पिछले दो बजटों में इस बदलाव की नींव रखी: सीतारमण।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा कि अगले दो दशकों में सतत वृद्धि के लिए भारत की खोज एक नए प्रतिमान पर टिकी है, जो साहसिक सुधारों, बढ़ी हुई घरेलू क्षमताओं और उभरते वैश्विक परिदृश्य के लिए उपयुक्त रणनीतिक संस्थागत सहयोग से प्रेरित है।
सैन फ्रांसिस्को में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय कैलिफोर्निया के हूवर इंस्टीट्यूशन में उन्होंने कहा कि पिछले दो केंद्रीय बजटों ने स्पष्ट बहु-क्षेत्रीय नीति एजेंडे के साथ इस बदलाव की नींव रखी है। उन्होंने कहा कि पिछले दशक में सरकार ने संरचनात्मक सुधार किए हैं, 20,000 से अधिक अनुपालनों को युक्तिसंगत बनाया है, व्यापार कानूनों को अपराधमुक्त किया है और टकराव को कम करने के लिए सार्वजनिक सेवाओं का डिजिटलीकरण किया है।
वित्त मंत्री ने कहा कि बुनियादी ढांचे के विकास पर महत्वपूर्ण जोर देने से पिछले 10 वर्षों में निवेशकों का विश्वास मजबूत हुआ है और विनिर्माण आधारित वृद्धि के लिए मजबूत आधार तैयार हुआ है। उन्होंने कहा कि 2017-18 और 2025-26 के बजट के बीच केंद्र सरकार के पूंजीगत व्यय में चार गुना से अधिक की वृद्धि से यह संभव हुआ है।
सीतारमण ने कहा, “विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा व्यवसाय सुधार कार्य योजना के क्रियान्वयन के हमारे अनुभव ने यह प्रदर्शित किया है कि विनियमन में ढील औद्योगिक वृद्धि के लिए एक शक्तिशाली उत्प्रेरक है।” वित्त मंत्री ने कहा कि भारत की वृद्धि गति को बनाए रखने के लिए साहसिक सुधारों और बदलते वैश्विक परिदृश्य के अनुरूप अनुकूलनीय रणनीतियों के नए दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, “अगले दो दशकों में भारत की वृद्धि गति को बनाए रखने के लिए साहसिक सुधारों, मजबूत घरेलू क्षमताओं, नवीकृत संस्थागत साझेदारियों और उभरते वैश्विक परिदृश्य को ध्यान मे रखते हुए अनुकूलन रणनीतियों पर आधारित एक नए दृष्टिकोण की आवश्यकता है।”
भारत ने 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने का लक्ष्य रखा है जब उसे ब्रिटिश शासन से आजाद हुए 100 साल पूरे हो जाएंगे। सीतारमण ने कहा कि 2047 तक ‘विकसित भारत’ बनने की भारत की यात्रा महज एक आकांक्षा नहीं है, बल्कि समावेशी, टिकाऊ और नवाचार आधारित वृद्धि की दृष्टि से संचालित एक साझा राष्ट्रीय मिशन है।