डॉ. मयंक चतुर्वेदी।
बरेलवी संप्रदाय के मौलवी और ऑल इंडिया मुस्लिम जमात, दरगाह आला हजरत के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने फिल्म ‘‘छावा’’ पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को जो पत्र लिखा है उसकी भाषा और भाव देखेंगे तो उनकी मंशा पर से पर्दा खुद ब खुद उठ जाएगा।
पत्र में आरोप है कि ‘‘फिल्म छावा जब से रिलीज हुई है, तब से देश का माहोल खराब हो रहा है। फिल्म छावा में औरंगजेब बादशाह की तस्वीर को हिंदू विरोधी दिखाकर हिंदू नौजवानों को उत्तेजित किया गया और भड़काया गया है। यही वजह है कि जगह जगह हिंदू संगठनो के नेता औरंगजेब बादशाह के सम्बन्ध में हेट स्पीच दे रहे हैं। इसकी वजह से 17 मार्च 2025 को नागपुर में सम्प्रदायिक दंगा हो गया।’’ यही फिल्म सांप्रदायिक तनाव को भड़काने के लिए जिम्मेदार है और सीधे नागपुर में दंगों का कारण बनी । इसलिए इस ‘‘फिल्म छावा पर जल्द से जल्द प्रतिबंध लगाएं, और उसके डायरेक्टर, प्रड्यूसर और राइटर के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करें। ताकि भाविष्य में कहीं दूसरी जगह कोई दंगा फसाद न हो। मैं आपको ये भी स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि भारत का मुसलमान औरंगजेब बादशाह को अपना आईडीएल और रहनुमा नहीं मानता है। उनको हम सिर्फ एक शासक मानते हैं, इससे ज्यादा कुछ नहीं।’’
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी से अब कोई पूछे कि भारत का विभाजन जब हुआ तब हिन्दुओं के खिलाफ ‘डारेक्ट एक्शन’का आदेश कौन दे रहा था और उसका पालन कौन कर रहा था? तर्क देनेवाले तर्क देते भी हैं कि विभाजन का दर्द दोनों कोमों ने सहा है। इसलिए विभाजन के वक्त की बात नहीं करें, तब फिर आज की बात कर लेते हैं। चलो, देश विभाजन के बाद शेष भारत में अब तक जितने भी दंगे हुए, उनमें कहीं न कहीं मुसलमानों का उसमें शामिल क्यों होना पाया जाता है? क्यों हर बार किसी मस्जिद का कनेक्शन इसमें सामने आता है, और क्यों वहां पत्थर और आगजनी की चीजें पाई जाती है, जिनका इस्तमाल वहां से गैर मुसलमानों (हिन्दुओं) पर वे हिंसा के लिए करते पाए जाते हैं? इतिहास के झरोखे से छोड़िए; आज के समय में देख लें, साफ दिखाई देता है कि कैसे रामनवमी के त्योहार पर बंगाल, बिहार समेत देश के अन्य इलाकों में सांप्रदायिक हिंसा को हर बार एक नई हवा दी जाती है। दुर्गापूजा, गणेश उत्सव, अन्य हिन्दू त्यौहारों पर निकलनेवाले हिन्दू भक्तों के जनसमूह पर जुल्म कौन ढहा रहा है, पत्थर कौन फैंक रहा है? मस्जिद तो अल्लाह का घर है, फिर इस घर में पत्थर एवं हथियार कहां से आ जाते हैं ?
