आम आदमी पार्टी का जहां जन्म हुआ था, वहीं हुई विदाई
प्रदीप सिंह।
दिल्ली की सत्ता में 27 साल बाद भारतीय जनता पार्टी की वापसी हुई, बड़े धूमधाम से हुई। शालीमार बाग से भाजपा की विधायक रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया। भाजपा विधायक दल ने बुधवार 19 फरवरी को उन्हें अपना नेता चुना और आज बृहस्पतिवार 20 फरवरी को रामलीला मैदान में आयोजित एक भव्य समारोह में उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री की शपथ ले ली।
भारतीय जनता पार्टी के अभी तक 14 मुख्यमंत्री थे जिनमें कोई भी महिला मुख्यमंत्री नहीं थी। रेखा गुप्ता 15वीं मुख्यमंत्री हैं। पिछले कुछ सालों को और खासकर मोदी के आने के आसपास के समय को देखें तो 2013 में वसुंधरा राजे सिंधिया राजस्थान की मुख्यमंत्री थीं। उसके बाद जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनकर दिल्ली आए और उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री का पद छोड़ा तो आनंदी बन पटेल गुजरात की मुख्यमंत्री बनी थी। उसके बाद से भारतीय जनता पार्टी में कोई महिला मुख्यमंत्री नहीं बनी। अब आप सोचिए कि आखिर रेखा गुप्ता का चयन किस आधार पर किया गया? उस आधार को अगर आप ध्यान में रखेंगे तो समझ में आएगा कि भारतीय जनता पार्टी तात्कालिक राजनीति नहीं करती, तात्कालिक फायदे या तात्कालिक लक्ष्य को ध्यान में रखकर नहीं बल्कि दूरगामी लक्ष्य को ध्यान में रखकर कोई कदम उठाती है।
2024 के चुनाव से काफी पहले प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि इस देश में चार वर्ग हैं- 1 युवा, 2 महिला, 3 गरीब और 4 मध्यवर्ग। उन्होंने वर्गों की बात की, जातियों की बात नहीं की। अगर आप रेखा गुप्ता को इस नजरिए से देखेंगे कि उनकी जाति के कारण उनका चयन हुआ है तो आप गलत नतीजे पर पहुंचेंगे। पहली बात तो देखिए इससे मैसेज क्या दिया गया। संदेश दिया गया कि संगठन का व्यक्ति हमारे लिए सर्वोपरि है। जो संगठन से जुड़ा है उसको हम महत्व देते हैं। यानी आम कार्यकर्ता को यह संदेश कि तुम्हारा भी नंबर आ सकता है। यह ऐसी पार्टी है, ऐसा संगठन है, जहां दरी बिछाने वाला कार्यकर्ता भी मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री बन सकता है। रेखा गुप्ता दिल्ली स्टूडेंट्स यूनियन की अध्यक्ष रही हैं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में रही हैं। उसके अलावा दो बार दिल्ली की कॉरपोरेटर रही हैं तो नागरिक मुद्दों की उनको जानकारी है। संगठन में पद संभाल चुकी हैं। उसके अलावा प्रधानमंत्री ने जो वर्ग की बात की थी उसपर भी खरी उतरती हैं।
जब 2029 का लोकसभा चुनाव होगा तो देश में लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं के लिए 33 फीसद आरक्षण का कानून लागू होगा। उसके तहत चुनाव होगा। तो इस समय महिलाओं पर खास फोकस है। आप पिछले कई विधानसभा चुनाव देखें तो उस पार्टी को बढ़त मिली है या उस पार्टी को फायदा हुआ है जिसके साथ महिलाओं का समर्थन रहा है। इन्हीं महिलाओं के समर्थन के कारण अरविंद केजरीवाल एक समय अजेय लग रहे थे।
Smt. @gupta_rekha took oath as the Chief Minister of Delhi.#दिल्ली_में_भाजपा_सरकार pic.twitter.com/HA1Zkt8fay
— BJP Delhi (@BJP4Delhi) February 20, 2025
दूसरा संदेश। अभी बीजेपी के जो 14 मुख्यमंत्री हैं उनमें से 10 अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद बैकग्राउंड के हैं। तो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद भाजपा में नई पीढ़ी या नया नेतृत्व पैदा करने की फैक्ट्री बन गई है। इसके जरिए संदेश ये है कि जो छात्र राजनीति से आए हैं, नीचे से उठकर राजनीति में आए हैं, उनको वरीयता दी जाएगी।
इसके अलावा, याद कीजिए आम आदमी पार्टी बनी कहां थी। उसका जन्म हुआ था रामलीला मैदान में। 27 साल बाद बनने वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार का शपथ ग्रहण समारोह भी उसी रामलीला मैदान में हुआ।
