डीजीएमओ वार्ता से पहले भारतीय सेना के अफसरों ने की प्रेस कांफ्रेंस।

भारत और पाकिस्तान के सैन्य अभियान महानिदेशकों (डीजीएमओ) ने सोमवार को ‘‘शत्रुतापूर्ण’’ सैन्य कार्रवाइयों से बचने के तरीकों पर विचार-विमर्श किया और सीमा व अग्रिम क्षेत्रों से अपने-अपने सैनिकों की संख्या में कमी लाने के लिए तत्काल कदम उठाने पर सहमति जाहिर की।

इस संबंध में एक बयान में कहा गया कि दोनों अधिकारियों ने ‘हॉटलाइन’ पर हुई बातचीत में दोनों पक्षों की ओर से गोलीबारी नहीं करने या एक-दूसरे के खिलाफ कोई ‘‘आक्रामक और शत्रुतापूर्ण’’ कार्रवाई से बचने की प्रतिबद्धता को कायम रखने पर ध्यान केंद्रित किया। दोनों देशों के डीजीएमओ द्वारा सभी सैन्य कार्रवाइयों को रोकने पर सहमति जाहिर करने के दो दिन बाद हुई यह बातचीत लगभग 45 मिनट तक चली।

चार दिन तक चले सैन्य संघर्ष के बाद 10 मई को यह सहमति हुई थी। सैन्य संघर्ष में दोनों पक्षों ने ड्रोन, मिसाइलों और लंबी दूरी के हथियारों से एक-दूसरे के सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया, जिससे व्यापक सैन्य संघर्ष की आशंका बढ़ गई।

DGMOs of All Three Services Address Media on Operation Sindoor | DGMO Press  Briefing | N18G

भारतीय सेना ने कहा, “शाम पांच बजे डीजीएमओ के बीच बातचीत हुई। दोनों पक्षों द्वारा एक भी गोली नहीं चलाने या एक-दूसरे के खिलाफ किसी भी प्रकार के आक्रामक और शत्रुतापूर्ण कार्रवाई शुरू नहीं करने की प्रतिबद्धता को जारी रखने से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की गई।” बयान के मुताबिक, “इस बात पर भी सहमति हुई कि दोनों पक्ष सीमा और अग्रिम क्षेत्रों से सैनिकों की संख्या में कमी सुनिश्चित करने के लिए तत्काल उपायों पर विचार करें।” हॉटलाइन पर यह बातचीत पहले दोपहर 12 बजे होनी थी। हालांकि यह बातचीत शाम करीब पांच बजे शुरू हुई।

शनिवार रात यानी 10 मई को पाकिस्तानी सेना द्वारा सहमति का उल्लंघन किए जाने के मामले सामने आए, लेकिन रविवार रात को ऐसी कोई घटना नहीं हुई। सेना ने एक संक्षिप्त बयान में कहा, ‘‘जम्मू कश्मीर और अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे अन्य क्षेत्रों में रात कुल मिलाकर शांतिपूर्ण रही। किसी घटना की सूचना नहीं मिली है, जो हाल के दिनों में पहली शांत रात है।’’

डीजीएमओ वार्ता से कुछ घंटे पहले, भारतीय सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने एक प्रेसवार्ता को संबोधित किया, जिसमें ऑपरेशन सिंदूर के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला गया। वायु अभियान महानिदेशक एयर मार्शल ए. के. भारती ने कहा, ‘‘हमने दोहराया है कि हमारी लड़ाई आतंकवादियों और (पाकिस्तान में) उनके बुनियादी ढांचे के खिलाफ थी। हालांकि, यह दुख की बात है कि पाकिस्तानी सेना ने हस्तक्षेप करने और आतंकवादियों का समर्थन करने का फैसला किया, जिसके कारण हमें उसी तरह जवाब देने के लिए मजबूर होना पड़ा।’’

भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में ऑपरेशन सिंदूर के तहत छह और सात मई की दरमियानी रात आतंकी ढांचे पर सटीक हमले किए। भारतीय कार्रवाई के बाद पाकिस्तान ने आठ, नौ और 10 मई को भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमला करने का प्रयास किया। पाकिस्तानी प्रयासों का भारत ने कड़ा जवाब दिया तथा पाकिस्तानी वायुसैन्य ठिकानों, वायु रक्षा प्रणालियों, कमान एवं नियंत्रण केंद्रों तथा रडार स्थलों सहित कई प्रमुख पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों को भारी क्षति पहुंचाई।

विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने शनिवार शाम को घोषणा की कि भारत और पाकिस्तान जमीन, हवा और समुद्र पर सभी गोलाबारी और सैन्य कार्रवाइयों को तत्काल प्रभाव से रोकने के लिए एक समझौते पर पहुंच गए हैं। सूत्रों ने बताया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ अभी पूरा नहीं हुआ है और सीमा पार आतंकवाद की कीमत चुकानी होगी, क्योंकि पाकिस्तान अपनी पसंद के क्षेत्रों में सहयोग की उम्मीद करते हुए आतंकवाद को जारी नहीं रख सकता।