इस पत्र को लेकर जब विश्व हिन्दू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने बात की गई, और उनका पक्ष जानना चाहा तो वे कहते हैं, ‘‘बरेली के ये वही मौलाना है जो क्रिकेटर मोहम्मद शमी पर पहले रमजान में रोजा न रखने को लेकर निशाना साधते हैं, खेल के दौरान शमी को घेरते हुए कहते हैं कि ‘‘रोजा ना रखकर शमी ने बहुत बड़ा गुनाह किया है, शरीयत की नजर में वो मुजरिम हैं… शमी अपने गुनाहों के लिए अल्लाह से माफी मांगें।’’ फिर मौलाना उनकी बेटी के होली खेलने को ‘अवैध’ और ‘शरीयत के खिलाफ’ बताकर घेरते हैं। इन्होंने ही महाकुंभ को लेकर कहा था कि “महाकुंभ का आयोजन वक्फ की जमीन पर हो रहा है, फिर भी हम कोई विरोध नहीं कर रहे।’’ ये मुसलमानों के लिए नए साल का जश्न मनाने को भी नाजायज ठहरा देते हैं और फतवा जारी कर देते हैं । वास्तव में इन जैसे अनेकों जिहादी पैरोकार हैं, जिनका काम ही है नफरत फैलाना। इनकी शरीयत में बंद मानसिकता समय-समय पर बाहर निकलती रहती है।’’
विनोद बंसल मौलाना के लिए सुझाव देते हैं कि ‘‘मौलाना शहाबुद्दीन रजवी फिल्म छावा का विरोध करने से अच्छा है अपने परिवार को लेकर जाएं और साथ में फिल्म देखें, उन्हें समझ आ जाएगा कि औररंगजेब कितना बड़ा अत्याचारी था। ऐसे मौलाना बोलते भारत में हैं और इन्हें तालिया पाकिस्तान में मिलती हैं। इनके मुंह से एक भी शब्द अपने कौम की कुप्रथाओं और बुराइयों पर नहीं निकलता। वास्तव में यह यह आज की जरूरत है कि इन्हें और इन जैसे सभी मौलानाओ, उलेमाओं को औरंगजेबी मानसिकता से बाहर आ जाना चाहिए, तभी देश में भड़काऊ बयान बंद होंगे और अमनचैन स्थापित होगा।’’
छावा फिल्म अभी आई है । पिछले साल जो मुसलमान दंगे कर रहे थे, उसके लिए ये मौलाना किसे दोषी ठहराएंगे? एक भीड़ आती है और वह अचानक ऐसा कर जाती है कि बाद में सिर्फ उसकी समीक्षा और आलोचना करते लोग रह जाते हैं । मध्यप्रदेश के महू में भारतीय क्रिकेट मैच के जीतने पर खुशी मना रहे हिन्दू युवाओं के साथ जो हुआ क्या वह भी ‘फिल्म छावा’ का परिणाम था? क्या अब ये मुसलमान भारत में अपनी खुशी जाहिर करने के लिए भारत, भारत माता की जय और जयश्रीराम के नारे लगा देने पर बेन लगाएंगे? और जब आप बात नहीं मानेंगे तो आप पर मस्जिद और उसके आस-पास भर से पत्थरों की बौछार आरंभ कर देंगे?
अहमदाबाद के खोखरा इलाके में 23 फरवरी को क्या हुआ था? चैंपियंस ट्रॉफी में पाकिस्तान पर भारतीय टीम की जीत की खुशी मना रहे हिंदुओं पर मुस्लिमों की भीड़ ने पथराव दिया । यहां पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए जा रहे थे। क्या मौलाना बताएंगे; भारत की जीत पर भारत में ही पाकिस्तान जिंदाबाद क्यों? उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के बारादरी थाना क्षेत्र के हजियापुर मोहल्ले में 22 फरवरी को होली के कार्यक्रम की योजना बना रहे लोगों पर मुसलमान हमला कर देते हैं । 14 मार्च 2025 को संपूर्ण देश में होली का त्योहार धूमधाम से मनाया गया। लेकिन इसी दिन देश के अलग-अलग राज्यों से ऐसी 08 घटनाएं सामने आईं, जिनमें मुस्लिम कट्टरपंथियों ने होली मनाने के दौरान लोगों पर हमले किए।
