़िस्से-कहानियाँ हमारे इलाक़े में हमें बचपन से सुनाई जाती हैं!
चौधरी साहब हम पश्चिमी उप्र के लोगों के लिए क्या थे और क्या हैं यह बात देश के दूसरे हिस्सों के नागरिक सहजता से नहीं समझेंगे! और जनता में यह आदर चौधरी साहब को केवल इंदिरा-विरोध से नहीं मिला था, इसमें उत्तर प्रदेश के और किसानों के लिए समर्पित उनके जीवन के एक बड़े हिस्से का भाग भी था! खाद से टैक्स हटाने जैसे क्रांतिकारी निर्णयों ने उन्हें किसानों की निर्विवाद जननायक बना दिया था! आपातकाल के बाद की उनकी भोली-भाली ठेठ देसी राजनीति, लुटियन्स वाली घाघ दिल्ली की चपेट में आ गई थी जिसके प्रभाव में उनसे कुछ भीषण अनपेक्षित राजनैतिक निर्णय हुए! लेकिन फिर भी चौधरी साहब के आख़री राजनैतिक दिनों में उनकी आभा को राजनीति ने यथेष्ट सम्मान नहीं दिया!
दुर्भाग्य ही है कि उनके राजनैतिक उत्तराधिकार की लड़ाई तो सब नेताओं व दलों ने लड़ी किंतु उनके सात्विक संकल्पों की ज़िम्मेदारी उनमें से किसी ने नहीं ली! वे भारतरत्न हैं यह स्वीकारने में देश ने देरी की। चौधरी साहब की जयंती , मेरे जैसे पिलखुवा-हापुड़-मेरठ में रहने वालों के लिए केवल प्रणाम का नहीं घर के बुजुर्ग को याद करने जैसा विषय है!
“जो जोतेगा-बोएगा वही ज़मीन का मालिक है” जैसे क्रांतिकारी नारे के जनक, संसदीय इतिहास में किसानों की आजतक की सबसे मानक आवाज़, हम उप्र के नागरिकों के लोकमानद् पितृपुरुष व स्वाधीनता सेनानी और खाँटी उसूलों की खनकती बेख़ौफ़ आवाज़ पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह (23 दिसंबर 1902 – 29 मई 1987) को उनकी जयंती पर कृतज्ञ स्मरण सहित सादर प्रणाम करता हूँ!
(लेखक जाने माने कवि और प्रेरक वक्ता हैं )