नवेद शिकोह।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री, गोरखनाथ मठ के महंत और भाजपा के सुपर स्टार प्रचारक योगी आदित्यनाथ तीन महत्वपूर्ण धर्म एक साथ निभा रहे हैं। मुख्यमंत्री और सनातन धर्म के सेवादार के रूप में वो प्रयागराज में दिव्य और भव्य महाकुंभ को सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए टू इन वन भूमिका निभा ही रहे थे कि अब उन्होंने अपनी पार्टी भाजपा को विजयश्री दिलाने के लिए दिल्ली विधानसभा चुनाव की चुनावी रैलियां भी शुरू कर दी हैं।
प्रयागराज के महाकुंभ में कैबिनेट की बैठक के उपरांत अपने मंत्रि-मंडल के साथ संगम पर स्नान करने के बाद दिल्ली पहुंचे सीएम योगी ने चुनावी सभाओं में आप को घेरना शुरू कर दिया। महाकुंभ के वेग को दिल्ली चुनाव से कनेक्ट करते हुए उन्होंने कहा कि जिस तरह हम अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों के साथ प्रयागराज के संगम में स्नान करके आए हैं क्या केजरीवाल यमुना में स्नान करेंगे?
बता दें कि नदियों का स्वच्छ होना ना सिर्फ पर्यावरण और विकास के लिए जरूरी है बल्कि धार्मिक आस्था और अनुष्ठानों के लिए भी जरूरी है। प्रयागराज के संगम पर जहां चालीस करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के स्नान की व्यवस्था योगी आदित्यनाथ सरकार ने की है, पर दिल्ली में आप सरकार छठ पूजा के लिए यमुना को कई वर्षो से साफ नहीं कर सकी।
दरअसल योगी आदित्यनाथ के चुनावी भाषण यथार्थ के तथ्यों के साथ अन्य नेताओं से अधिक प्रभावी बनते हैं। वो सिर्फ मुख्यमंत्री ही नहीं एक प्रखर नेता और हिन्दुत्व का सबसे बड़ा चेहरा हैं।
उनका मन सनातन के लिए धड़कता है और मस्तिष्क यूपी में गुड गवर्नेंस देकर सबका साथ सबका विकास करने के लिए चलता है। उनकी वाणी और वक्तव्य भाजपा की चुनावी जीत के गुरुमंत्र का काम करता है। हांलांकि चुनावी सभाओं में सिर्फ उनके भाषण ही काम नहीं आते, यूपी का सुरक्षा मॉडल और सनातन धर्म के प्रति उनका समर्पण भी जनता को उनसे जोड़ता है। यही कारण है कि हर चुनावी चुनौती में भाजपा का शीर्ष नेतृत्व चुनाव जीतने के लिए योगी आदित्यनाथ को ब्रह्मास्त्र मानता है।
दिल्ली में योगी कई विधानसभा क्षेत्रों में धुंआधार चुनाव प्रचार करेंगे। बता दें कि जिन नदियों के पानी से भाजपा समुंद्र जैसी गहराती जा रही है और विशाल होती जा रही है, योगी उन नदियों के संगम हैं। भाजपा का लक्ष्य विकास और हिन्दुत्व की धाराओं में आगे बढ़ना है।
भाजपा के लिए घातक जाति की राजनीति का सबसे बड़ा गढ़ उत्तर प्रदेश था। यहां गहरी जड़े जमा पाना भाजपा की प्राथमिक चुनौती थी। योगी ने इस चुनौती को स्वीकार कर विकास, सुरक्षा और कानून व्यवस्था का बेहतरीन यूपी मॉडल पेश कर के भाजपा को ना सिर्फ यूपी में बल्कि पूरे देश में लाभ दिलवाया। यूपी में गुंडे-बदमाशों,माफियाओं के वर्चस्व और जाति की राजनीति को ध्वस्त करने के प्रयासों में सफलता पाकर जातियों को हिन्दुत्व के गुलदस्ते में एकजुट किया। नतीजतन पौने चार दशक का रिकार्ड तोड़ योगी आदित्यनाथ दूसरी बार मुख्यमंत्री बने और नरेंद्र मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने का अवसर मिला।
भाजपा का एक और महत्वपूर्ण लक्ष्य हिन्दुत्व का विकास है। सनातन धर्म, सनातनियों और धार्मिक स्थलो की रक्षा-सुरक्षा है। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को आगे बढ़ाना है। भाजपा की इस मुहिम का सबसे बड़ा चेहरा बनकर योगी आदित्यनाथ ने पार्टी की लहर को जबरदस्त रफ्तार दी।
महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड हो या मध्यप्रदेश, राजस्थान जैसे हिन्दी पट्टी के राज्य हों, यहां योगी की धुआंधार रैलियों में जबरदस्त भीड़ उमड़ती थी। जनता उनके भाषणों से कनेक्ट होती थी। इन तमाम राज्यों में भाजपा की जीत में भगवाधारी संन्यासी यूपी के मुख्यमंत्री की बड़ी भूमिका रही। लोकभवन के बजाय प्रयागराज में महाकुंभ स्थल पर कैबिनेट की बैठक कर अपने मंत्रीमंडल के साथियों के साथ संगम में स्नान करने वाले योगी अपना राजधर्म और सनातन धर्म का अनुष्ठान निभाने के साथ पार्टी धर्म निभाने के लिए दिल्ली में ताबड़तोड़ चुनावी सभाएं करेंगे। चुनावी पंडितों की मानें तो उनकी चौदह चुनावी सभाओं से दिल्ली में भाजपा की ताकत बढ़ सकती है। कुंभ की सनातनी हवा और सांस्कृतिक चेतना दिल्ली में अच्छा खासा असर दिखा सकती है। दिल्ली की कुर्सी तय करने वाले यूपी के मुख्यमंत्री की लोकप्रियता यहां पर असर दिखा भी चुकी है। पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने यहां सारी लोकसभा सीटें जीती थीं। यहां यूपी के प्रवासियों की बड़ी संख्या हैं। दिल्ली चुनाव में पूर्वांचल के लोगों के सम्मान का मुद्दा पहले ही उछल चुका है, और पूर्वांचलवासियों में योगी को लेकर एक खास अपनापन है।
जिस तरह योगी अब तक का सबसे सफल महाकुंभ आयोजित करा सकते हैं। यूपी में दूसरी बार सत्ता हासिल करने का रिकार्ड बना सकते हैं। विकास और हिन्दुत्व का संतुलन बनाकर जाति की राजनीति और माफिया राज के वर्चस्व को ध्वस्त कर सकते हैं। विकास,सुरक्षा और बेहतर कानून व्यवस्था का मॉडल पूरे देश में प्रस्तुत कर सकते हैं। हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड जैसे तमाम राज्यों में अपनी चुनावी सभाओं का जादू चला सकते हैं। तो क्या दिल्ली चुनाव में भी योगी आदित्यनाथ कोई चमत्कार देखने को मिलेगा!