पश्चिम बंगाल – (बीरभूम) होली मना रहे हिंदुओं पर मुस्लिम भीड़ ने किया हमला। पंजाब (लुधियाना) – होली के मौके पर मस्जिद के सामने डीजे बजाने पर मुस्लिमों का हमला । झारखंड (गिरिडीह) – होली जुलूस के दौरान मुस्लिम भीड़ ने पत्थरों और बोतल बम से किया हमला। उत्तर प्रदेश (शाहगंज) – होली मनाने पर मुस्लिम समुदाय द्वारा किया गया अचानक से हमला । उत्तर प्रदेश (उन्नाव) – मोहम्मद आरिफ ने होली के मौके पर डीजे बजाने पर हिंदू व्यक्ति के घर में घुसकर उसे और उसके परिवार को जान से मारने की धमकी देना । बिहार के बाढ़ में होली मनाने के दौरान पत्थरबाजी कर देना । उत्तर प्रदेश (वाराणसी) – काशी विद्यापीठ में होली मनाने पर पथराव करना और उत्तर प्रदेश (एटा) – होली मनाने पर मुस्लिम परिवार पर दूसरे मुस्लिम समुदाय के लोगों ने किया हमला बोल देने जैसी घटनाएं प्रमुखता से सामने आई हैं। इससे पहले मध्य प्रदेश के धार में होली के दिन एक मुस्लिम लड़के फैजान ने एक हिंदू लड़की पर खौलता पानी फेंक दिया था। उनके चेहरे, गर्दन और सीने पर चोटें आईं। चेहरा बुरी तरह जल गया। तेलंगाना के मेडचल-मलकजगिरी जिले के चेंगिचेरला इलाके में होलिका दहन के बाद मस्जिद से सटे इलाके में लोगों ने हिंदुओं पर हमला किया । इसी तरह से आगरा में रकाबगंज के कुतलपुर ईदगाह में होली के दौरान पथराव की घटना में दो युवक बुरी तरह से घायल हो गए थे। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में होली खेलने के दौरान इस्लामवादियों ने होली खेलने वाले छात्रों को भयंकर रूप से पीटा।
इसी तरह से ‘गणेश चतुर्थी 2024’ के आयोजन और निकाले जा रहे शोभायात्रा पर हुए सुनियोजित तरीके से हमलों की कुल 17 प्रमुख घटनाओं का होना पाया गया है। गणपति विसर्जन के दौरान होने वाली इन हिंसक घटनाओं का सिलसिला गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, और दिल्ली समेत कई राज्यों में देखने को मिला, अधिकतर हमले मस्जिद और मदरसों की आड़ लेकर किए गए। भिवंडी (महाराष्ट्र) में गणेश प्रतिमा पर पथराव, विरोध करने पर लाठीचार्ज किया गया। बलरामपुर (छत्तीसगढ़) में मुस्लिम दंगाइयों की पत्थरबाजी। वहीं, त्रिलोकपुरी (दिल्ली) की बड़ी घटना रही हथियारों से लैस मुस्लिम भीड़ का हमला कर देना । फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश) में ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारों के साथ हमला किया जाता है। बलरामपुर (उत्तर प्रदेश) में पहले गणेश पंडाल के आगे ‘ख्वाजा-ख्वाजा’ के नारे फिर उसके बाद विद्वंश, झांसी (उत्तर प्रदेश ) में भी गणेश विसर्जन यात्रा पर सुनियोजित हमला किया गया।
पुणे (महाराष्ट्र) में गणेश महोत्सव मनारहे हिन्दू भक्तों पर अचानक से हमला किया जाता है। महोबा (उत्तर प्रदेश) में शोभायात्रा में बच्चे द्वारा पटाखा चलाना भारी पड़ गया, मुस्लिम भीड़ हमला कर देती है । कर्नाटक के मांड्या के बदरीकोप्पलु गाँव के हिंदू श्रद्धालुओं द्वारा नागमंगला कस्बे से 11 सितंबर 2024 की रात निकाली जा रही गणपति विसर्जन शोभायात्रा जैसे ही एक मस्जिद के पास पहुंची, वैसे ही मुस्लिम दंगाइयों ने विसर्जन जुलूस पर पत्थरबाजी करना शुरू कर देते हैं । सूरत (गुजरात) में गणेश मूर्तियों को तोड़ा जाना। भरूच (गुजरात) में हिन्दू घरों पर जबरन इस्लामिक झंडे लगाना। लखनऊ (उत्तर प्रदेश) में अल्लाह हु अकबर के नारे के साथ गणेश पूजा कलश ही तोड़ देना । कच्छ (गुजरात) में इसके आगे हद ये करदी गई कि गणेश प्रतिमा को तोड़कर जमीन में गाड़ दिया गया । मध्य प्रदेश के रतलाम में गणेश चतुर्थी की शोभायात्रा पर हमला हुआ। सूरत (गुजरात) में गणेश मंडप पर मुस्लिम उपद्रवियों ने खुलकर उत्पात मचाया। लोहदरगा (झारखंड) में गणेश पूजा स्थल को लेकर हमला हुआ, अकोला (महाराष्ट्र) में विसर्जन शोभायात्रा पर नूरानी मस्जिद से पथराव किया गया। अब देख सकते हैं कि गणपति विसर्जन के दौरान होने वाली इन हिंसक घटनाओं का सिलसिला हर साल बढ़ता जा रहा है।
मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा में कार्तिक पूजा मनाने के लिए हिन्दुओं की ओर से पंडाल लगाए गए थे। जो इस्लामवादियों को इतना अखरा कि उन्होंने इस दौरान पत्थरबाजी कर दी । कट्टरपंथियों ने 30 से अधिक घरों में तोड़-फोड़ की, वहां पर आग लगा दी। आपराधिक तत्वों ने देसी बमों का भी इस्तेमाल किया। दूसरी घटना महाराष्ट्र से सामने आई । यहां के जलगांव में कट्टरपंथी मुस्लिमों ने कार्तिक एकादशी पर उपवास और कीर्तन कर रहे हिंदुओं पर जानलेवा हमला किया। सोशल मीडिया पर घटना का वीडियो मौजूद है। इस वीडियो में देख सकते हैं कि कैसे मुंह पर कपड़ा बांधे समूह में आए कट्टरपंथियों ने वहां मौजूद हिंदुओं पर पहले लाठी-डंडे बरसाए फिर उन पर पथराव किया। मुंबई के मीरा भयंदर इलाके में हिंदुओं पर धारदार हथियारों से करीब 10-12 लोगों ने अचानक से इसलिए अटैक कर दिया, क्योंकि वे पटाखे फोड़ते हुए त्योहार पर अपनी खुशी जाहिर कर रहे थे। अचानक से हुए हमले में कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।
हरियाणा के फरीदाबाद से मुस्लिम कट्टरपंथियों को दीवाली के मौके पर हिन्दू लड़के द्वारा पटाखे फोड़ना इतना बुरा लगा कि वे उसके घर में घुसकर उससे ही मारपीट नहीं करते, बल्कि परिवार की एक लड़की के कपड़े तक फाड़ देते हैं, उसके साथ छेड़छाड़ी करते हैं। उत्तर प्रदेश के बहराइच में रविवार (13 अक्टूबर 2024) को मस्जिद के सामने से निकल रही मां दुर्गा की विसर्जन यात्रा पर कट्टरपंथियों ने अकारण पथराव किया। इसके बाद मामला बढ़ा और 22 वर्षीय युवक राम गोपाल मिश्रा की गोली मार कर हत्या कर दी गई। वास्तव में मौलानाओं को और इस्लाम के पैरोकारों को बताना चाहिए कि क्या मस्जिद और मुस्लिम बहुल इलाकों से हिंदुओं का जुलूस निकालना अपराध है? इसी तरह से छठ पूजा पर भी बिहार के पूर्णिया समेत कई जिलों में कट्टरपंथियों ने महिलाओं, बच्चों पर जानलेवा हमला किया था। सिर्फ झारखण्ड, बिहार, पश्चिम बंगाल से ही नहीं देश के कई राज्यों में इस्लामवादियों ने छठ मईया की पूजा करने में अड़ंगे डाले, हिंसा और आगजनी तक की।