अगर आप दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल से रेखा गुप्ता की तुलना करना चाहें तो दोनों में कई समानताएं भी हैं। अब यह महज इत्तफाक नहीं हो सकता कि रेखा गुप्ता भी मूल रूप से हरियाणा (जींद) की रहने वाली हैं और अरविन्द केजरीवाल भी वहीँ से आते हैं। अगर आप जाति की बात करना ही चाहें तो रेखा गुप्ता भी वैश्य समुदाय से आती है, जिससे अरविंद केजरीवाल आते थे। आम आदमी पार्टी की जहां से शुरुआत हुई थी, जहां जन्म हुआ था, उसकी सत्ता का अंत भी उसी रामलीला मैदान से हो रहा है। वैसे तो जनता ने अपने फैसले की 8 फरवरी को घोषणा कर दी थी लेकिन उसका औपचारिक और संवैधानिक ऐलान भाजपा की सरकार और मुख्यमंत्री की शपथ के साथ हुआ।
आम आदमी पार्टी के लिए रेखा गुप्ता का मुख्यमंत्री बनना बहुत बुरी खबर है। इसलिए भी कि अरविंद केजरीवाल को जब मजबूरी में इस्तीफा देना पड़ा तो उन्होंने आतिशी को, एक महिला को मुख्यमंत्री बनाया। दिल्ली का इतिहास देखें यहां 1993 में विधानसभा बनी थी। तब से रेखा गुप्ता चौथी महिला मुख्यमंत्री हैं। पहली महिला मुख्यमंत्री सुषमा स्वराज थीं। उनका कार्यकाल बहुत छोटा रहा। उसके बाद शीला दीक्षित बनीं जिनका कार्यकाल अब तक का सबसे बड़ा कार्यकाल रहा। वह 15 साल मुख्यमंत्री रहीं। फिर आतिशी बनी जो कुछ महीने के लिए रही और अब रेखा गुप्ता बनी हैं। उनके जरिए भाजपा यह संदेश देना चाहती है कि वो दिल्ली में लंबे समय तक शासन करना चाहती है। यह तो एक बात हुई।
श्री @p_sahibsingh ने दिल्ली सरकार में मंत्री के रूप में शपथ ली।#दिल्ली_में_भाजपा_सरकार pic.twitter.com/bypicP3U0w
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दूसरी बात ज्यादा महत्वपूर्ण है कि उनको दिल्ली में मुख्यमंत्री चुनने के पीछे बीजेपी की चुनौती क्या है? भाजपा के सामने चुनौती सामाजिक समीकरण के संतुलन की नहीं थी। चुनाव तक वह समस्या या चुनौती थी। अब एक मात्र चुनौती है- गवर्नेंस। अरविंद केजरीवाल की सरकार गई है तो उसके बहुत सारे मुद्दे थे लेकिन सबसे बड़ा मुद्दा गवर्नेंस का था। जिस तरह से उन्होंने भ्रष्टाचार किया, घपले और घोटाले किए, जनता की जरूरतों की उपेक्षा की, सिविक इश्यूज- सड़क, नाली, शिक्षा, स्वास्थ्य- इन सब मुद्दों की जिस तरह से उपेक्षा की। सरकारी पैसे से विज्ञापन खर्च करके ऐसा प्रचार किया जैसे दिल्ली में कोई समस्या है ही नहीं। 10 सालों में अरविंद केजरीवाल के राज में जो कुछ हुआ उन सबकी पोल लोगों के सामने धीरे-धीरे खुलती गई। दिल्ली की जनता ने उनको काफी लंबा समय दिया भूल सुधार करने का। लेकिन अरविंद केजरीवाल ने असेंबली में घोषणा की- हम हैं दिल्ली के मालिक। तब जनता ने कहा कि गलतफहमी में मत रहो, डेमोक्रेसी में दिल्ली की मालिक या किसी भी प्रदेश की, देश की मालिक जनता ही होती है। जनता ने बता दिया कि अरविंद केजरीवाल की जगह क्या है? ना केवल सरकार हटा दी बल्कि अरविंद केजरीवाल को विधायक भी नहीं रहने दिया। यह होता है जनता का जवाब। जब आप जनता की सत्ता को चुनौती देते हैं तब इस तरह का जवाब मिलता है। जब आपके अहंकार का स्तर इतना ऊंचा हो जाता है कि बाकी सब आपको बौने लगने लगते हैं तब जनता तय करती है कि अब इस व्यक्ति को बौना बना देना है। अरविंद केजरीवाल व्यक्तित्व की दृष्टि से तो पहले से बौने थे, उनको जनता ने विधाई रूप से भी बौना बना दिया।
अरविन्द केजरीवाल को जिन लोगों ने नेता बनाया उन सबको उन्होंने एक-एक करके बाहर का रास्ता दिखा दिया। यह धोखे की राजनीति ज्यादा लंबे समय तक नहीं चलती है। रेखा गुप्ता को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने एक साथ अपनी कई चुनौतियों का सामना करने का इंतजाम कर लिया है। एक आरोप लगता था कि इतने राज्यों में भाजपा की सरकार है, कहीं कोई महिला मुख्यमंत्री नहीं है। उसका जवाब मिल गया है। आरोप लगता था कि प्रधानमंत्री बार-बार महिला उत्थान की बात करते हैं, महिलाओं के विकास की बात करते हैं, विमन लेड डेवलपमेंट की बात करते हैं- उनकी पार्टी में कोई महिला मुख्यमंत्री नहीं है। उसका भी जवाब मिल गया। बीजेपी के सामने दिल्ली में सबसे बड़ी चुनौती गवर्नेंस की है। रेखा गुप्ता का दिल्ली का मुख्यमंत्री बनना भारतीय जनता पार्टी के लिए और दिल्ली वालों के लिए एक अच्छा संदेश है।
(लेखक राजनीतिक विश्लेषक और आपका अख़बार के संपादक हैं)