विहिप के संयुक्त महामंत्री डॉ. सुरेंद्र जैन का कहना है कि दिनों दिन इस्लामी कट्टरपंथियों ने देश के अलग-अलग हिस्सों में हिंदुओं और उनके देवी-देवताओं को निशाना बनाना जारी रखा है। कट्टरपंथियों ने कहीं दुर्गा पंडाल पर पथराव किया तो कहीं मूर्ति विसर्जन के जुलूस पर, कहीं जुलूस के रास्तों को लेकर विवाद किया। उत्तर प्रदेश से लेकर पश्चिम बंगाल और असम तक पथराव और हिंसा हो रही है। ये जिहादी आक्रांता हैं। डॉ. जैन ने बताया कि 300 से अधिक घटनाओं की ये सूची केवल जनवरी 2023 से 2024 की छठ पूजा तक के हमलों व अत्याचारों की है। इस अवधि में भी हुए अत्याचारों और हमलों का भी यह केवल दशांश है। इन हमलों की बर्बरता व क्रूरता तो अमानवीय है ही, उनके तरीके भी मानव कल्पना से परे हैं। आतंक जिहाद, लव जिहाद, लैंड जिहाद, जनसंख्या जिहाद से तो संपूर्ण विश्व त्रस्त है ही, अब थूक जिहाद, पेशाब जिहाद, ट्रेन जिहाद, अवयस्क जिहाद आदि से उनकी गैर मुसलमानों के प्रति नफरत सामने आ रही है।
बात यदि देश के विभिन्न राज्यों में रामनवमी के कार्यक्रमों और शोभा यात्राओं की हो तो इस पर भी इन इस्लामिक उपद्रवियों ने भयंकर पत्थरबाजी और आगजनी की है । हर बार इन घटनाओं में दर्जनों रामभक्तों घायल होते हैं। पिछले साल इसी कड़ी में पश्चिम बंगाल में भी जिहादियों ने बांकुड़ा और हावड़ा में जमकर उपद्रव काटा। मध्य प्रदेश के शाजापुर शहर के सोमवारिया क्षेत्र में श्रीराम की संध्या फेरी में मस्जिद के पास से कट्टरपंथी मुस्लिमों की भीड़ ने पथराव किया। इस दौरान कई श्रद्धलू बुरी तरह से घायल हो गए थे। यहां मध्यप्रदेश में ही बड़वानी जिला मुख्यालय से करीब 70 किलोमीटर दूर सेंधवा में रामनवमी पर ग्राम मडगांव से डीजे के साथ आ रही शोभायात्रा पर शहर में प्रवेश करते ही जोगवाड़ा रोड पर पथराव हो गया। इसी तरह से जब मुर्शिदाबाद में रामनवमी की शोभायात्रा यात्रा बड़ी धूमधाम से निकल रही थी। तभी रेजीनगर में इसके पहुंचते ही चारों तरफ से घरों की छतों से पत्थरों की बरसात होने लगी जिससे शोभायात्रा में शामिल रामभक्तों को बचने का अवसर तक प्राप्त नहीं हुआ। सड़कों पर खुल्लेआम देशी बम फेंके गए और कोई कुछ नहीं कर पाया। इस हमले में कम से कम 20 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे।
पश्चिमी चंपारण में दिखा। वहां गत 21 अगस्त को नूंह जैसी घटना की साजिश रची गई। मुस्लिम हमलावरों ने ‘अल्लाहू अकबर’ के नारे लगाते हुए हिंदुओं पर हमले किए। यहां तक कि उन लोगों ने पुलिस बल को भी नहीं छोड़ा। पश्चिमी चंपारण और पूर्वी चंपारण के चार स्थानों पर जिहादियों ने महावीरी शोभायात्रा पर हमला किया। इस कारण अनेकों श्रद्धालु घायल हुए। महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर में मंदिर के बाहर कट्टरपंथियों ने जमकर उपद्रव मचाया, यहां पुलिस की गाड़ियों में आग लगा दी गई । वहीं गुजरात के वडोदरा में रामनवमी की शोभायात्रा पर फतेहपुरा और कुंभारवाडा दो अलग-अलग जगहों पर हमला किया। पथराव के दौरान की कुछ वीडियोज भी सामने आए। जिसमे शोभायात्रा में शामिल लोग जान बचाकर भागते भी दिख रहे हैं। इसमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल थीं। उधर, पश्चिम बंगाल के हावड़ा में शोभायात्रा के दौरान हिंसा की खबर आई। वहां हावड़ा के शिबपुर में रामनवमी का जुलूस निकल रहा था। जिसपर कट्टरपंथियों ने हमला कर दिया जिसके बाद वहां कई वाहनों को आग के हवाले किया गया है। न सिर्फ उग्र भीड़ ने कई घरों में जबरन घुस कर तोड़फोड़ की, बल्कि हावड़ा पुलिस पर पत्थरबाजी भी की।
लखनऊ में जानकीपुरम विस्तार इलाके में रामनवमी के अवसर पर शोभायात्रा निकाली जा रही थी। जैसे ही शोभायात्रा शाही मस्जिद के सामने पहुंची, छतों से कुछ लोगों ने पत्थर मारना शुरू कर दिया। शोभायात्रा में महिलायें और बच्चे भी शामिल थे। पत्थर मारने में मुस्लिम महिलाएं भी शामिल थीं। हमला करने वालों ने वाहन को क्षतिग्रस्त कर दिया। देखा जाए तो गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, झारखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल में कई स्थानों पर रामनवमी पर हिंसा और आगजनी की घटनाएं हुईं। बिहार और बंगाल तो रामनवमी के बाद तक जलता रहा। यह पहला अवसर नहीं है, जब कट्टरपंथी मुसलमानों ने हिंदुओं को निशाना बनाया है। हर बार ऐसा हो रहा है।
झारखंड की राजधानी रांची की मुख्य सड़क पर विशाल हनुमान मंदिर में रमीज अहमद नाम के व्यक्ति ने मूर्तियों को खंडित कर दिया था। यह घटना 28 सितंबर की है। रांची के जिस मंदिर में मूर्तियों को खंडित किया गया उसी मंदिर को 4 महीने पहले भी 10 जून को मुस्लिमों द्वारा निशाना बनाया था। रांची के बाद धनबाद के गोविंदपुर में 30 सितंबर यानी जुम्मे के दिन एक मुस्लिम युवक ने शिव मंदिर के अंदर तोड़फोड़ की थी । धनबाद में जिसने तोड़फोड़ की है, उसने पहले भी दो मंदिरों पर हमला कर मूर्तियों को क्षतिग्रस्त किया है। ऐसी ही घटना 29 सितंबर को बिहार के बक्सर जिले के सिकठी गांव में भी देखने को मिली। यहां मुबारक अंसारी नाम का एक व्यक्ति वहां के काली मंदिर में मां स्वरूपा की पिण्डियों को छतिग्रस्त कर वहां से भाग निकला। ठीक है ऐसी ही घटना 27 सितंबर को हैदराबाद के खैरताबाद इलाके से आई थी। वहां बुर्का पहनकर दो मुस्लिम महिलाओं ने मां दुर्गा के पंडाल में घुसकर तोड़फोड़ की और जिन्होंने उन्हें रोकने की कोशिश की उन स्थानीय लोगों पर भी हमला कर दिया गया।
यहां ओर थोड़ा इतिहास में चलते हैं; यह बात मार्च 1976 की है। जब सम्भल में एक हिंसक भीड़ द्वारा हिंदुओं का नरसंहार किया गया था। उस भीषण नरसंहार से बचकर भागे कुछ लोग जब पुराने दिनों को याद करते हैं तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं। उनका कहना था कि 29 मार्च को एक ही दिन 46 हिंदू मारे गए थे। उनकी आंखों के आगे हिंसक भीड़ ने उन्हें सड़क पर टायरों से बांधकर जिंदा जलाया था। लगभग 15 दिनों तक चली हिंसा में मरने वाले हिंदुओं की संख्या 184 तक पहुंच गई थी। यदि इसमें 10 वर्ष के साम्प्रदायिक दंगों के आंकड़े भी जोड़े जाएं तो यह संख्या दो सौ के ऊपर है। देखा जाए तो देश में इस तरह के अनेक सम्भल हैं, जहां हिन्दुओं पर अचानक से हमले कर उनका सामूहिक रूप से नरसंहार किया गया है। दुखद यह है कि इतिहास में जो हुआ सो हुआ, लेकिन यह सिलसिला अब भी रुकने का नाम नहीं ले रहा है। ऐसे में यह सब जानते हुए भी बरेलवी संप्रदाय के मौलवी और ऑल इंडिया मुस्लिम जमात, दरगाह आला हजरत के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी जो कह रहे हैं तो यह सब फिल्म छावा के रिलीज होने की प्रत्याशा में ही इस्लामवादियों ने हिन्दुओं पर सुनियोजित हमले किए होंगे?
(लेखक हिन्दुस्थान समाचार के मध्य प्रदेश ब्यूरो चीफ हैं)